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कश्मीरी युवाओं को लुभा रहा ये आतंकी संगठन, इस साल 131 युवा हुए शामिल

पुलिस अधिकारियों ने बताया कि कई युवा अंसार गजवत-उल-हिंद में शामिल हो रहे हैं। यह समूह अलकायदा के समर्थन का दावा करता है।

By Ravindra Pratap SingEdited By: Published: Sun, 26 Aug 2018 10:41 PM (IST)Updated: Mon, 27 Aug 2018 12:49 PM (IST)
कश्मीरी युवाओं को लुभा रहा ये आतंकी संगठन, इस साल 131 युवा हुए शामिल

राज्य ब्यूरो, जम्मू। कश्मीर में स्थानीय युवकों की आतंकी संगठनों में बढ़ रही भर्ती रोकने के दावे नाकाफी साबित हो रहे हैं। इस साल अब तक 131 युवक विभिन्न आतंकी संगठनों में शामिल हो चुके हैं। 2010 के बाद आतंकी बनने वाले स्थानीय युवकों की यह सबसे ज्यादा संख्या है।

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इस साल अब तक आतंकी बने युवकों में सबसे ज्यादा 35 लड़के दक्षिण कश्मीर के जिला शोपियां के रहने वाले हैं। बीते साल पूरी वादी में 126 लड़के आतंकी बने थे। पुलिस अधिकारियों ने बताया कि कई युवा अंसार गजवत-उल-हिंद में शामिल हो रहे हैं। यह समूह अलकायदा के समर्थन का दावा करता है। इसका नेतृत्व जाकिर रशीद भट उर्फ जाकिर मूसा करता है। वह पुलवामा जिले के त्राल क्षेत्र का रहने वाला है। इस समूह की स्वीकार्यता धीरे-धीरे बढ़ रही है क्योंकि मूसा एकमात्र ऐसा आतंकी है जिसने हुर्रियत कांफ्रेंस के अलगाववादी नेताओं का दबदबा खत्म किया है।

कश्मीर को राजनीतिक मुद्दा बताने पर सिर कलम कर देने की धमकी दी है। कश्मीर में सुरक्षा स्थिति पर नजर रखने वाले अधिकारियों का मानना है कि 'शरीयत या शहादत' के मूसा के नारे ने पाकिस्तान के समर्थन वाले वषरें पुराने नारे की जगह ले ली है। उसने इंजीनियरिंग कॉलेज की पढ़ाई बीच में ही छोड़ दी। हिजबुल मुजाहिद्दीन के आतंकी बुरहान वानी की मौत के बाद 24 वर्षीय युवक ने युवाओं को आकर्षित किया है। वानी 2016 में मारा गया था। मूसा मुख्य तौर पर अपने संगठन के लिए भर्ती पर फोकस कर रहा है। नौजवानों को हथियार उठाने के लिए उकसा रहा है।

पुलिस के अनुसार भले ही अंसार गजवत-उल- हिंद का घाटी में बहुत आधार नहीं हो, लेकिन गांव और कस्बे में उसकी लोकप्रियता बढ़ती जा रही है। वहीं राज्य विधानसभा और संसद में पेश हालिया आंकड़ों के मुताबिक 2010 से 2013 की तुलना में 2014 के बाद घाटी में हथियार उठाने वाले नौजवानों की संख्या बढ़ती गई। 2010 से 2013 तक यह आंकड़ा क्रमश : 54, 23, 21 और छह था। 2014 में यह संख्या बढ़कर 53 हो गई। 2015 में 66 तथा 2016 में यह 88 तक चली गई।


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