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पाकिस्तान परस्त हुर्रियत भी पहली बार राजनाथ सिंह के दौरे के वक्त बंद का आह्वान करने की हिम्मत नहीं जुटा पाया।
नीलू रंजन, नई दिल्ली : रमजान के दौरान आतंकियों के खिलाफ आपरेशन बंद करने का दांव सफल रहा। पहली बार कश्मीर की सड़कों पर न सिर्फ आम लोगों ने गृहमंत्री राजनाथ सिंह का जोरदार स्वागत किया। नई परंपरा शुरू करते हुए मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती के इफ्तार पार्टी के पहले राष्ट्रगान बजाया गया और सबने खड़े होकर इसका सम्मान किया। पाकिस्तान परस्त हुर्रियत भी पहली बार राजनाथ सिंह के दौरे के वक्त बंद का आह्वान करने की हिम्मत नहीं जुटा पाया।
राजनाथ सिंह के कश्मीर दौरे पर नजर रखने वाले उच्च पदस्थ आधिकारिक सूत्रों के मुताबिक, इसके पहले के गृहमंत्री समेत किसी भी बड़े नेताओं के दौरे के समय सडकें खाली होती थीं। व़ह अधिकारियों के साथ बातचीत कर लौट आते थे। लेकिन इस बार फिजा बदली-बदली नजर आई। राजनाथ सिंह के स्वागत के लिए बड़ी संख्या में लोग सड़क के दोनों किनारे पर खड़े थे। स्टेडियम में खिलाडि़यों के सम्मान समारोह के दौरान छह हजार से अधिक की भीड़ ने जिस जोश के साथ राजनाथ का स्वागत किया, वह देखने लायक था। युवाओं ने सीटियां और तालियां बजाकर अपने जोश का इजहार किया। एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि एक महीना पहले तक इसकी कल्पना नहीं की जा सकती थी।
राजनाथ सिंह की आवभगत में आम कश्मीरियों के बीच गर्मजोशी के साथ ही भारतीय प्रतीकों के प्रति बढ़ा सम्मान भी देखने को मिला। महबूबा मुफ्ती के इफ्तार पार्टी के पहले राष्ट्रगान हुआ। जबकि इफ्तार से पहले राष्ट्रगान बजाने की कोई परंपरा नहीं है। सबसे बड़ी बात यह है कि इफ्तार पार्टी में मौजूद सभी लोगों ने खड़े होकर राष्ट्रगान को सम्मान दिया। वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि पाकिस्तान परस्त हुर्रियत नेताओं और आतंकियों को छोड़कर आम जनता भारत से जुड़ती हुई नजर आई।
कश्मीर की सुरक्षा से जुडी एजेंसियों का मानना है कि हालात बदलने में रमजान के महीने में आतंकियों के खिलाफ आपरेशन बंद रखने का फैसला मास्टर स्ट्रोक साबित हुआ। एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि आतंकियों ने इस फैसले को विफल करने की भरसक कोशिश की। लेकिन सुरक्षा बलों ने संयम से काम लिया।
दूसरी ओर पूरे देश में सोशल मीडिया पर इस फैसले की आलोचना भी बहुत हुई। आपरेशन बंद करने के साथ-साथ राजनाथ सिंह ने यह साबित करने की भरपूर कोशिश की कि घाटी के लोगों और खासकर युवाओं का असली हितचिंतक भारत ही है। उनका कहना था कि पाक प्रायोजित आतंकवाद के कारण घाटी में युवाओं की दो पीढि़यों का भविष्य नष्ट हो चुका है, लेकिन तीसरी पीढ़ी को इसका शिकार होने से बचाना है।