Move to Jagran APP

जनता को सक्षम बनाने से ही सफल होगा प्रधानमंत्री का मंतव्य, नहीं तो झेलना होगा नुकसान

प्रधानमंत्री को सफलता हासिल करने के लिए सरकार को बिजनेस से वापस करने के साथ-साथ नीचे के नेताओं बिजनेस और सरकारी कमियों की तिकड़ी के विरुद्ध जनता को सक्षम बनाना चाहिए। ऐसा करने से फायदा जरूर ही होगा।

By Kamal VermaEdited By: Published: Mon, 01 Mar 2021 11:06 AM (IST)Updated: Mon, 01 Mar 2021 11:06 AM (IST)
गलतियों की वजह से उठाना पड़ा है नुकसान

भरत झुनझुनवाला। प्रधानमंत्री ने सही कहा है कि सरकार का काम व्यापार करना नहीं है। सरकार का काम व्यापार को मदद करना है। सरकारी कर्मी, अधिकारी और नेता की तिकड़ी ने देश की अर्थव्यवस्था को डुबो रखा है। जैसे पिछली सदी के 1950 से 1980 तक बिरला की हिंदुस्तान मोटर को देश में कार बनाने का एकाधिकार देने और जनता को महंगी और घटिया कार खरीदने को मजबूर करने के पीछे नेता, अधिकारी और उद्यमी तीनों की तिकड़ी थी। 2जी स्पेक्ट्रम को सस्ता बेचने के पीछे तीनों ही जिम्मेदार थे। 

loksabha election banner

इसलिए यह सोचना कि मात्र सरकार के वाणिज्यिक गतिविधियों से बाहर आ जाने से जन कल्याण हासिल हो जाएगा पर्याप्त नहीं है। सरकार को चाहिए कि निजी उद्यमियों पर नियंत्रण की व्यवस्था को सुदृढ़ करे। यदि नियंत्रण की व्यवस्था सुदृढ़ नहीं हुई तो जिस प्रकार माल्या और नीरव मोदी ने निचले नेताओं और सरकारी बैंकों के कर्मचारियों से मिलकर देश के बैंकों को चूना लगाया है उसी प्रकार तमाम निजी उद्यमी देश को चूना लगाते रहेंगे।

समस्या यह है कि नियंत्रक सरकारी कर्मचारी बिजनेस का नियंत्रण करने के स्थान पर उनके गलत कार्यो को समर्थन करते हैं। जैसे उत्तराखंड में बनने वाली सिंगोली भटवाड़ी जल विद्युत परियोजना की पर्यावरण स्वीकृति की मियाद समाप्त होने के बावजूद पर्यावरण मंत्रालय कंपनी पर सख्त कार्यवाही करने के बजाय उनकी मदद करके जन-अहितकारी और गैर कानूनी कार्य में मदद कर रहा है। सार्वजनिक इकाईयां फेल हैं; और नियंत्रण करने वाले सरकारी कमियों के भ्रष्टाचार के कारण निजी क्षेत्र फेल है। इनके भरोसे निजी उद्यमियों पर नियंत्रण करना संभव नहीं है।

इस समस्या का एकमात्र उपाय है कि सरकार जनता को सक्षम बनाये जो कि सरकारी नियंत्रकों और निजी उद्यमियों की मिलीभगत से होने वाले गलत कार्यो पर आवाज उठाये। सरकार को चाहिए कि नेशनल ग्रीन टिब्यूनल जैसे न्यायालयों में और हाई कोर्टो में सभी जजों की नियुक्ति करे। सरकार को चाहिए कि हर विभाग की आडिट कराए कि उनके कितने आदेशों की न्यायालयों द्वारा निरस्त किया गया है। सरकारी कíमयों की कार्यशैली ही होती है कि वे घूस लेकर बिजनेस के गलत कार्य को मदद करते हैं तत्पश्चात जनता को मजबूर करते हैं कि उन्हें घूस देकर उन गलत कार्य को सही कराये अथवा न्यायालय में जाकर रहत पाए।

न्यायालयों में जाने का खर्च सरकारी कर्मी घूस के रूप में वसूल करते हैं। यदि सरकार जनता को सक्षम नहीं बनाएगी तो देश में निजी उद्यमियों का आतंक फैलेगा और हम कुएं से निकलकर खाई में जा पड़ेंगे। जनता को सक्षम बनाने से ही प्रधानमंत्री का मंतव्य सफल होगा। महाभारत में कहा गया है कि राजा की स्थिति चमड़े के मशक जैसी होती है जिसकी एक सिलाई भी खुली रह गयी तो पानी नहीं टिकता है।

(वरिष्ठ अर्थशास्त्री)


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.