DATA STORY: इस बार बीते चुनाव के मुकाबले कम युवा होगी बिहार विधानसभा
17वीं विधानसभा शैक्षिक स्तर के मामले में नई विधानसभा के कमोबेश बराबर होगी। पीआरएस लेजिसलेटिव की रिपोर्ट के अनुसार 62 फीसद के पास 2015 में बैचलर डिग्री थी। 2020 में भी करीब-करीब ऐसी ही स्थिति है। डॉक्टरेट विधायकों की संख्या में बढ़ोतरी हुई है।
नई दिल्ली, अनुराग मिश्र/पीयूष अग्रवाल। बिहार चुनावों में इस बार एक तरफ युवा चेहरे तेजस्वी यादव थे तो दूसरी तरफ अनुभव से लबरेज प्रधानमंत्री मोदी और नीतीश कुमार। तेजस्वी के अलावा लोकजनशक्ति पार्टी की कमान युवा चिराग पासवान के हाथों में थी तो पीपुल्स पार्टी की उम्मीदवार पुष्पम प्रिया मैदान में दमखम से उतरी थीं। हालांकि, बाद में जीत एनडीए को मिली, पर तेजस्वी ने अपनी क्षमताओं का लोहा मनवा दिया। बिहार विधानसभा में इस बार बीते चुनावों के मुकाबले कम युवा विधायक बने हैं। इस बार 56 से 70 साल के विधायकों की संख्या में बीते चुनाव के मुकाबले बढ़ी है।
पीआरएस लेजिसलेटिव की रिपोर्ट के अनुसार, 25 से 40 आयु वर्ग के 14 फीसदी एमएलए इस बार विधानसभा पहुंचेगे। 2015 के चुनावों में इस आयु वर्ग के 16 फीसदी विधायक थे। वहीं 41 से 55 आयु वर्ग के निर्वाचित विधायकों की संख्या में भी कमी आई है। इस साल जहां 48 फीसद एमएलए के लिए विधानसभा का रास्ता खुला है, तो बीते चुनाव में इस आयु वर्ग के 53 फीसद उम्मीदवारों को जीत मिली थी। इस बार 56 से 70 आयु वर्ग के विधायकों की संख्या में इजाफा हुआ है। 2020 में 33 फीसदी इस आयु वर्ग के उम्मीदवार विधानसभा पहुंचे हैं तो बीते चुनाव में इस आयु वर्ग के 27 फीसदी लोग विधायक बने थे। 70 साल या इससे अधिक आयु वर्ग के 5 फीसद उम्मीदवारों ने जीत का परचम लहराया है, तो बीते चुनाव में 4 फीसद उम्मीदवारों ने जीत हासिल की थी।
शैक्षिक योग्यता में करीब समान है पिछली और नई विधानसभा
17वीं विधानसभा शैक्षिक स्तर के मामले में नई विधानसभा के कमोबेश बराबर होगी। पीआरएस लेजिसलेटिव की रिपोर्ट के अनुसार, 62 फीसद के पास 2015 में बैचलर डिग्री थी। 2020 में भी करीब-करीब ऐसी ही स्थिति है। डॉक्टरेट विधायकों की संख्या में बढ़ोतरी हुई है जो 7 फीसद से बढ़कर 9 फीसद हो गई है।