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कोरोना वायरस और डेंगू के लक्षण हैं काफी समान, दोनों के बीच है बारीक सा अंतर, जानें इस बारे में

बीते 10 माह से कोविड-19 महामारी चहुंओर फैली हुई है। इधर डेंगू का प्रकोप भी कोविड-19 को ओवरलैप कर रहा है। कारण है कि इन दोनों बीमारियों का संक्रमण ज्यादातर एक समान होता है और इनके लक्षणों का पता भी प्रयोगशाला में होने वाली जांचों के उपरांत ही चलता है।

By Arun Kumar SinghEdited By: Published: Thu, 22 Oct 2020 06:15 AM (IST)Updated: Thu, 22 Oct 2020 10:23 AM (IST)
कोरोना वायरस और डेंगू के लक्षण की सांकेतिक फोटो।

 (पद्मश्री प्रोफेसर रविकांत, निदेशक, अखिल भारतीय आर्युविज्ञान संस्थान (एम्स), ऋषिकेश)। इन दिनों देशभर में डेंगू के मामले सामने आ रहे हैं तो वहीं पहले से ही मौजूद कोविड-19 स्थिति को और गंभीर बना रहा है। लगभग एक समान लक्षणों वाली इन तकलीफों में सतर्कता और सही जांच ही अंतर करने में सहायक है। ऐसे में जागरूकता और बचाव के उपायों को अपनाते हुए रहें निरोगी...

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बीते 10 माह से कोविड-19 महामारी चहुंओर फैली हुई है। इधर, डेंगू का प्रकोप भी कोविड-19 को ओवरलैप कर रहा है और उचित उपचार के लिए एक चुनौती बन रहा है। कारण है कि इन दोनों बीमारियों का संक्रमण ज्यादातर एक समान होता है और इनके लक्षणों का पता भी प्रयोगशाला में होने वाली जांचों के उपरांत ही चलता है। ऐसे में डेंगू की कोविड-19 के रूप में गलत पहचान अस्पताल के लिए बड़ी परेशानी बन सकती है। तो वहीं सह-संक्रमित होने की स्थिति में दोनों बीमारियों में अंतर करना बहुत मुश्किल है। इतना जरूर है कि लक्षणों की प्रारंभिक पहचान के आधार पर रोग को गंभीर होने से रोका जा सकता है।

संकेतों पर करें गौर

इस महामारी के दौरान तेज बुखार आते ही डेंगू और कोविड बीमारी के संकेतों पर विचार करने की आवश्यकता है। हालांकि, दोनों के निदान के लिए उच्च संवेदनशीलता और विशिष्ट परीक्षण की सुविधाएं हैं, लेकिन हर जगह इनकी उपलब्धता न होना चिंता का विषय है। कोविड और डेंगू के बीच अंतर करना मुश्किल है। डीईएनवी और सार्स-सीओवी-2 सीरोलॉजी टेस्ट (आसानी से उपलब्ध और प्रमाणित नहीं) में प्रदर्शित हुई एंटीबॉडीज के बीच कभी-कभी क्रॉस-रिएक्टिविटी रिपोर्ट दर्ज की गई हैं।

दोनों कुछ पैथोफिजियोलॉजिकल समानताएं प्रदर्शित करते हैं। साइटोकिन स्टॉर्म स्ट्रोम और इंफ्लेमेट्री थ्रोंबोसिस सिंड्रोम कोविड में कुछ प्रमुख लक्षण हैं, जो कि डेंगू में भी देखे गए हैं। दोनों के बीच अंतर करना मुश्किल है, क्योंकि यह एक संवहनी और श्वसन से संबंधित रोग है। डेंगू के संकेतों में लगातार उल्टी आना, म्यूकोसल रक्तस्राव, सांस लेने में कठिनाई, सुस्ती व बेचैनी, पोस्टुरल हाइपोटेंशन आदि शामिल हैं जबकि, कोविड-19 के लक्षणों में सांस लेने में कठिनाई, लगातार दर्द या छाती में दबाव, जागने या जागते रहने में असमर्थता, होंठ या चेहरा नीला दिखाई देना आदि शामिल हैं। हालांकि, उक्त लक्षण बीमारी के संकेत के लिए पर्याप्त नहीं हैं।

नैदानिक प्रबंधन जरूरी

दोनों रोगों के लिए नैदानिक प्रबंधन सहायक है। कोविड-19 की देखभाल में मूल रोगी को अन्य लोगों से अलग रखना और ऑक्सीजन या वेंटिलेशन की आवश्यकता होती है। डेंगू रोगी के विपरीत कोविड-19 के गंभीर रोगी को जीवित रहने के लिए प्राथमिक चिकित्सा के रूप में स्टेरॉयड और हेपरिन की आवश्यकता होती है। अधिक महत्वपूर्ण बात यह है कि दोनों बीमारियों के मरीजों को अलग-अलग तरीकों से सौ प्रतिशत तक स्वस्थ किया जा सकता है। अभी तक दोनों बीमारियों के लिए कोई संतोषजनक टीका उपलब्ध नहीं है। 

हालांकि, कुछ देशों में डेंगू के टीके को शुरुआती सफलता मिल रही है। हाल ही में स्वास्थ्य चिकित्सा का सारा ध्यान और फंडिंग कोविड-19 के उपचार में लगाया गया है। वेक्टर नियंत्रण उपायों को बनाए रखने और बढ़ाने के लिए इसका अत्यधिक महत्व है। बुजुर्ग, गर्भवती महिला, शिशु और पुरानी बीमारी वाली चिकित्सा स्थितियों वाले घरों में शारीरिक तौर से कमजोर सदस्यों को कीट रिपेलेंट्स का उपयोग करने के लिए प्रोत्साहित किया जाना चाहिए। चूंकि, प्राथमिक देखभाल को डेंगू और कोविड-19 की आशंका वाले व्यक्तियों की देखभाल के लिए लाभकारी माना जाता है, इसलिए प्राथमिक स्वास्थ्य सेवा प्रणाली इसमें आवश्यक घटक है और इसे समय पर उपचार व पर्याप्त नैदानिक प्रबंधन के लिए मजबूत तौर पर तैयार किया जाना चाहिए।

जागरूकता से घटा खतरा

अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) ऋषिकेश की ओर से 2019 में शुरू की गई ‘डेंगू सेवन प्लस’ पहल एक अद्वितीय गहन सामुदायिक जागरूकता एवं कार्यान्वयन कार्यक्रम है। यह डेंगू और उसकी अभिव्यक्तियों की सक्रिय निगरानी, समुदाय को अधिक सशक्त तरीके से ज्ञान एवं इस बीमारी के प्रति जागरूक करने, बुखार के मामलों पर नजर रखने, सक्रिय मच्छर प्रजनन स्थलों की पहचान, प्रशिक्षण एवं हितधारकों की क्षमता निर्माण पर आधारित है। 

डेंगू के मौसम के दौरान गहन जागरूकता अभियान चलाया जाता है। डॉक्टर, छात्र, स्वास्थ्य निरीक्षक, स्वास्थ्य पर्यवेक्षक, बायोमेडिकल प्रबंधन प्रतिनिधि व इंजीनियरों की एक बहु-विषयक टीम ने यह अभियान शुरू किया और विभिन्न क्षेत्रों में दौरों को जारी रखा। डेंगू की रोकथाम और नियंत्रण के लिए अन्य उपायों के साथ मिलकर मच्छर प्रजनन स्थलों की पहचान की गई। इस पहल में नगर पालिका, आशा कार्यकर्ता, एएनएम और ऐसे ही अन्य प्रतिनिधियों को भी शामिल किया गया है, जो झुग्गी-झोपड़ी एवं आस-पास के इलाकों में डेंगू के बढ़ते खतरे को रोक सकते हैं। इसके परिणाम अत्याधिक उत्साहजनक रहे और इस रोग के मामलों की संख्या में काफी कमी आई है। कोविड-19 के लिए भी इसी तरह का कार्यक्रम तैयार किया जा रहा है, जिसे शीघ्र लागू किया जाएगा।

सावधानी ही बचाव

डेंगू हो या कोविड-19, दोनों घातक बीमारियों को रोकने के लिए महत्वपूर्ण है कि हम:

- अनिवार्य रूप से कम से कम एक मीटर की शारीरिक दूरी बनाए रखें। 

- हाथों की सौ प्रतिशत स्वच्छता रखें।

- अनावश्यक तौर पर सार्वजनिक स्थलों पर न जाएं और यदि जरूरी है तो स्वच्छ मास्क अवश्य पहनें।

- खांसी के दौरान रूमाल का उपयोग करें।

 - अपने आस-पास पूर्ण स्वच्छता रखें। समय-समय पर कीटनाशक छिड़काव कराएं।

 - बीमार होने पर बिना विलंब किए डॉक्टर से मिलें और हमेशा सतर्क रहें।

प्रस्तुति: हरीश तिवारी, ऋषिकेश


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