घटना दुखद है..इत्तिफाक से मैं राजा भैया हूं
लखनऊ [जासं]। अपनी नई फिल्म साहब बीबी और गैंग्स्टर रिटर्न्स में गैंग्स्टर की भूमिका निभा रहे इरफान खान प्रतापगढ़ में हुई घटना को दुखद ठहराते हुए कहते हैं, इत्तिफाक से मेरा नाम भी राजा भैया है। फिल्म में इरफान इसी नाम का किरदार निभा रहे हैं। कथा क्षेत्र उत्तर भारत का है, लेकिन इसे भी वह महज संयोग कह रहे हैं। उनकी फिल्म आठ मार्च को रिलीज ह
लखनऊ [जासं]। अपनी नई फिल्म साहब बीबी और गैंग्स्टर रिटर्न्स में गैंग्स्टर की भूमिका निभा रहे इरफान खान प्रतापगढ़ में हुई घटना को दुखद ठहराते हुए कहते हैं, इत्तिफाक से मेरा नाम भी राजा भैया है। फिल्म में इरफान इसी नाम का किरदार निभा रहे हैं। कथा क्षेत्र उत्तर भारत का है, लेकिन इसे भी वह महज संयोग कह रहे हैं। उनकी फिल्म आठ मार्च को रिलीज हो रही है। सोमवार को इसके प्रमोशन के लिए इरफान अपने साथी कलाकार जिमी शेरगिल, माही गिल और निर्माता राहुल मित्रा के साथ दैनिक जागरण कार्यालय में थे।
एनएसडी से अभिनय का ककहरा सीखने वाले इरफान कहते हैं कि हर किरदार को अपने अंदर ढूंढ़ना पड़ता है। किरदार जैसा दिखना जरूरी नहीं, उसके मर्म को समझना जरूरी है। बचपन की तरफ झांकते हुए वह बताते हैं कि बारह-तेरह साल की उम्र में फिल्म देखी तो बस जैसे मंजिल नजर आ गई कि क्या करना है। इधर पिता के टायर कारोबार को सीखा और उधर अभिनय की तरफ भी मन ही मन में बढ़ते रहे। अंतत: एक सफर अदाकार के मुकाम के लिए शुरू हुआ, मेहनत की और पा लिया।
व्यस्त फिल्मी सफर में रंगमंच के लिए समय न निकाल पाने पर इरफान को कुछ अफसोस होता है। वह कहते हैं कि इसके अपने व्यावहारिक कारण हैं। यह बेहतर नहीं होता कि मैं भी डूबता और रंगमंच भी। आज मैं जो कर रहा हूं उससे भी रंगमंच का भला ही हो रहा है। संस्थान का नाम बढ़ा रहा हूं और लोगों को प्रेरित भी। पान सिंह तोमर को अब तक का बेहतरीन किरदार मानने वाले इरफान कहते हैं कि इसके लिए उन्हें काफी तैयारियां करनी पड़ीं। सबसे बड़ी दिक्कत भाषा की थी। मैं वह बिल्कुल नहीं जानता था। हालांकि पूरी शूटिंग में खूब मजा किया।
निर्माता राहुल मित्रा इस तरह की फिल्मों को कोई रिस्क नहीं मानते। वह कहते हैं कि सीमित बजट में अगर कोई भी बेहतर काम किया जाएगा तो वह सफल रहेगा। सीक्वेल को आज का ट्रेंड मानने वाले राहुल कहते हैं कि इस वर्ष ऐसी कई फिल्में आ रही हैं। बहुत सारी ंिफल्में सिर्फ नाम की सीक्वेल होती हैं, जबकि उनकी फिल्म साहब बीबी और गैंग्स्टर रिटर्न्स अपवाद है।
स्टारडम में अभिनय की जरूरत नहीं :
किसी भी किरदार को जीवंत कर देने में माहिर इरफान कहते हैं कि अभिनय कहानी पर हावी नहीं, बल्कि तालमेल के साथ होना चाहिए। खुद में स्टारडम और एक्टिंग, दोनों का मिश्रण चाहने वाले इरफान कहते हैं कि स्टारडम तो करिश्मा है। उसमें एक्टिंग की जरूरत नहीं होती। गिने-चुने लोग ही इसमें तालमेल रख पाते हैं।
मुश्किल था व्हील चेयर पर बैठे रहना :
मौजूदा फिल्म के किरदार को अब तक का सबसे कठिन कहने वाले जिमी शेरगिल के मुताबिक व्हील चेयर पर बैठे रहना आसान नहीं था। इसमें गलती करने की गुंजाइश नहीं थी। वह बताते हैं कि मौजूदा फिल्म वर्ष 2011 में प्रदर्शित साहब बीबी और गैंग्स्टर के आगे की कहानी है। इसे देखने के लिए पिछली फिल्म देखना जरूरी नहीं। हालांकि, अगर आपने पिछली फिल्म देखी है तो मजा दोगुना हो जाएगा। अपने फिल्मी सफर पर वह कहते हैं कि माचिस के बाद काफी दिनों तक वह खाली बैठे रहे क्योंकि जैसे रोल वह चाहते थे वैसे मिले नहीं।
कंफर्टेबल रही इरफान के साथ :
माही गिल कहती हैं कि इरफान जैसे कलाकार के साथ काम करना हमेशा चुनौतीपूर्ण होता है। हालांकि इरफान की सबसे बड़ी खासियत यही है कि वह आपका पूरा ख्याल रखते हैं। आपको अपने साथ काफी इजी फील करा देते हैं। वह बताती हैं कि इसके पहले भी वह इरफान के साथ काम कर चुकी थीं, तो कोई मुश्किल नहीं हुई। वह बताती हैं कि इस फिल्म में वह एक बार फिर बीबी के रोल में हैं, जो पहले से ज्यादा महत्वाकांक्षी और खतरनाक है।
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