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अवैध वन्‍यजीव व्‍यापार करने वालों का काल बनेंगे 14 स्‍नीफर कुत्‍ते, गंध से पहचानने की दी गई ट्रेन‍िंग

कुत्तों को प्रशिक्षण संस्थान में बाघ और तेंदुआ की खाल हाथी दांत तथा चीतल व सांबर की सींगों की गंध पहचानने का प्रशिक्षण दिया गया। सात महीनों के दौरान प्रशिक्षण में विषम भूभागों जैसे वनों जांच चौकियों सामान जांच पार्किंग इलाकों एवं वाहनों में प्रशिक्षण दिया जाना शामिल था।

By Arun Kumar SinghEdited By: Published: Mon, 22 Nov 2021 04:37 PM (IST)Updated: Mon, 22 Nov 2021 06:46 PM (IST)
अवैध वन्यजीव व्यापार को खत्म करने के लिए वन्यजीव स्निफर कुत्तों

 नई दिल्‍ली, आनलाइन डेस्‍क। अवैध वन्यजीव व्यापार को खत्म करने के लिए वन्यजीव स्निफर कुत्तों को उनके 28 संचालकों ने सात महीने का लंबा कठिन प्रशि‍क्षण द‍िया। वैसे सुपर स्निफर के नाम से लोकप्रिय वन्यजीव स्निफर कुत्तों ने वन्यजीव अपराधों के विरूद्ध भारत द्वारा छेड़े गए युद्ध में अपनी योग्यता और उपयोगिता को हमेशा सिद्ध किया है। 20 नवंबर 2021 को वन्यजीव स्निफर डाग फोर्स में शामिल होने के लिए लंबे प्रशिक्षण कार्यक्रम को सफलतापूर्वक पूरा किया।

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पंचकूला में दी गई ट्रेन‍िंग

वन्यजीव स्निफर कुत्तों की इस नवीनतम इकाई ने भारत–तिब्बत सीमा पुलिस बल के पंचकूला, हरियाणा शिविर स्थित बेसिक ट्रेनिंग सेंटर (बुनियादी प्रशिक्षण केंद्र) (बीटीसी–आईटीबीपी) से सफलतापूर्वक प्रशिक्षण पूरा किया। यह ट्रैफिक एवं डब्‍ल्‍यूडब्‍ल्‍यूएफ इंड‍िया (WWF India)द्वारा 2008 में शुरू किए गए अग्रणी स्निफर डाग प्रशिक्षण कार्यक्रम में प्रशिक्षण पाने वाला नौवां बैच बन गया है। इस कार्यक्रम के अंतर्गत अब तक कुल 88 वन्यजीव स्निफर डाग स्क्वाड को प्रशिक्षित किया जा चुका है।

किसी वस्तु विशेष की गंध पहचानने का दिया गया प्रशिक्षण

बैच की पासिंग आउट परेड के अवसर पर निदेशक, बीटीसी–आईटीबीपी, पंचकूला हरियाणा ने कहा क‍ि अवैध वन्यजीव व्यापार को खत्म करने के विशेष उद्देश्य के साथ इस कार्यक्रम को बहुत ध्यानपूर्वक तैयार किया गया था, जिसमें बुनियादी कौशल आज्ञाकारिता एवं अनुसंधान को शामिल किया गया। कुत्तों को प्रशिक्षण संस्थान में बाघ और तेंदुआ की खाल, हाथी दांत तथा चीतल व सांबर की सींगों की गंध पहचानने का प्रशिक्षण दिया गया। साथ ही कुत्तों के संचालकों को यह भी सिखाया गया कि कैसे वे अपने कुत्तों को सेवा के दौरान भी किसी वस्तु विशेष की गंध पहचानने का प्रशिक्षण दे सकते हैं, जिससे उन्हें प्रशिक्षण कार्यक्रम की समाप्ति के बाद भी कौशल विकास का अवसर मिले।

विभिन्‍न परिदृश्यों से कुत्‍तों को कराया गया रूबरू

बीटीसी–आईटीबीपी, पंचकूला हरियाणा के निदेशक ने कहा क‍ि प्रशिक्षण को आधुनिक अनुकूलन तकनीकों का उपयोग कर वैज्ञानिक तरीके से आयोजित किया गया, जिसमें भोजन एवं खेल पारितोषिक के तहत सकरात्मक प्रबलन शामिल था। कुत्तों को आबादी वाले इलाकों और वन्य क्षेत्र दोनों में वास्तविक जीवन से जुड़े विभिन्‍न परिदृश्यों से रूबरू कराया गया। मुझे पूर्ण विश्वास है कि नए प्रशिक्षित वन्यजीव स्निफर डॉग स्क्वाड अवैध वन्यजीव व्यापार को समाप्त करने में अधिकारियों को वास्तविक तौर पर सहायता करेंगे।

प्रश‍िक्षण में वन्यजीव सामग्रियों का किया गया उपयोग

बीटीसी–आईटीबीपी शिविर में सात महीनों के दौरान प्रशिक्षण में विषम भूभागों जैसे वनों, जांच चौकियों, सामान जांच, पार्किंग इलाकों एवं वाहनों में प्रशिक्षण दिया जाना शामिल था। प्रशिक्षकों ने इन जटिल परिवेशों में कम गंध सघनता वाले लक्ष्यों को पता करने में कुत्तों को निपुण करने के लिए कम आकार वाले वन्यजीव सामग्रियों का उपयोग किया। ट्रैफिक इंडिया कार्यालय प्रमुख के डा साकेत बडोला ने कहा क‍ि इस कार्यक्रम के तहत प्रशिक्षित कुत्ते विषम भूभागों में अथक कार्य कर रहे हैं। अब तक 400 से ज़्यादा वन्यजीव अपराध मामलों में एजेंसियों की सहायता कर चुके हैं। वन्यजीव अपराध नियंत्रण में सुपर स्निफरों का उपयोग और तैनाती करने में वन विभाग की प्रतिक्रिया बहुत उत्साहवर्धक रही है।

सुरक्षा एजेंसियां करेंगी स्निफर कुत्तों का उपयोग

उन्होंने आगे कहा क‍ि यह और भी प्रसन्नता की बात है कि वन विभाग के अतिरिक्त रेलवे सुरक्षा बल एवं कस्टम्स जैसी एजेंसियों ने भी वन्यजीव स्निफर कुत्तों की तैनाती के लिए दिलचस्पी दिखाई हैं। हमें उम्मीद है कि आने वाले वर्षों में वन्यजीव स्निफर कुत्तों का उपयोग वन्यजीव संरक्षण से जुड़ी अन्य प्रवर्तन एजेंसियां भी करेंगी।

वर्तमान बैच में से तीन सुपर स्निफर स्क्वाड महाराष्ट्र वन विभाग में शामिल होंगे, दो-दो स्क्वाड छत्तीसगढ़, कर्नाटक एवं ओडिशा वन विभागों में, जबकि उत्तर प्रदेश, गुजरात एवं तमिलनाडु वन विभाग में एक-एक स्क्वाड शामिल होंगे। रेलवे सुरक्षा बल (आरपीएफ) के साथ ट्रैफिक के हुए गठजोड़ के तहत भारतीय रेलवे के दक्षिणी और पश्चिम मध्य क्षेत्र में भी दो स्क्वाड तैनात किए जाएंगे। पिछले साल भारत में पहली बार आरपीएफ ने विशेषज्ञ वन्यजीव स्निफर कुत्तों की नियुक्ति की थी।

कुत्‍तों के प्रशिक्षण में संचालकों की अहम भूमिका

वर्तमान बैच के प्रशिक्षण में शामिल 28 संचालकों (प्रत्येक कुत्ते पर दो संचालक) की ओर से गुजरात वन विभाग एवं वन्यजीव स्निफर डाग संचालक के सहायक उप निरीक्षक विनय कुमार ने कहा क‍ि पंचकूला (बीटीसी – आईटीबीपी) शिविर में दिया गया प्रशिक्षण काफी प्रायोगिक एवं प्रभावी रहा। यह अवसर प्रदान किये जाने के लिए मैं स्वयं को सम्मानित महसूस करता हूं। बुनियादी चरण से शुरू हुआ यह प्रशिक्षण पिछले सात महीनों में उन्नत स्तर तक पहुंचा। आरंभ में एक युवा कुत्ते का देखभाल करने में मुझे संघर्ष करना पड़ा, लेकिन अंततः टाप्सी और मैं पूरी ज़िंदगी के लिए साथ जुड़ गए हैं। टाप्सी को एक आज्ञाकारी एवं कुशल वन्यजीव स्निफर कुत्ते के तौर पर तैयार किया गया है।

विनय कुमार शर्मा ने आगे कहा क‍ि प्रशिक्षण केंद्र में प्रशिक्षकों एवं उनकी सहभागिता और सहयोग का हमारे वन्यजीव स्निफर डाग स्क्वाड बनने में अहम भूमिका थी। टाप्सी के साथ तैनाती के अपने राज्य को लौटने तथा शिकार एवं अवैध वन्यजीव व्यापार को रोकने में सहयोग देने के लिए उत्साहित हूं।

स्निफर डाग स्क्वाड की प्रशंसनीय भूम‍िका

डब्‍ल्‍यूडब्‍ल्‍यूएफ इंड‍िया के महानिदेशक एवं मुख्य कार्यपालक अधिकारी रवि सिंह ने कहा क‍ि 2008 में महज दो वन्यजीव स्निफर कुत्तों से शुरू हुआ, यह सफर वर्तमान बैच के साथ 88 तक पहुंच गया है। वन्यजीव स्निफर डाग स्क्वाड का समर्पण एवं उनकी प्रतिबद्धता प्रशंसनीय है। हम 14 नव प्रशिक्षित वन्यजीव स्निफर डॉग स्क्वाड को शिकार एवं अवैध वन्यजीव व्यापार रोकने के उनके मिशन में सफलता की कामना व्यक्त करते हैं।


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