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ट्रेनी आइएएस अफसर इस भूमिका को भी कर रहे अदा

सदियों बाद काशी से संस्कार लेकर युवा प्रशिक्षु आइएएस अफसर ने पहाड़ के सुदूर और दुर्गम गांवों की ओर कदम बढ़ाए हैं। मकसद है अभाव में तालीम हासिल कर रहे विद्यार्थियों को हौसला देना।

By Srishti VermaEdited By: Published: Wed, 09 Aug 2017 09:15 AM (IST)Updated: Wed, 16 Aug 2017 10:17 AM (IST)
ट्रेनी आइएएस अफसर इस भूमिका को भी कर रहे अदा
ट्रेनी आइएएस अफसर इस भूमिका को भी कर रहे अदा

नैनीताल (मनीष साह)। मुगलकाल में काशी के पंडित शास्त्रार्थ के लिए सांस्कृतिक नगरी अल्मोड़ा का रुख करते थे। चंद शासक राजा रुद्र चंद के दरबार में तब कुमाऊं व काशी के प्रकांड विद्वानों में शिक्षा का आदान-प्रदान भी होता था। सदियों बाद काशी से संस्कार लेकर युवा प्रशिक्षु आइएएस अफसर ने पहाड़ के सुदूर और दुर्गम गांवों की ओर कदम बढ़ाए हैं। मकसद है अभाव में तालीम हासिल कर रहे विद्यार्थियों को हौसला देना। इसके लिए इस अधिकारी ने रविवार का दिन चुना है। इस दिन वह विद्यालय खुलवाते हैं और बच्चों को शिक्षा प्रदान करते हैं। रातीघाट के आसपास का इलाका काफी दुर्गम क्षेत्र माना जाता है।

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स्वास्थ्य और शिक्षा के नाम पर यहां नाम मात्र के ही संसाधन उपलब्ध हैं। उत्तराखंड में नैनीताल एटीआइ में प्रशिक्षण प्राप्त करने के दौरान वाराणसी के मूल निवासी ट्रेनी आइएएस डॉ. सौरभ गहरवाल जब अपनी पत्नी डॉ. सोनालनी के साथ इस क्षेत्र में घूमने आए तो इस क्षेत्र की दुर्दशा देख भावुक हो गए। लोगों से बातचीत के दौरान उन्होंने पाया कि यहां के बच्चों, युवाओं और महिलाओं में जीवटता तो गजब की है, लेकिन संसाधनों के अभाव में वे टूट जाते हैं। उसी दिन उन्होंने तय कर लिया कि वह जब तक नैनीताल में हैं, सप्ताह का हर रविवार यहां के जीआइसी रातीघाट में 10वीं और 12वीं के बच्चों की क्लास लेंगे।

इसके साथ ही विद्यार्थियों को अभी से आइएएस की तैयारी के टिप्स भी देंगे। उनके इस फैसले में उनकी पत्नी ने भी अपनी सहमति जताई और स्वयं भी तय कर लिया कि इसी दिन वह भी इस स्कूल में आसपास के गांव की महिलाओं का मुफ्त इलाज करेंगी। तब से हर रविवार को सौरभ बच्चों को गणित और भौतिक विज्ञान पढ़ाते हैं और उनकी पत्नी महिला मरीजों का नि:शुल्क इलाज करती हैं। डॉ. सोनालनी इन दिनों नैनीताल के बीडी पांडेय जिला चिकित्सालय नैनीताल में महिला रोग विशेषज्ञ के रूप में तैनात हैं।

चिकित्सक से लोगों को बड़ी उम्मीदें होती हैं। रोगी को अच्छा इलाज मिल जाए, यही सोच कर मैंने इसे मिशन के रूप में लिया है। मैं जहां भी रहूंगी, जरूरतमंदों की सेवा करती रहूंगी।- डॉ. सोनालनी गहरवाल, महिला रोग विशेषज्ञ, नैनीताल

दूरदराज के ग्रामीण बच्चों को पढ़ाना, उन्हें बड़ा अधिकारी बनने के लिए प्रेरित करने की सोच बचपन से ही है। बागेश्वर के डीएम रहे मंगेश घिल्डियाल को देखकर पहाड़ के दूर-दराज के गांवों में जाकर पढ़ाने की इच्छा और प्रबल हुई।- डॉ. सौरभ गहरवाल, प्रशिक्षु आइएएस

क्या कहते हैं विद्यार्थी
पहली बार कोई आइएएस अफसर हमारे बीच में आकर हमारे बेहतर भविष्य के लिए लगातार अपना समय दे रहे हैं। काफी अच्छा लग रहा है। पाठ्यक्रम से संबंधित हमारी हर समस्या का समाधान वह तत्काल कर देते हैं।
-रुची पढलिया, छात्रा 12वीं कक्षा
उनकी पढ़ाने की शैली गजब की है। रविवार को वह तब तक क्लास से बाहर नहीं निकलते जब तक एक-एक विद्यार्थी की शंका का समाधान नहीं हो जाता।- विशाल कुमार, छात्र 12वीं कक्षा

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