टिकटॉक ने की बैन लगाने वाली याचिका खारिज करने की मांग, PIL में आरोप- मौत का शिकार हो रहे लोग
Social media app Tiktok ने बांबे हाई कोर्ट से उस पर प्रतिबंध लगाने वाली याचिका खारिज करने की मांग की है। याचिका में आरोप लगाया गया है कि इस ऐप से लोग मौत का शिकार हो रहे हैं।
मुंबई, पीटीआइ। सोशल मीडिया एप टिकटॉक ने गुरुवार को बांबे हाई कोर्ट से उस पर प्रतिबंध लगाने वाली याचिका खारिज करने की मांग की है। मुंबई निवासी हीना दरवेश ने नवंबर 2019 में जनहित याचिका दाखिल कर दावा किया था कि टिकटॉक एप के कारण कई आपराधिक घटनाएं हुई हैं। लोग मौत का शिकार हो रहे हैं और यह युवाओं पर बुरा प्रभाव डाल रहा है। इसलिए, इस पर प्रतिबंध लगाया जाए।
वीडियो शेयरिंग एप की पैरवी कर रहे वरिष्ठ वकील मिलिंद सेठ ने कहा, 'सूचना प्रौद्योगिकी कानून की धारा 69-ए के तहत एक प्रक्रिया निर्धारित है। इसके अनुसार अगर व्यक्ति को किसी भी ऑनलाइन सामग्री से आपत्ति होती है तो वह नोडल अधिकारी से संपर्क कर उसे हटाने की मांग कर सकता है।'
कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश बीपी धर्माधिकारी और जस्टिस एनआर बोरकर ने याचिकाकर्ता के वकील को कंपनी की तरफ से दी गई दलीलों का जवाब देने को कहा और अगली सुनवाई के लिए तीन सप्ताह बाद का समय निर्धारित कर दिया। चीनी डेवलपर बाइटडांस ने वर्ष 2017 में टिकटॉक को लांच किया था। इसमें छोटे वीडियो साझा किए जा सकते हैं।
उल्लेखनीय है कि बीते दिनों सोशल मीडिया पर ‘स्कल ब्रेकर चैलेंज’ से जुड़े वीडियो सामने आ रहे थे। बच्चे इस चुनौती को स्वीकार करके खुद को नुकसान पहुंचा रहे थे। विशेषज्ञों की मानें तो ऐसे खेलों से बच्चों के सिर में चोट आ सकती है या फिर जोड़ों में चोट लग सकती है। यहां तक कि बच्चों की खोपड़ी तक टूट सकती है। दुनिया भर से इस चुनौती के चलते गंभीर रूप से चोटिल होने वाले लोगों के मामले सामने आए थे। इसके बाद टिकटॉक के खिलाफ आवाजें उठनी शुरू हुई थीं।