दिल्ली की सड़कों पर जरा संभलकर: पंजाबी बाग वाला हादसा आपके साथ भी हो सकता है
एक आंकड़े के मुताबिक देश भर में हर रोज सड़क हादसों में करीब 400 लोगों की मौत हो रही है।
नई दिल्ली [स्पेशल डेस्क] । दिल्ली की सड़क सोमवार को हुआ एक हादसा तीन परिवारों को गहरा जख्म दे गया। पंजाबी बाग फ्लाइओवर पर रेलिंग को तोड़ते हुए एक होंडा सिटी कार चालीस फुट नीचे रेलवे ट्रैक पर जा गिरी जिसमें तीन छात्रों की मौत हो गई। पुलिस का कहना है कि तेज रफ्तार कार का टायर फट गया और अनियंत्रित कार फ्लाइओवर से जा गिरी। ऐसा नहीं है कि इस तरह के सड़क हादसे सिर्फ दिल्ली में होते हैं। लेकिन ये हादसे सुर्खियों में इसलिए जगह बनाते हैं क्योंकि आमतौर पर ये माना जाता है कि दिल्ली, देश की राजधानी है और यहां सड़कों की डिजाइन, रखरखाव बेहतर ढंग से होता होगा। इसके अलावा एक सवाल ये भी उठता है कि हादसों के लिए क्या सिर्फ वाहन चालक जिम्मेदार हैं या व्यवस्था में बुनियादी कमी है।
दिल्ली के डॉर्क स्पॉट
आइएसबीटी कश्मीरी गेट
एम्स
धौलाकुआं
नांगलोई डीटीसी डिपो
अक्षरधाम मंदिर
सुभाष नगर मेट्रो स्टेशन
उत्तम नगर मेट्रो स्टेशन
महिपालपुर फ्लाईओवर
मूलचंद
आली गांव
आजादपुर सब्जीमंडी
राजौरी गार्डन
फायर स्टेशन नजफगढ़
खेल गांव
खजूरी चौक
आइटीओ फ्लाईओवर
बुराड़ी चौक
दिल्ली के सड़कों का हाल
दिल्ली में रजिस्टर्ड गाड़ियों की संख्या 90 लाख हैं। जबकि सड़कों की कुल लंबाई मात्र 3 हजार किलोमीटर है। ऐसे में यातायात पुलिस को यातायात प्रबंधन में भारी मुश्किलों का सामना करना पड़ता है। पुलिस का कहना है कि राजधानी में यातायात समस्या को बड़े इलाज की जरूरत है। दिल्ली यातायात पुलिस के मुाताबिक सड़कों की खराब डिजाइन और वाहन चालकों की अनुशासनहीनता दिल्ली में यातायात जाम का बड़ा कारण है।
सड़क की इंजीनियरिंग डिजाइन में दोष है। कई स्थानों पर छह लेन अचानक चार लेन की हो जाती है, इससे सड़क संकरी हो जाती है। लोग लेन प्रणाली का भी पालन नहीं करते, जिससे समस्या और बढ़ जाती है।
दिल्ली यातायात पुलिस में सिर्फ 5,000 कर्मी हैं, यानी, हर पुलिस पर 2,100 वाहनों का दबाव है। इसके अलावा दिल्ली में हर रोज 1,400 नए वाहनों का पंजीकरण भी हो रहा है।
जानकार की राय
ऑटो एक्सपर्ट टूटू धवन ने जागरण.कॉम से विशेष बातचीत में बताया कि पंजाबी बाग हादसे के पीछे दो वजहें हो सकती हैं। उनके मुताबिक या तो कार का टायर पुराना रहा होगा या सड़क पर किसी मेटल की वजह से टायर पंक्चर हुआ होगा और कार फ्लाइओवर की रेलिंग तोड़कर रेलवे ट्रैक पर गिर गई होगी।
यमुना एक्सप्रेस वे पर हादसों के बारे में उन्होंने कहा कि गर्म होने की वजह से टायर फट जाते हैं। टायर को फटने से बचाने के लिए हवा का दबाव सही होना चाहिए। इसके अतिरिक्त ये सुनिश्चित करना चाहिए कि टायर ज्यादा पुराने न हों।
एक वर्ष में सड़क हादसों से कितनी मौतें?
भारत
देश में हर साल एक लाख चालीस हजार लोग सड़क हादसों में जान गंवाते हैं। अगर एक दिन में की बात करें तो ये आंकड़ा 383 का होता है। वहीं राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो तो यह आंकड़ा 461 बताता है। यानी हर घंटे 19 और हर तीन मिनट पर एक व्यक्ति सड़क हादसे में अपनी जान गंवाता है। इसे यूं भी कहा जा सकता है कि हर वर्ष आइसलैंड-मालदीव जैसे देशों की कुल आबादी की आधी के बराबर जनसंख्या सड़क हादसों की बलि चढ़ जाती है।
अमेरिका
अमेरिका में सड़क हादसों से हुई मौतों की बात की करें तो आंकड़ा भारत से बहुत कम है। जी हां, अमेरिका में रोड एक्सीडेंट में हर वर्ष मरने वाले लोगों की संख्या महज 41,292 है।
चीन
चीन की बात करें तो यहां का आंकड़ा अमेरिका से तो ज्यादा है, लेकिन भारत से बेहद कम है। जी हां, भारत की ही तरह ज्यादा जनसंख्या वाले देश चीन में सड़क हादसों से मरने वाले लोगों की संख्या प्रति वर्ष महज 97,551 है। यानी चीन का आंकड़ा भारत में हुए सड़क हादसों से हुई मौतों से लगभग 42 हजार कम है।
रूस
रूस की बात करें तो यहां भी यह आंकड़ा सिर्फ भारत ही नहीं बल्कि अमेरिका और चीन से भी कम है। ज्यादा क्षेत्रफल वाले देश रूस में यह आंकड़ा महज 37,349 है। यानी भारत से तकरीबन एक लाख से भी ज्यादा कम।
जापान
जापान ने इस देश ने सभी देशों के सामने एक मिसाल पेश की है। यहां हर साल सड़क हादसे से हुई मौतों में कमी आई है। यहां 2013 में सड़क हादसों के दौरान 4,373 लोगों की जान गई थी, जबकि 2012 में यह आंकड़ा 2013 के आंकड़े से 38 ज्यादा था।
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