चीनी सबमरीन के लंबी दूरी तक तैनाती में आई कमी, इस वजह से उठ रहा सवाल
चीनी नौसेना की क्षमता पर सवालिया निशान खड़ा हो गया है। जानकारी हिंद महासागर क्षेत्र में सितंबर 2017 से किसी भी चीनी परमाणु या समान्य पनडुब्बी ने प्रवेश नहीं किया है।
By TaniskEdited By: Published: Thu, 09 May 2019 07:51 PM (IST)Updated: Thu, 09 May 2019 07:51 PM (IST)
नई दिल्ली, एएनआइ। पीपुल्स लिब्रेशन आर्मी (PMLA) की नौसेना की क्षमता पर सवालिया निशान खड़ा हो गया है। भारतीय शीर्ष रक्षा सूत्रों के अनुसार हिंद महासागर क्षेत्र में सितंबर 2017 से किसी भी चीनी परमाणु या समान्य पनडुब्बी ने प्रवेश नहीं किया है। इससे चीनी सबमरीन के लंबी दूरी तक तैनाती पर सवाल होने लगा है।
रक्षा सूत्रों ने बताया कि पिछली बार अगस्त 2018 में एक चीनी परमाणु पनडुब्बी भारतीय समुंद्री सीमा के करीब आई थी, लेकिन यह इंडोनेशिया के पास स्थित सुंडा स्ट्रेट से अपने क्षेत्र में लौट गई। इसके साथ मौजूद सबमरीन रेसक्यू वेसल कोलंबो आई थी, लेकिन ये वहां से लौट गई।
सूत्रों ने बताया कि साल 2017 में अंतिम तैनाती से पहले, हर तीन महीने में चीन वैकल्पिक रूप से अपनी पारंपरिक और परमाणु पनडुब्बियों को हिंद महासागर क्षेत्र में भेजता था। ये कराची में जिबोती या पाकिस्तान नेवी बेस की तरफ जाते थे।
सूत्रों ने कहा कि चीनी नौसेना ने दिसंबर 2013 से अपनी पनडुब्बियों को हिंद महासागर क्षेत्र में भेजना शुरू कर दिया था। ये पनडुब्बी मलक्का स्ट्रेट को पार करने से पहले दक्षिण पूर्व एशिया से अपने पूर्वी समुद्री तट को पार करके हिंद महासागर में प्रवेश की थी। इसके बाद वे कराची में जिबूती या पाकिस्तान नेवी बेस पर जाती थीं।
पहले भी उन्हें पनडुब्बियों के रख-रखाव में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ा है। ऐसे में अब चीनी सबमरीन के लंबी दूरी तक तैनाती की क्षमता पर संदेह होने लगा है। समुद्र में लूट को रोकने के बहाने वह अपने युद्धपोतों की अदन की खाड़ी में तैनाती के लिए हिंद महासागर और अरब सागर में भेजता रहा है। इस कदम को लेकर सवाल उठाए जा रहे हैं, क्योंकि समुद्री लुटेरे व्यापारी जहाजों को हाईजैक करने के लिए सामान्य किस्म की नाव और उपकरणों का उपयोग करते हैं। सूत्रों ने कहा कि भारत अपने हित को ध्यान में रखकर हिंद महासागर और अरब सागर में चीन की गतिविधियों पर नजर बनाए हुए है।
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