Article 370: जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटने के बाद आदिवासी समुदाय को मिला बराबर का अधिकार
जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 के हटने के बाद केंद्रशासित प्रदेश विकास के नए-नए किर्तिमान रच रहा है। आदिवसी समुदाय के लोगों को अब यहां बराबर का दर्जा मिल पा रहा है। सरकार कई योजनाओं के माध्यम से विकास कर रही है।
नई दिल्ली, एजेंसी। केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 के हटने के बाद वहां रह रहे गुर्जर-बकरवाल और गद्दी-सिप्पी सहित कई आदिवासी समुदायों को सात दशक से चले आ रहे भेदभाव का अब सामना नहीं करना पड़ रहा है। आदिवासी समुदायों के लोगों को देश में सभी के जैसा एक समान अधिकार मिल पा रहा है। केंद्र की भारतीय जनता पार्टी(भाजपा) सरकार ने जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 को पांच अगस्त 2019 को हटाया था।
पिछली सरकार के नियमों से हाशिए पर जीवन काटने को मजबूर गुर्जर-बकरवाल और गद्दी-सिप्पी समुदाय जम्मू-कश्मीर से विशेष राज्य का दर्जा समाप्त किए जाने के तीन साल के बाद ही पूरी तरह सशक्त हो गया है। सरकार ने पिछले तीन सालों के दौरान उनकी भूमी, शिक्षा और सामाजिक-आर्थिक (Socio-Economic) स्थिति को बढ़ाने और उनके संरक्षण के लिए कई प्रयास किए हैं।
जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 के हटने के बाद जम्मू-कश्मीर को केंद्र शासित प्रदेश का दर्जा दे दिया गया, जिसके बाद सरकार ने यहां पर अपनी नीतियों से इंफ्रास्ट्रक्चर और मानव संसाधन ( human resources)को बढ़ाने के लिए कई प्रयास किए हैं।
राज्य में वन अधिकार अधिनियम (Forest Rights Act) के आने से आदिवासियों के लिए सशक्तिकरण और समृद्धि का एक नया जम्मू-कश्मीर बना है। वन अधिकार अधिनियम कानून के अलावा प्रशासन ने आदिवसी समुदायों के लिए उनकी भूमी और बनों को संरक्षण करने के लिए कई अन्य योजनाओं को लागू किया है।
आदिवासी समुदाय के लोगों को उनके अधिकारों के साथ-साथ वन्यजीवों और अपने परिवार की तरह जंगलों को संरक्षण के लिए उनकी जिम्मेदारियों से भी अवगत कराया गया है।
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, मिशन यूथ और आदिवासी विभाग 16 करोड़ की लागत के साथ 2,000 युवाओं को रोजगार देने के साथ-साथ उनको प्रशिक्षण, ब्रांडिंग, मार्केटिंग तथा ट्रांसपोर्ट की सुविधा मुहैया कराने के लिए 16 मिल्क गांव स्थापित करने पर एक साथ काम कर रहा है।
आदिवासी समुदाय के लोगों को वन उपज पर अधिकार दिए गए हैं। सरकार ट्राइबल कोऑपरेटिव मार्केटिंग डेवलपमेंट फेडरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड (Tribal Cooperative Marketing Development Federation of India Limited) के साथ मिलकर कलेक्शन,वैल्यू एडिशन और वितरण के लिए इंफ्रास्ट्रक्चर तैयार की है।
सरकार ने अलग-अलग मौसम में भिन्न-भिन्न स्थानों पर रहने वाले जनसंख्या के लिए 28 करोड़ रुपये की लागत से आठ जगहों पर आवास बनाने का भी काम शुरू किया है। इसके अलावा सरकार जम्मू, श्रीनगर और राजौरी में आदिवासी भवन बना रही है।
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, जम्मू-कश्मीर में प्रवासी बच्चों के लिए 1,521 सीजनल स्कूल तथा प्रवासी मार्ग पर दो रेसिडेंसियल स्कूल बनाए जा रहे हैं। इसके अलावा आदिवासी समुदाय के बच्चों के लिए सात नए छात्रवास भी बन रहे हैं, हालांकि यह पूरा होने के करीब ही है। केंद्र शासित प्रदेश प्रशासन ने केंद्र को पहले ही 79 अतिरिक्त छात्रावास बनाने का प्रस्ताव भेज दिया है। आदिवसी महिलाओं को आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बनाने के लिए केंद्र सरकार के द्वारा चालाए जा रहे स्कीम के माध्यम से जरूरी सहायता दी जा रही है ताकि नए जम्मू और कश्मीर में वह स्वयं ही अपनी आजीविका कमा सके।
IIT जम्मू और रजौरी स्थित बाबा गुलाम शाह बादशाह यूनिवर्सिटी ने अपने-अपने संस्थानों में जनजातीय पीठ को स्थापित करने के लिए इस साल जून में जानजातीय विभाग के साथ एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए।
आजादी के 70 साल के बाद सरकार ने पहली बार जम्मू-कश्मीर के उच्च स्थानों पर रहने वाली आदिवसी समुदायों के लोगों के स्वस्थ्य देखभल के लिए आदिवासी समुदाय की ही आशा स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं को नियुक्त किया है। पहली बार श्रीनगर में आयोजित आदिवसी पुरस्कार समारोह के दौरान आदिवासी समुदाय के लोगों के सम्मानित किया गया।