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    Mahatma Gandhi Death Anniversary : बापू की इन बातों ने ला दिया था भूचाल, सदियों तक दिखाती रहेंगी रास्‍ता

    By Krishna Bihari SinghEdited By:
    Updated: Thu, 30 Jan 2020 08:26 AM (IST)

    Mahatma Gandhi Death Anniversary बापू कहते थे कि आदमी अपने विचारों से निर्मित एक जीव है वह जैसा सोचता है वैसा ही बन जाता है। पढ़ें बापू के महत्‍वपूर्ण बयान।

    Mahatma Gandhi Death Anniversary : बापू की इन बातों ने ला दिया था भूचाल, सदियों तक दिखाती रहेंगी रास्‍ता

    नई दिल्‍ली [जागरण स्‍पेशल]। Mahatma Gandhi Death Anniversary गांधी जी अकेले ऐसी शख्सियत थे जिनकी बातों से दुनिया को एक नई दिशा मिली। यह बापू ही थे जिनकी एक बात पर जन सैलाब कुछ भी कर गुजरने को बेताब हो जाता था। उनकी अनमोल बातों ने हर किसी को प्रेरणा देने का काम किया। सामाजिक बुराइयों के खिलाफ उनकी बातों ने लोगों पर जादू का काम किया। उन्‍होंने छूआछूत से लेकर दलितों पर हो रहे अत्‍याचारों के खिलाफ आवाज बुलंद की। उनकी पुण्‍यतिथि के मौके पर हम आपको उनकी कही गई कुछ ऐसी बातें बता रहे हैं जो समाज को सदियों तक प्रेरणा देती रहेगी।

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    अच्‍छी सोच बनाती है बेहतर इंसान

    बापू कहते थे कि 'आदमी अपने विचारों से निर्मित एक जीव है वह जैसा सोचता है वैसा ही बन जाता है।' महात्‍मा गांधी की यह बात आज भी प्रासंगिक है। व्‍यक्ति की सोच उसका व्‍यक्तित्‍व यानी पर्सनॉलिटी तय करती है। बापू ने एक और मजेदारब बात कही थी। उन्‍होंने कहा था कि 'यदि चाहते है दुनिया वैसी दिखे जैसा आप चाहते हो तो सबसे पहले खुद वह बदलाव लाइये जैसा आप दुनिया में देखना चाहते हैं।' यानी बापू 'पर उपदेश कुशल बहुतेरे' वाली कहावत से लोगों को दूर रहने की बात कहते थे। उनका मानना था कि आप अच्‍छी बातों का अनुकरण पहले खुद करें उसके बाद दूसरों को अपनाने की बात करें...

    सत्‍य को भीड़ की जरूरत नहीं

    महात्‍मा गांधी ने कहा था, 'इस दुनिया में सत्य बिना जन समर्थन के भी खड़ा रहता है क्योंकि सत्‍य सर्वदा आत्मनिर्भर है।' इस कथन का आशय है कि सत्‍य के लिए किसी जन समर्थन या भीड़ की जरूरत नहीं है। सच्‍चाई में इतनी ताकत होती है कि वह तमाम आरोपों प्रत्‍यारोंपों के बीच अडिग और आत्मनिर्भर खड़ा रहता है। सत्‍य की ताकत की आगे दुनिया की सारी श‍िक्तियां घुटने टेक देती है। बापू की यह बात उस कहावत को सत्‍यापित करती है जिसमें कहा गया है कि सत्‍य परेशान हो सकता है किंत पराजित नहीं...

    खुद की बुराई देखो, विचारों को शुद्ध रखो

    बापू ने कहा था कि 'दूसरों में अच्छाई देखो और खुद में बुराई देखो यही आपकी सबसे बड़ी अच्छाई हैं।' महात्‍मा गांधी ने यह भी कहा था कि 'हमेशा लोगों को अपने विचारों, शब्दों और कर्म के पूर्ण सामंजस्य का लक्ष्य रखना चाहिए। हमेशा अपने विचारों को शुद्ध करने का लक्ष्य रखें, उसके बाद सब कुछ ठीक हो जायेगा।' बापू ने यह भी कहा था कि 'ऐसे जियो जैसे कि तुम कल मरने वाले हो ऐसे सीखो की तुम हमेशा के लिए जीने वाले हो।' यानी बापू सदैव सीखते रहने की वकालत करते थे। इस वाक्‍य में जीवन के पल प्रतिपल को जीने की भी बात कर रहे हैं।

    पाप से घृणा करो पापी से नहीं

    महात्‍मा गांधी कहते थे कि 'जब भी आप निराशा की आगोश में आएं, याद कर लें हमेशा सत्य और प्यार के पथ की ही जीत होती है। बापू क्रोध नहीं करने की सलाह देते थे। वह कहते थे कि 'गुस्से में कोई फैसला न करें क्योंकि क्रोध सही समझ का दुश्मन होता है।' महात्‍मा गांधी ने कहा था कि पाप से घृणा करो पापी से नहीं क्योंकि किन्हीं कारणों से ही पापी पाप करता है। उन्‍होंने यह भी कहा था, 'अपने आपको जानने का सर्वश्रेष्ठ तरीका है स्वयं को दूसरे लोगों की सेवा में डुबो देना।'

    सबसे सशक्‍त है मौन

    बापू कहते थे कि 'आदमी का मौन सबसे सशक्त भाषण है, धीरे-धीरे दुनिया आपको सुनेगी लेकिन आपको कुछ अलग करना होगा।, अच्छा सोचो, लेकिन सोचो जरुर क्योंकि जैसा आप सोचते हैं वैसे ही बन जाते हैं।' अंग्रेज महात्‍मा गांधी को परेशान करने का कोई भी मौका नहीं चूकते थे लेकिन तमाम मुश्किलों दुश्‍वारियों के बावजूद बापू खुश रहने और दूसरों को खुशी देने में यकीन रखते थे। वह कहते थे... खुशी ही एकमात्र ऐसी सेंट है जिसे अगर कोई दूसरों पर छिड़कता है तो कुछ बूंदें छिड़कने वाले पर भी अवश्य गिरेंगी।

    वो आप पर हंसेंगे फ‍िर लड़ेंगे... समझो तब आप जीत गए

    बापू विरोधियों के बारे में एक चर्चित बात कहते थे। उनका कहना था कि 'पहले वो आप पर ध्यान नहीं देंगे फिर वो आप पर हंसेंगे फिर वो आप से लड़ेंगे और तब आप जीत जायेंगे! वह लोगों को इस बात को आजमाने की बात करते थे। वह कहते थे कि आप अपने जीवन में यह करके जरूर देखें। महात्‍मा गांधी आजादी के सबसे बड़े हिमायती थे। उनका कहना था कि आप जब तक आजाद नहीं है तब तक आपको गलती करने का अधिकार नहीं हैं। वह यह भी कहते थे कि 'ये बात हम सबको अपने जीवन में उतरना चाहिए जहां प्रेम है वहां जीवन है।'

    अपनी गलती को स्वीकारना गंदगी साफ करने जैसा

    महात्‍मा गांधी का पूरा जीवन सत्‍य और अहिंसा पर आधारित था। वह कहते थे... मेरा धर्म सत्य और अहिंसा पर आधारित है सत्य मेरा भगवान है अहिंसा उसे पाने का साधन।, अपनी गलती को स्वीकारना झाड़ू लगाने के सामान है जो सतह को चमकदार और साफ कर देती है। अपने प्रयोजन में अधिक विश्वास रखने वाले व्यक्ति का सूक्ष्म शरीर इतिहास के रुख को बदल सकता है। उनका कहना था कि हमें ये समझना चाहिए कि भगवान का कोई धर्म नहीं है वो सबके लिए एक है। आज जब धर्म के नाम पर लोग एकदूसरे के खून के प्‍यासे हैं... बापू की ये बातें लोगों को इंसानियत के लिए जीने की प्रेरणा देती हैं। बापू की उक्‍त बातें आज ही नहीं सदियों तक प्रासंगिक रहेंगी।