Move to Jagran APP

Budget 2020: सतरंगी बजट की है जरूरत, आम आदमी व कारोबारियों को हैं काफी उम्‍मीदें

देश में खुशियों इंद्रधनुष खिले इसके लिए वित्‍तमंत्री को इस बार सतरंगी बजट पेश करने की जरूरत है। देश प्रतिकूल आर्थिक हालातों से गुजर रहा है।

By Monika MinalEdited By: Published: Sun, 19 Jan 2020 01:44 PM (IST)Updated: Sun, 19 Jan 2020 01:44 PM (IST)
Budget 2020: सतरंगी बजट की है जरूरत, आम आदमी व कारोबारियों को हैं काफी उम्‍मीदें
Budget 2020: सतरंगी बजट की है जरूरत, आम आदमी व कारोबारियों को हैं काफी उम्‍मीदें

नई दिल्‍ली [विवेक कौल]। जानकारों का मानना है कि सरकार को 2020-21 में पहले के वर्षों से कहीं ज्यादा पैसा खर्च करने की जरूरत है। इसके पीछे की वजह निजी खपत है। अर्थव्यवस्था में 60 फीसद हिस्सा रखने वाली खपत ठप पड़ गई है। अनुमान लगाया जा रहा है कि 2019-20 में निजी खपत में केवल 5.8 फीसद की बढ़त होगी। ये 2009-10 से लेकर अब तक की सबसे धीमी बढ़त है। लोग पहले की तरह चीजों पर पैसा खर्च नहीं कर रहे हैं। ऐसे माहौल में जरूरी है कि सरकार पहले से ज्यादा पैसा खर्च कर अर्थव्यवस्था की मदद करे।

loksabha election banner

कमाने और खर्च का अंतर है राजकोषीय घाटा

इस बजट से आम आदमी के साथ कारोबारियों को भी काफी उम्मीदें हैं। लिहाजा वित्तमंत्री को ऐसा सतरंगी बजट पेश करना होगा जिससे देश में खुशियों का इंद्रधनुष खिल जाए। खपत बढ़ाने के लिए सरकार द्वारा ज्यादा रकम खर्च करने के कई नकारात्मक असर हो सकते हैं। अगर सरकार ज्यादा पैसा खर्च करेगी तो राजकोषीय घाटा बढ़ेगा। लगभग सभी सरकारें जितना पैसा कमाती हैं, उससे कहीं ज्यादा पैसा खर्च करती है। कमाने और खर्च के बीच के इस अंतर को राजकोषीय घाटा कहा जाता है। जब राजकोषीय घाटा बढ़ता है तो इस घाटे को भरने के लिए सरकार को ज्यादा पैसा उधार लेना पड़ता है। जब सरकार ज्यादा उधार लेती है तो बाकी वित्त संस्थानों के उधार लेने के लिए पहले से कम पैसा बचता है। ऐसी परिस्थिति में ब्याज दरों के बढ़ने का डर रहता है।

विनिवेश का कैलेंडर बनाने की है जरूरत

मार्च 2019 और नवंबर 2019 के बीच बैंकों के द्वारा दिया गया गैर खाद्य कर्ज केवल 0.5 फीसद बढ़ा है। उद्योग और सेवाओं को दिया गया कर्ज 3.9 फीसद और 2. फीसद घटा। ऐसे माहौल में सरकार ये कतई नहीं चाहेगी कि ब्याज दरें राजकोषीय घाटा बढ़ने की वजह से बढ़ जाए। इसलिए, सरकार का पहले से ज़्यादा खर्च करना जरूरी है पर ये भी ज़रूरी है कि सरकार पहले से कही ज़्यादा पैसा कमाए और राजकोषीय घाटे को ज्यादा बढ़ने ना दे। इसके लिए सरकार को अन्य विकल्पों पर ध्यान देने की जरूरत होगी। 2019-20 में सरकार ने विनिवेश से करीब एक लाख पांच हजार करोड़ कमाने की आशा की थी। नवंबर तक सरकार केवल 18,099 करोड़ रुपये ही कमा पाई थी। 2020-21 में जरूरी है कि सरकार विनिवेश का एक कैलेंडर बनाए और साल के शुरुआत से सरकारी कंपनियों का विनिवेश करती रहे। अभी तक का तजुर्बा ये रहा है कि सरकारें साल के आखिरी छह महीनों में जागती है और फिर विनिवेश का लक्ष्य प्राप्त नहीं कर पाती हैं। 

खराब परफार्मेंस वाली सरकारी कंपनियां हों बंद

बहुत सारी सरकारी कंपनियां, जो केवल चलाये जाने के लिए चलायी जा रही हैं, उन्हें बंद करने का समय आ गया है। इन कंपनियों की संपत्ति (ज्यादातर जमीन) को बेच कर 102 लाख करोड़ के नेशनल इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स में लगाया जाना चाहिए। इस देश को बेहतर सड़कों, ज्यादा बंदरगाहों, बेहतर रेलवे, बेहतर सिंचाई, इत्यादि की जरूरत है। अगर इसकी वजह से कुछ ख़राब प्रदर्शन करने वाली सरकारी कंपनियों और बैंकों को बंद करना पड़े तो घबराने की कोई बात नहीं है। इससे देश का भला होगा।

इकोनॉमी में कम हो रही कृषि की भागीदारी

कृषि का देश की अर्थव्यवस्था में योगदान दिन ब दिन कम होता जा रहा है, लेकिन कृषि पर निर्भर लोगों की संख्या उस हिसाब से कम नहीं हो रही है। इसलिए कृषि क्षेत्र में सुधार लाने की बहुत जरूरत है। कृषि क्षेत्र को एपीएमसी से आगे देखने का समय आ गया है। ये जरूरी हो गया है कि किसान जो पैदा कर रहा है वो उसे खुद भी किसी को भी बेच सके, ना कि केवल एपीएमसी के एजेंटों को।

माल और सेवा कर में सुधार की जरूरत

माल और सेवा कर में सुधार लाने की बहुत ज्यादा जरूरत है। अभी कुछ दिनों पहले भूटान माल और सेवा कर लागू करने की तरफ बढ़ा। भारत के विपरीत, भूटान में माल और सेवा कर की केवल एक ही दर होगी। समय आ गया है कि भारत भी इस तरफ बढ़े। हालांकि इसका आम बजट से कोई सीधा संबंध नहीं है पर वित्तमंत्री अपने बजट भाषण में इस तरफ बढ़ने की बात कर सकती है। जिन निर्यातकों का माल और सेवा कर की अदायगी फंसी हुई है, उसे सरकार को जल्द से जल्द अदा करने की जरूरत है।

पहले से ज्‍यादा आवंटन की जरूरत

व्यक्तिगत आयकर की दरों को घटाने की जरूरत है। इससे लोगों के हाथों में ज्यादा पैसा आएगा और वो इस पैसे को खर्च कर सकते हैं। इस खर्च से व्यापार को फायदा होगा और आर्थिक विकास की दर पहले से तेज़ी से बढ़ेगी। आयकर की दरों को घटाने के अलावा महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना में पहले से ज्यादा आवंटन करने की भी जरूरत है।

(लेखक अर्थशास्त्री हैं)

यह भी पढ़ें: महाराष्‍ट्र के सीएम उद्धव ठाकरे के बयान पर मचा बवाल, शिरडी बंद लेकिन खुला साई बाबा मंदिर

गिरफ्तार DSP देविंदर सिंह से NIA करेगी पूछताछ, आज से 7 दिनों का जम्‍मू कश्‍मीर दौरा


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.