'ऐसे जघन्य अपराध के लिए फांसी के अलावा कोई सजा नहीं': जबलपुर हाईकोर्ट
हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश हेमंत गुप्ता व जस्टिस विजय कुमार शुक्ला की युगलपीठ ने इस मामले को विरल से विरलतम की श्रेणी में रखते हुए फैसला सुनाया।
जबलपुर, नईदुनिया। हाई कोर्ट ने 4 साल की मासूम से दुष्कर्म के बाद हत्या के मामले में कहा कि ऐसे जघन्य अपराध के लिए फांसी के अलावा कोई दूसरी सजा नहीं हो सकती। लिहाजा, सेशन कोर्ट शहडोल द्वारा सुनाई गई मृत्युदंड की सजा पर मुहर लगाई जाती है। हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश हेमंत गुप्ता व जस्टिस विजय कुमार शुक्ला की युगलपीठ ने इस मामले को विरल से विरलतम की श्रेणी में रखते हुए फैसला सुनाया।
इसी के साथ दुष्कर्म व हत्या के आरोपित 26 वर्षीय युवक विनोद उर्फ राहुल चौहथा की अपील खारिज कर दी गई। यह है मामला अभियोजन के मुताबिक आरोपित विनोद उर्फ राहुल चौहथा ने 13 मई 2017 को बालिका को टॉफी का लालच देकर अगवा किया। फिर दुष्कर्म के बाद गला दबाकर हत्या कर दी थी।
प्रत्यक्षदर्शी गवाह न होने पर परिस्थितिजन्य साक्ष्य के आधार पर सजा इस मामले में खास बात यह है कि अभियोग-पत्र पेश होने के बाद ट्रायल कोर्ट ने किसी प्रत्यक्षदर्शी गवाह के अभाव के बावजूद परिस्थिति जन्य साक्ष्यों की क़़डी को जोड़कर दोष सिद्ध पाते हुए 28 फरवरी 2018 को फांसी की सजा सुनाई। इससे पूर्व 21 साक्षियों का परीक्षण भी किया गया। इसी सजा के खिलाफ आरोपित ने हाई कोर्ट में अपील की थी।