सतकोसिया टाइगर रिजर्व से निकलकर कुख्यात इलाके में पहुंचा बाघ
केंद्रीय मंत्री धर्मेन्द्र प्रधान के प्रस्ताव पर बाघ महावीर और बाघिन सुंदरी को सतकोशिया शिफ्ट किया गया है।
भोपाल, नई दुनिया। बांधवगढ़ और कान्हा टाइगर रिजर्व से ओडिशा के सतकोसिया टाइगर रिजर्व भेजे गए दो बाघों (बाघ और बाघिन) की जान खतरे में है। बाघ शिकार के लिए कुख्यात इलाके में पहुंच गया है तो बाघिन 40 दिन से विशेष बाड़े में कैद है। मध्य प्रदेश के वन्यजीव प्रेमियों ने दोनों की सुरक्षा और उन्हें वापस लाने की मांग की है। इस संबंध में नेशनल टाइगर कंजर्वेशन अथॉरिटी (एनटीसीए) को पत्र लिखकर कानूनी कार्रवाई की मांग भी की गई है।
एमपी से राज्यसभा सांसद और ओडिशा निवासी केंद्रीय मंत्री धर्मेन्द्र प्रधान के प्रस्ताव पर बाघ महावीर और बाघिन सुंदरी को सतकोसिया शिफ्ट किया गया है। सूत्रों के मुताबिक बाघ महावीर टाइगर रिजर्व से निकलकर कटक जिले के अतगढ़ वन क्षेत्र की नरसिंहपुर रेंज में पहुंच गया है। विशेषज्ञों के मुताबिक यह क्षेत्र हाथी, बाघ सहित अन्य वन्यजीवों के शिकार के लिए कुख्यात है। वहीं बाघों का मूवमेंट देख 19 जुलाई को पार्क की सीमा से सटे ग्रामों के लोग बाघों को गोली मारने की धमकी दे चुके हैं।
इस संबंध में वन्यजीव प्रेमी अजय दुबे ने एनटीसीए के सदस्य सचिव को ई-मेल कर सतकोशिया में वन्यप्राणी संरक्षण अधिनियम के उल्लंघन की शिकायत की है। साथ ही दोनों बाघों को वापस एमपी भेजने की मांग की है। ऐसा नहीं करने पर बाघों की हिफाजत के लिए कानूनी कार्रवाई की चेतावनी दी है। दुबे ने बताया है कि पार्क की सीमा से बाहर चले गए बाघ की देखरेख भी नहीं हो रही है। लगातार बारिश और स्थानीय जनता के विरोध के कारण मयूरभंग के सिम्पलीपाल टाइगर रिजर्व से मॉनीटरिंग के लिए हाथी नहीं मिलने से स्थिति खराब होती जा रही है। दुबे ने कहा कि ग्रामीणों की धमकी को ओडिशा सरकार नजरअंदाज कर रही है।