Move to Jagran APP

जंगल के इस फल ने रोका गांव से पलायन

पलायन से खाली होते द्वारीखाल ब्लॉक के ग्वीनी गांव की पहल से बदले हालात...

By Srishti VermaEdited By: Published: Mon, 19 Jun 2017 10:10 AM (IST)Updated: Mon, 19 Jun 2017 10:10 AM (IST)
जंगल के इस फल ने रोका गांव से पलायन
जंगल के इस फल ने रोका गांव से पलायन

जागरण संवाददाता, कोटद्वार : पहाड़ की सबसे बड़ी पीड़ा है पलायन। रोजगार की तलाश में निकले लोगों ने एक बार गांव छोड़ा तो लौटकर नहीं आए। नतीजा, उत्तराखंड के तीन लाख घरों में ताले लग गए। पौड़ी जिले के द्वारीखाल ब्लाक के ग्वीन (छोटा) गांव भी इन्हीं में से एक था, लेकिन आज हालात बदल रहे हैं। महिलाओं ने घर पर अचार और चटनी बनाकर छोटा सा कारोबार शुरू किया तो इसकी महक हरिद्वार और देहरादून तक फैल गई।

loksabha election banner

घर बैठे हर माह ढाई से तीन हजार रुपये कमाने वाले ग्वीन गांव की ममता देवी बताती हैं कि सिर्फ तीन साल पहले तक गांव की आबादी करीब 250 थी, लेकिन आज आधे से ज्यादा लोग पलायन कर चुके हैं। पहले हम घास-पात और चूल्हे-चौके में ही दिन बिता देते थे, मगर अब ऐसा नहीं है। वह बताती हैं कि हमारे द्वारा तैयार गींठी, तिमला, आम, कटहल, पहाड़ी मिर्च, पहाड़ी आंवला, कंडाली और र्बंसगा का अचार व चटनी के दीवाने सिर्फ कोटद्वार ही नहीं, देहरादून और हरिद्वार तक हैं। दरअसल, गांव को इस मुकाम तक खड़ा करने का श्रेय जाता है स्वयं सेवी संस्था हिमगढ़ केसरी के संस्थापक मनोज सिंह को।

मनोज बताते हैं कि इसी गांव के कमल उनियाल उनके मित्र हैं। एक दिन बातों-बातों में उन्होंने अपनी पीड़ा बयां की। फिर क्या था, मनोज ने कमल के सहयोग से हालात बदलने की ठान ली। वर्ष 2016 में दोनों ने मिलकर गांव में महिलाओं को अचार, चटनी व जूस बनाने का प्रशिक्षण दिया। तय किया गया कि अचार व चटनी पहाड़ी फल से ही बनाए जाएंगे। इसके लिए एक छोटी सी फैक्ट्री शुरू की गई। संतोषी और मीरा देवी बताती हैं कि शुरू में पांच-छह महिलाएं ही मुहिम से जुड़ीं, लेकिन धीरे- धीरे यह संख्या बढ़ने लगी। आज 25 महिलाएं अचार व चटनी से अपने परिवार को आर्थिक संबल दे रही हैं।

इस तरह होता है कार्य
महिलाएं गींठी, तिमला, पहाड़ी आम, कटहल, पहाड़ी मिर्च, आंवला आदि को एकत्र फैक्ट्री तक लाती हैं। तैयार उत्पाद खच्चरों के जरिए द्वारीखाल बाजार स्थित गोदाम में लाया जाता है। यहां से तैयार उत्पाद कोटद्वार, ऋषिकेश, सतपुली, हरिद्वार व देहरादून के बाजार में भेजा जाता है। मनोज बताते हैं कि फैक्ट्री में प्रतिदिन एक क्विंटल माल तैयार हो रहा है।

-हरिद्वार और देहरादून तक जा रहा ग्वीन की चटनी और अचार
-25 महिलाएं अचार व चटनी से परिवार को दे रही आर्थिक संबल स्वरोजगार


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.