India-China Tension: सेना के शीर्ष कमांडरों के साथ आर्मी चीफ की बैठक जारी, लद्दाख में चीन के कारण उपजे विवाद पर चर्चा
India-China Tension सेना से सभी शीर्ष कमांडरों के साथ होने वाली इस बैठक में पूर्वी लद्दाख क्षेत्र में चीन के कारण उपजे हालात पर ही विशेष रूप से चर्चा हो रही है।
नई दिल्ली, एएनआइ। India-China Tension, सेना प्रमुख जनरल मनोज मुकुंद नरवणे आज से सेना के शीर्ष कमांडरों के साथ एक कॉन्फ्रेंस कर रहे हैं। सेना प्रमुख जनरल नरवणे ने सम्मेलन की अध्यक्षता करते हुए सेना प्रमुखों के सम्मेलन की शुरुआत कर दी है। सेना के सभी शीर्ष कमांडर इस बैठक में भाग ले रहे हैं। इस बैठक में लद्दाख में चीन के कारण उपजे हालात सहित सभी सुरक्षा मुद्दे पर चर्चा होगी।
दरअसल, सेना के कमांडरों की बुधवार से तीन दिनों की कॉन्फ्रेंस शुरू हो रही है। इसमें पूर्वी लद्दाख क्षेत्र में चीन के कारण उपजे हालात पर ही विशेष रूप से चर्चा होगी। सेना के प्रवक्ता अमन आनंद ने बताया है कि कॉन्फ्रेंस का पहला चरण 27 मई से 29 मई तक चलेगा और दूसरा चरण जून के अंतिम सप्ताह में होगा। यह कॉन्फ्रेंस पहले 13 से 18 अप्रैल तक होनी थी, लेकिन कोरोना वायरस महामारी के कारण यह टल गई थी।
PM मोदी ने की शीर्ष सैन्य नेतृत्व के साथ बैठक
इससे पहले भारत और चीन के वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर चीनी सैनिकों की बढ़ती गतिविधियों के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार (26 मई) को देश के शीर्ष सैन्य नेतृत्व के साथ पूरे हालात की समीक्षा की थी। इस बैठक में राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) अजीत डोभाल, चीफ आफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) जनरल बिपिन रावत व तीनों सेनाओं के प्रमुख मौजूद थे।
सूत्रों के मुताबिक, प्रधानमंत्री के साथ हुई इस मीटिंग में चीन की संभावित चुनौतियों के हालात से निपटने की रणनीति पर भी चर्चा हुई। 2017 में डोकलाम में भारत और चीन के सैनिकों की सीमा पर हुई भिड़ंत के सबसे तनावपूर्ण दौर के बाद, लद्दाख सीमा क्षेत्र में चीनी सैनिकों का भारतीय सीमा क्षेत्र में अतिक्रमण एक गंभीर मसला बन गया है।
चीन की बढ़ रही गुस्ताखियां !
लद्दाख सीमा पर वास्तविक नियंत्रण रेखा (Line of Actual Control) पर चीनी सैनिकों की बढ़ती गतिविधि के बीच भारत के लद्दाख क्षेत्र की गलवां घाटी पर चीनी दावे ने तनातनी में और इजाफा किया है। उधर, उत्तराखंड-हिमाचल प्रदेश के साथ चीन से जुड़े हर्षिल सेक्टर में भी चीनी सैनिकों की गतिविधियां बढ़ने की खबरें आ रही हैं।
हालांकि, आधिकारिक तौर पर अभी इसकी पुष्टि नहीं की गई है। वैसे भारत भी लगातार इस बात का संकेत दे रहा है कि वह पूरे मामले में पीछे हटने को तैयार नहीं है।