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संगम तट पर धूनी रमाने को तैयार किन्नर संन्यासी, प्रशासन से मांगी अनुमति

महामंडलेश्वर लक्ष्मीनारायण त्रिपाठी ने माघ मेले में शिविर लगाने की जगह मांगी है।

By Kishor JoshiEdited By: Published: Wed, 06 Dec 2017 11:31 AM (IST)Updated: Wed, 06 Dec 2017 11:39 AM (IST)
संगम तट पर धूनी रमाने को तैयार किन्नर संन्यासी, प्रशासन से मांगी अनुमति
संगम तट पर धूनी रमाने को तैयार किन्नर संन्यासी, प्रशासन से मांगी अनुमति

इलाहाबाद (जेएनएन)। चर्चित किन्नर शख्सियत लक्ष्मीनारायण त्रिपाठी के नेतृत्व में किन्नर संन्यासियों का एक समूह इस बार जनवरी माह में संगम तट पर लगने वाले माघ मेले में अन्य संन्यासियों की तरह अपने अखाड़े के लिए भी जगह और सुविधाएं चाह रहा है। किन्नर संन्यासियों की मांग पर प्रशासन का रवैया सकारात्मक है, लेकिन अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद को यह रास नहीं आ रहा है कि किन्नर संन्यासियों का कोई समूह अखाड़े की तरह संगम तट पर धूनी रमाए।

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अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरी का कहना है, किन्नर संन्यासियों को अखाड़ा की मान्यता देना अनुचित है। उनका दावा है कि उन्होंने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से वार्ता की है कि 13 मान्य अखाड़ा के अलावा किसी अन्य को अखाड़ा के नाम पर सुविधा न दी जाए। उनके मुताबिक मुख्यमंत्री ने उनकी मांग स्वीकार कर ली है। अखाड़ा परिषद किन्नर संन्यासियों की तरह से महिला संन्यासियों के समूह “परी” को भी अखाड़ा की मान्यता देने को तैयार नहीं।

किन्नर संन्यासियों ने पिछले साल भी माघ मेला में शिविर लगाने की तैयारी की थी,  लेकिन सुविधा न मिलने पर इरादा त्याग दिया था। इस बार वे अडिग हैं और अगर उनके नेतृत्व में किन्नर संन्यासी संगम तट पर शिविर लगाने में सफल होती हैं तो एक नई इबारत लिखी जाएगी। खुद को किन्नर अखाड़ा का आचार्य महामंडलेश्वर कहने वालीं लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी का कहना है कि अगर प्रशासन बिना अखाड़ा के नाम से सुविधा देने को तैयार है तो हमें एतराज नहीं है। हमें तो सुविधा चाहिए। रही बात अखाड़ा की मान्यता न देने की तो हमें उससे फर्क नहीं पड़ता, क्योंकि किसी के मानने न मानने से हमारा वजूद खत्म नहीं होगा।

सूत्रों के अनुसार मेला प्रशासन किन्नर संन्यासियों के समूह को अखाड़ा के बजाय किसी संस्था के नाम पर सुविधा देने का मन बना रहा है। नियमत: 13 अखाड़ों को ही धार्मिक एवं प्रशासनिक मान्यता मिली है। परी एवं किन्नर अखाड़ा हाल के समय में बने हैं, जिन्हें अखाड़ा परिषद मान्यता नहीं देता। माघ मेले में हर मान्यता प्राप्त अखाड़ा को शिविर लगाने के लिए जमीन का एक हिस्सा, टेंट, कुर्सी, टिनशेड आदि मिलता है। इसके अलावा हर महामंडलेश्वर को अलग शिविर लगाने को सुविधा दी जाती है। अखाड़ों की सुरक्षा व्यवस्था करने के साथ स्नान के लिए घाट भी खाली कराया जाता है। किन्नर संन्यासियों ने माघ मेला क्षेत्र के त्रिवेणी मार्ग स्थित स्वामी वासुदेवानंद सरस्वती के शिविर के पास आवश्यक सुविधाओं के साथ 1500 बाई 1500 वर्ग गज जमीन मांगी है।

 

चर्चित शख्सियत हैं किन्नर महामंडलेशवर लक्ष्मीनारायण त्रिपाठी

खुद को किन्नर अखाड़ा का महामंडलेश्वर बताने वाली लक्ष्मीनारायण त्रिपाठी किसी परिचय की मोहताज नहीं हैं। वह एक चर्चित एक्टिविस्ट के रूप में पहचान रखती हैं। हाल में वह हैदराबाद में आोयजित ग्लोबल उद्यमिता सम्मेलन में शामिल हुई थीं जिसमें अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की बेटी इवांका ट्रंप ने भी शिरकत की थी। वह बिग बॉस में भी शमिल हो चुकी हैं और “रेड लिपिस्टिक” नाम से अपनी आत्मकथा भी लिख चुकी हैं। इसके अलावा वह कई टीवी शो में भी शामिल हो चुकी हैं। उनकी ही पहल पर सुप्रीम कोर्ट ने किन्नरों को थर्ड जेंडर की मान्यता दी थी। उन्होंने उज्जैन में महामंडलेश्वर की उपाधित ग्रहण की थी।

माघ मेलाधिकारी राजीव राय ने बताया, 'हम माघ मेला में किन्नर अखाड़ा नाम से भूमि आवंटन या सुविधा नहीं देंगे, क्योंकि यह धार्मिक मान्यता एवं शासन के नियम के विरुद्ध है। हां, संस्था के नाम पर नियमानुसार सुविधाएं दी जाएंगी।' 

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