तीन दशक पहले केरल के थलासेरी में हुआ था अमृतसर जैसा ट्रेन हादसा
मध्यरात्रि के समय लोग रेलवे ट्रैक पर बैठकर आतिशबाजी का मजा ले रहे थे।
चेन्नई, आइएएनएस। अमृतसर ट्रेन हादसे जैसी घटना अब से करीब 32 साल पहले सन् 1986 में केरल के थलासेरी में भी हुई थी। तब एक एक्सप्रेस ट्रेन मजे करते लोगों को रेलवे ट्रैक पर रौंदती चली गई थी। इस हादसे में भी क्षत-विक्षत लाशों के ढेर लग गए थे।
1986 में रेलवे ट्रैक पर बैठक कर आतिशबाजी देख रहे थे लोग
ईवनिंग तमिलनाडु अखबार में कार्यरत वरिष्ठ पत्रकार पी.रंजन ने शनिवार को एक पुराने ट्रेन हादसे को याद करते हुए बताया कि तब वह 20 साल के थे और एक निजी कंपनी में काम करते थे। रेलवे ट्रैक ऊंचाई पर स्थित था। थलासेरी स्थित श्री जगन्नाथ मंदिर में उत्सव का समय था। मध्यरात्रि के समय लोग रेलवे ट्रैक पर बैठकर आतिशबाजी का मजा ले रहे थे। पहाड़ी इलाके में रेलवे का ट्रैक घुमावदार था इसलिए आनेवाली ट्रेन दूसरे सिरे पर बैठे लोगों को नजर नहीं आ सकती थी।
आतिशबाजी का मजा लेने में मशगूल लोगों को ट्रेन का सायरन नहीं सुनाई दिया
आतिशबाजी के पटाखों से खूब धमाके हो रहे थे और उसका मजा लेने वाले लोग भी खूब हल्ला-गुल्ला कर रहे थे। उन्होंने बताया कि वह निचले इलाके में दुकानों के पास खड़े थे। मध्यरात्रि के ही वक्त 'कारबम कलाकी' नाम की विशेष आतिशबाजी होनी थी। इसका अर्थ है इतनी तेज आवाज करना कि गर्भवती महिला का गर्भपात हो जाए।
रंजन ने बताया कि रेलवे ट्रैक पर मौजमस्ती करते लोग शोरशराबे वाली आतिशबाजी का मजा लेने में इतने मशगूल थे कि उन्हें आती हुई ट्रेन का सायरन तक नहीं सुनाई दिया। एकाएक मुझे चीखने-चिल्लाने और लोगों के विलाप करने की आवाजें सुनाई देने लगीं। लोगों के शव और कटे अंग बिखरे पड़े थे। जीवित बचे लोग ट्रेन के पीछे बेतहाशा दौड़ने लगे और मैंने भी उनका पीछा किया। आगे जाकर स्टेशन पर ट्रेन रुक गई। इंजन के आगे का हिस्सा पूरा खून और मांस से सना हुआ था।
पत्रकार रंजन ने बताया कि उनके कपड़े भी खून से सन गए थे। वह स्तब्ध थे। दो दिनों तक उनके हलक से खाने का एक निवाला भी गले के नीचे नहीं उतरा। रिपोर्ट के अनुसार इस हादसे में 26 लोगों की जान चली गई थी और कई अन्य बुरी तरह से घायल थे।
जिस लापरवाही के चलते विगत शुक्रवार को अमृतसर रेल हादसा हुआ उसी के कारण थलासेरी की भी दुर्घटना हुई है। उत्सव के आयोजक उस साल रेलवे प्रशासन को श्री जगन्नाथ मंदिर के उत्सव और उसके पास होने वाली आतिशबाजी की जानकारी देना भूल गए थे।
उन्होंने बताया कि विगत शुक्रवार को मैंने अमृतसर हादसे के कुछ वीडियो देखे जिसमें एकाएक लोगों को तेजी से ट्रेन के नीचे आते देखा। ठीक यही नजारा तीन दशक पहले भी केरल में देखा था। दक्षिण रेलवे के एक अधिकारी ने भी माना कि अमृतसर हादसे जैसा ही वाकिया थलासेरी में भी हुआ था।
उन्होंने कहा कि ऐसी दुर्घटनाएं हमें सबक सिखा जाती हैं कि ऐसी दुर्घटनाएं दोबारा न हों। मुझे उम्मीद है कि कम से कम अब प्रशासन इस हादसे से कुछ सीखेगा। शुक्रवार को अमृतसर के जोड़ा फाटक पर रेलवे की पटरियों पर खड़ी 700 से अधिक लोगों की भीड़ रावण के पुतले को आग में जलते देखते हुए इतनी उतावली हो गई कि अपनी सुरक्षा को भी ताक पर रख दिया।