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सतर्कता आयोग कर रहा सरकारी बैंकों की ऑडिट रिपोर्ट की समीक्षा, यह है मकसद

सरकारी बैंकों और बीमा कंपनियों के मुख्य सतर्कता अधिकारियों के जरिए हो रही समीक्षा। धोखाधड़ी की संभावना को रोकना और सुधार के उपाय सुझाना मुख्य मकसद।

By TaniskEdited By: Published: Wed, 26 Dec 2018 09:26 PM (IST)Updated: Wed, 26 Dec 2018 09:26 PM (IST)
सतर्कता आयोग कर रहा सरकारी बैंकों की ऑडिट रिपोर्ट की समीक्षा, यह है मकसद

नई दिल्ली, प्रेट्र। केंद्रीय सतर्कता आयोग (सीवीसी) ने सरकारी बैंकों और बीमा कंपनियों की ऑडिट रिपोर्ट की समीक्षा शुरू की है। अधिकारियों ने कहा कि इस कवायद का मकसद धोखाधड़ी की संभावना को रोकना और सुधार के उपायों की सलाह देना है। सतर्कता आयुक्त टीएम भसीन ने कहा कि सीवीसी सेंट्रल स्टैच्युरिटी रिपोर्ट और ऑडिटर्स की रिपोर्ट की सभी सरकारी बैंकों और बीमा कंपनियों के मुख्य सतर्कता अधिकारी के जरिए समीक्षा करवा रहा है।

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उन्होंने कहा कि इन ऑडिट रिपोर्ट का आयोग में भी विश्लेषण किया जा रहा है और समयबद्ध ढंग से लागू किए जाने के लिए सुधारात्मक कार्ययोजना की सलाह भी दी जा रही है। किसी संगठन में भ्रष्टाचार और धोखाधड़ी की गतिविधियों पर रोक लगाने के लिए मुख्य सतर्कता अधिकारी सीवीसी की शाखा के रूप में काम करते हैं।

सरकारी आंकड़ों के मुताबिक 2015-16 और 2017-18 के दौरान विभिन्न बैंकों ने धोखाधड़ी के मामलों में बढ़ोतरी दर्ज की है। हाल में वित्त मंत्रालय द्वारा लोकसभा में दिए गए लिखित जवाब के मुताबिक 2017-18 में सूचीबद्ध वाणिज्यिक बैंकों और सरकारी बैंकों ने धोखाधड़ी के 8,802 मामले दर्ज किए। ऐसे मामलों की संख्या 2016-17 में 7,794 और 2015-16 में 7,482 थी। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआइ) बैंकों द्वारा दर्ज धोखाधड़ी के मामलों की निगरानी करता है।

अक्टूबर में सीवीसी ने पहली बार इस तरह का एक विश्लेषण किया था, जिसमें बैंकों के 100 सबसे बड़े धोखाधड़ी मामलों को शामिल किया गया था। इन मामलों में ज्वेलरी और विमानन सेक्टरों के भी मामले थे। इन मामलों के विश्लेषण के बाद सीवीसी ने अपनी रिपोर्ट आरबीआइ, प्रत्यर्पण निदेशालय (ईडी) और केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआइ) तथा अन्य एजेंसियों के साथ साझा की थी। इस विश्लेषण में धोखाधड़ी के लिए अपनाए गए तरीकों, कुल राशि, कर्ज के प्रकार (जैसे कंशोर्टियम या किसी एक बैंक का कर्ज), की गई गड़बड़ी, खामी जैसे पहलुओं पर ध्यान दिया गया।

भसीन ने इस पर एक रिपोर्ट जारी करते हुए कहा था कि इन 100 सबसे बड़े कर्ज धोखाधड़ी में अपनाए गए तरीकों का विश्लेषण किया गया और कई खामियों की पहचान की गई। उन्होंने कहा कि विश्लेषण के निष्कर्षो के आधार पर आखिरी रिपोर्ट में प्रणालीगत सुधारों के लिए उद्योग से जुड़े कई सुझाव भी दिए गए हैं। ये सुझाव वित्तीय सेवा विभाग और आरबीआइ को भी भेजे गए थे, ताकि इन खामियों को ठीक किया जा सके।


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