पीएम मोदी की ओर से दलाई लामा को जन्मदिन की बधाई देने पर खुश हुए तिब्बती, कहा- चीन को दिया कड़ा संदेश
तिब्बती संसद की सदस्य डोल्मा त्सेरिंग बोलीं परम पावन (दलाई लामा) को जन्मदिन की बधाई देने पर पीएम मोदी का यह एक सकारात्मक कदम है। पीएम मोदी यह संदेश देना चाहते हैं कि भारत अब तिब्बत के बारे में बात करने में अधिक पीछे नहीं रहने वाला है।
नई दिल्ली, एएनआइ। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को तिब्बती आध्यात्मिक नेता दलाई लामा के 86वें जन्मदिन पर उनके साथ टेलीफोन पर बातचीत की और उनके लंबे और स्वस्थ जीवन की कामना की। पीएम मोदी द्वारा लामा को जन्मदिन की बधाई देने पर तिब्बती बेहद खुश नजर आ रहे हैं और उनका कहना है कि इससे कड़ा संदेश चीन को जाएगा।
परम पावन (दलाई लामा) को जन्मदिन की बधाई देने पर पीएम मोदी का यह एक सकारात्मक कदम है। पीएम मोदी यह संदेश देना चाहते हैं कि भारत अब तिब्बत के बारे में बात करने में ज्यादा सतर्क नहीं रहने वाला है। यह चीन को एक बहुत कड़ा संदेश भेजता है: डोल्मा त्सेरिंग, तिब्बती संसद की सदस्य
तिब्बती संसद की सदस्य, डोल्मा त्सेरिंग बोलीं, 'परम पावन (दलाई लामा) को जन्मदिन की बधाई देने पर पीएम मोदी का यह एक सकारात्मक कदम है। पीएम मोदी यह संदेश देना चाहते हैं कि भारत अब तिब्बत के बारे में बात करने में अधिक पीछे नहीं रहने वाला है। यह चीन को बहुत कड़ा संदेश देता है।'
इसके अलावा लोबसंग वांग्याल (एक तिब्बती कार्यकर्ता) ने कहा, 'भारत और चीन के बीच सीमा मुद्दे के बावजूद, पीएम मोदी के द्वारा दलाई लामा को उनके जन्मदिन पर बधाई देना एक बेहतर संदेश है। इससे भारत अपनी ताकत दिखा रहा है। यह चीन के लिए बहुत कड़ा संदेश है।'
पीएम मोदी ने ट्वीट करके कहा, 'मैंने दलाई लामा से फोन पर बात की है और उन्हें उनके 86वें जन्मदिन पर बधाई दी है। हम उनके लंबे और स्वस्थ जीवन की कामना करते हैं।' बता दें कि तिब्बती आध्यात्मिक गुरु मंगलवार को अपना 86वां जन्मदिन मना रहे हैं।
वहीं, एक वीडियो संदेश में, दलाई लामा ने भारत की प्रशंसा की और कहा, जब से मैं एक शरणार्थी बन गया और अब भारत में बस गया, मैंने भारत की स्वतंत्रता और धार्मिक सद्भाव का पूरा लाभ उठाया है।
उन्होंने कहा कि भारत के धर्मनिरपेक्ष मूल्यों जैसे 'ईमानदारी, करुणा, और अहिंसा' के लिए उनके मन में बहुत सम्मान है।
दलाई लामा तिब्बत के आध्यात्मिक गुरु हैं। उनका जन्म 6 जुलाई 1935 को उत्तरपूर्वी तिब्बत के आमदो के तक्सेर में स्थित एक छोटे से गांव में एक किसान परिवार में हुआ था।