दुनिया के सबसे बड़े विमान में बैठना चाहेंगे..जानिए जल्द उड़ान भरने वाले इस विमान की खासियत
दो कॉकपिट, 28 पहियों और छह इंजन वाला यह दुनिया का पहला विमान है। इसके डैनों की चौड़ाई (विंगस्पैन) फुटबॉल मैदान से भी अधिक है।
नई दिल्ली [जेएनएन]। दो कॉकपिट, 28 पहियों और छह इंजन वाला यह दुनिया का पहला विमान है। इसके डैनों की चौड़ाई (विंगस्पैन) फुटबॉल मैदान से भी अधिक है। स्ट्रैटोलांच नामक इस विमान को माइक्रोसॉफ्ट के सह-संस्थापक पॉल एलन ने पिछले साल जून में अनावरत किया था।
इस प्रोजेक्ट में एलन के पार्टनर बर्ट रटन की कंपनी स्केल्ड कंपोसिट्स ने इसका निर्माण किया है। यह विशालकाय विमान रॉकेट के लिए हवाई लांचपैड का काम करेगा। हाल ही में इसके दो परीक्षण हुए हैं। तीन और परीक्षणों के बाद यह इस साल गर्मियों में पहली उड़ान भरेगा।
इसे विशेष रूप से रॉकेट व उपग्रहों को लांच करने के लिए डिजायन किया गया है।
यह विशालकाय एयर पैड की तरह काम करेगा जहां से रॉकेट व पेलोड कम समय में अंतरिक्ष पहुंच पाएंगे।
इसके दोनों भागों की बीच की जगह में रॉकेट या अन्य पेलोड को फंसाया जाएगा।
विमान के आसमान में पहुंचने पर रॉकेट सीधे अंतरिक्ष में प्रक्षेपित कर दिया जाएगा।
करेगा रॉकेट लांचर का काम
धरती से रॉकेट लांच किए जाने के मुकाबले आसमान में उड़ते हुए स्ट्रैटोलांच से रॉकेट लांच करने में खर्च भी कम आएगा।
स्पेस स्टेशन में कार्गो भेजने और अंतरक्षियात्रियों को रवाना करने के अलावा यह विमान ब्लैक आइस कोडनेम वाले खुफिया शटल रॉकेट को भी लांच कर सकेगा।
तीन लोगों का क्रू जिसमें पायलट, को-पायलट और इंजीनियर शामिल होंगे, वह विमान के दाएं तरफ वाले भाग में बैठेगा।
विमान के बाएं भाग में भी कॉकपिट मौजूद है मगर यह हिस्सा खाली और बिना दबाव के रहेगा।
2016 में स्ट्रैटोलांच ने ऐयरोस्पेस व डिफेंस कंपनी ऑर्बिटल एटीके के साथ डील साइन की।
इसके तहत यह ऑर्बिटल कंपनी के पीगैसस एक्स एल रॉकेट को आसमान में ले जाएगा।
विशालकाय विमान
इसे नॉर्थरोप ग्रुम्मैन कारपोरेशन की कंपनी स्केल्ड कंपोस्ट्सि ने डिजायन किया व बनाया है। असल में यह दो 747 बोइंग विमान हैं जिन्हें एक फ्रेम और बड़े डैनों से जोड़ा गया है।
फुटबॉल फील्ड से भी बड़ा
यह विमान इतना बड़ा है कि दो फ्यूजलेज (विमान की बॉडी) से मिलकर बना है। दोनों में अपना-अपना कॉकपिट यानी विमानचालक के बैठने की जगह है। इसकी विशालता का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि अगर इसे एक फुटबॉल मैदान के बीचोंबीच खड़ा किया जाए तो इसके डैने दोनों तरफ के गोलपोस्ट से 3.8 मीटर आगे निकल जाएंगे। यह दुनिया के मौजूदा सबसे बड़े विमान सोवियत युग के कार्गो विमान एंटोनोव एन-225 से कहीं ज्यादा बड़ा है।
परीक्षणों का दौर
पिछले कुछ महीनों में इसके दो परीक्षण हुए जिनमें इसकी अधिकतम गति 41 किमी/घंटा और 74 किमी/घंटा रही। अगले परीक्षणों में इसे 128 किमी/घंटा और 222 किमी/घंटा की रफ्तार पकड़नी होगी। आमतौर पर जेटलाइनर 241 किमी/घंटा से 290 किमी/घंटा की रफ्तार में उड़ सकते हैं। फरवरी में कम गति की उड़ान का परीक्षण करने के दौरान इसके सभी इंजनों को फायर किया गया। हालांकि अभी तीन और परीक्षणों के बाद इसकी पहली उड़ान संभव हो पाएगी।