भारत से ईरान के चाबहार पोर्ट जाने वाले कार्गो पर जारी रहेगी व्यापारिक छूट
छूट की यह सुविधा भारत के जवाहरलाल नेहरू बंदरगाह व दीनदयाल बंदरगाह से ईरान के तटीय शहर चाबहार स्थित बंदरगाह के बीच परिवहन वाले कार्गो पर बनी रहेगी। रियायती पोत संबंधी शुल्क (वीआरसी) आनुपातिक तौर पर लागू किया जाएगा।
नई दिल्ली, प्रेट्र। व्यापार को बढ़ावा देने के लिए भारत से ईरान के चाबहार बंदरगाह जाने वाले कार्गो पर दी जा रही 40 प्रतिशत छूट की समय सीमा एक वर्ष के लिए बढ़ा दी गई है। केंद्र के पोत परिवहन मंत्रालय ने शुक्रवार को इसका एलान किया। छूट की यह सुविधा भारत के जवाहरलाल नेहरू बंदरगाह व दीनदयाल बंदरगाह से ईरान के तटीय शहर चाबहार स्थित बंदरगाह के बीच परिवहन वाले कार्गो पर बनी रहेगी। रियायती पोत संबंधी शुल्क (वीआरसी) आनुपातिक तौर पर लागू किया जाएगा। यह उन कार्गो पर लागू होगा, जिसका आकार 50 टीईयू या 5,000 टन के बराबर होगा।
इससे पहले केंद्रीय पोत परिवहन मंत्री मनसुख मांडविया ने कहा था कि चाबहार पोर्ट के जरिये व्यापार में लगातार वृद्धि हो रही है। भारत और ईरान के मध्य व्यापार के दृष्टिकोण से चाबहार पोर्ट की अहमियत काफी ज्यादा है। इससे भारत को अपने पश्चिमी तट से ईरान पहुंचने के लिए पाकिस्तान की सीमा में प्रवेश नहीं करना पड़ता है।
चाबहार बंदरगाह ( Chabahar Port) से ईरानी उत्पादों की एक खेप पिछले हफ्ते थाईलैंड के लिए रवाना हुई। इस बंदरगाह से किसी दक्षिण पूर्व एशियाई देश के लिए पहली बार कोई खेप भेजी गई है। रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण इस बंदरगाह को भारत, ईरान व अफगानिस्तान संयुक्त रूप से विकसित कर रहे हैं। इसका उद्देश्य तीनों देशों के बीच व्यापार को बढ़ावा देना है। पाकिस्तान द्वारा भारत को पारगमन सुविधा देने से इन्कार किए जाने के बाद इस बंदरगाह का विकास किया जा रहा है। भारतीय जहाज बिना पाकिस्तानी सीमा में गए सिस्तान-बलूचिस्तान क्षेत्र में स्थित इस बंदरगाह पर पहुंच सकते हैं।
ईरानी मीडिया ने सिस्तान-बलूचिस्तान बंदरगाह तथा समुद्री संगठन महानिदेशक बहरूज अघाई के हवाले से रविवार को बताया कि चाबहार बंदरगाह से अखाद्य मछलियों की खेप भारतीय बंदरगाह मुंदरा भेजी गई। मुंदरा में इस खेप को दूसरे पोत में लादा गया। इसी पोत के जरिये खेप थाईलैंड की राजधानी बैंकाक पहुंचेगी।