तृणमूल ने यूपीए सरकार से समर्थन वापस लिया
केंद्र सरकार में शामिल तृणमूल कांग्रेस ने मंगलवार देर शाम लंबी बैठक में संप्रग से अलग होने का फैसला ले लिया। पेट्रो पदार्थो की मूल्यवृद्धि, खुदरा क्षेत्र में विदेशी निवेश और भ्रष्टाचार के मुद्दे पर ममता बनर्जी के नेतृत्व वाली तृणमूल कांग्रेस से मंगलवार को कड़े कदम की उम्मीद की जा रही थी लेकिन उससे आगे बढ़ते हुए ममता ने मनमोहन सिंह सरकार से समर्थन वापसी का एलान कर दिया। तृणमूल के सभी छह मंत्री शुक्रवार को केंद्र सरकार से इस्तीफा देंगे, साथ ही पार्टी की ओर से समर्थन वापसी का औपचारिक पत्र भी राष्ट्रपति को सौंपा जाएगा। बैठक के बाद ममता ने साफ कहा, हम अब संप्रग से बाहर हैं और 20 सितंबर को केंद्र के फैसलों के खिलाफ आहूत भारत बंद में शामिल होंगे।
कोलकाता। केंद्र सरकार में शामिल तृणमूल कांग्रेस ने मंगलवार देर शाम लंबी बैठक में संप्रग से अलग होने का फैसला ले लिया। पेट्रो पदार्थो की मूल्यवृद्धि, खुदरा क्षेत्र में विदेशी निवेश और भ्रष्टाचार के मुद्दे पर ममता बनर्जी के नेतृत्व वाली तृणमूल कांग्रेस से मंगलवार को कड़े कदम की उम्मीद की जा रही थी लेकिन उससे आगे बढ़ते हुए ममता ने मनमोहन सिंह सरकार से समर्थन वापसी का एलान कर दिया। तृणमूल के सभी छह मंत्री शुक्रवार को केंद्र सरकार से इस्तीफा देंगे, साथ ही पार्टी की ओर से समर्थन वापसी का औपचारिक पत्र भी राष्ट्रपति को सौंपा जाएगा। बैठक के बाद ममता ने साफ कहा, हम अब संप्रग से बाहर हैं और 20 सितंबर को केंद्र के फैसलों के खिलाफ आहूत भारत बंद में शामिल होंगे।
संप्रग में कांग्रेस के बाद तृणमूल कांग्रेस दूसरी सबसे बड़ी पार्टी है। लोकसभा में उसके 19 सदस्य हैं। तृणमूल के समर्थन वापस लेने से मनमोहन सरकार अल्पमत में आ गई है और अब वह 22 सांसदों वाली समाजवादी पार्टी और 21 सांसदों वाली बहुजन समाज पार्टी के समर्थन को मोहताज है। केंद्र में सरकार बनाए रखने के लिए लोकसभा में 272 सदस्यों का समर्थन आवश्यक है।
सरकार झुके तो पुनर्विचार
ऐसा नहीं कि ममता बनर्जी ने मनमोहन सरकार के लिए कोई रास्ता नहीं छोड़ा। समर्थन वापसी के फैसले का एलान करते हुए तृणमूल अध्यक्ष ने कहा, अगर केंद्र डीजल की मूल्य बढ़ोत्तारी में तीन रुपये की कमी करे, मूल्यवृद्धि से मुक्त एलपीजी गैस सिलेंडरों की वार्षिक संख्या छह से बढ़ाकर 12 करे और खुदरा क्षेत्र से एफडीआइ वापस ले, तो पार्टी अपने फैसले पर पुनर्विचार कर सकती है। वह संप्रग में बनी रह सकती है।
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