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मटकों की नाव से नदी पार कर लाते हैं कुएं का पानी

चंबल, सीप, कूनो नदियों के बावजूद भीषण जल संकट से जूझ रहा मध्यप्रदेश का चंबल संभाग

By Sanjay PokhriyalEdited By: Published: Sat, 05 May 2018 08:59 AM (IST)Updated: Sat, 05 May 2018 09:20 AM (IST)
मटकों की नाव से नदी पार कर लाते हैं कुएं का पानी
मटकों की नाव से नदी पार कर लाते हैं कुएं का पानी

[जागरण स्पेशल]। मध्यप्रदेश के चंबल संभाग में लोगों को भीषण जल संकट का सामना करना पड़ रहा है। संभाग में श्योपुर, भिंड और मुरैना जिले आते हैं। चंबल, सीप और कूनो नदियों से घिरे इस क्षेत्र में लोग पेयजल को तरस रहे हैं। श्योपुर जिले का मानपुर क्षेत्र भीषण पेयजल संकट से जूझ रहा है। जैसे-जैसे गर्मी बढ़ रही है, वैसे-वैसे पानी के लिए हाहाकार बढ़ता जा रहा है।

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कैसे बुझे प्यास

प्यास बुझाने के लिए मानपुर की एक बस्ती की महिलाएं व बच्चे अपनी जान तक जोखिम में डाल रहे हैं। कस्बे के अंतिम छोर पर बसे गुजराती और ठाकुर मोहल्ले में पेयजल के लिए सिर्फ एक बोर है और वह भी अब काम नहीं कर रहा है। ऐसे हालात में लोग पानी के लिए लंबा सफर तय करने को मजबूर हैं। जहां पेय जल मिल जाए, वहां जाने को तैयार हैं। यह खबर उन लोगों के लिए एक चेतावनी है, जो पानी का मोल नहीं जानते।

मटकों में नहीं पानी, पानी में मटके

वहीं कई लोगों ने घरों में रखे पुराने मटकों के ऊपर बांस की लकड़ियां बांधकर जुगाड़ की नाव बना ली है। इन नावों में तीन-चार लोग बैठकर सीप नदी को पार करते हैं और दूसरे किनारे पर स्थित एक कुएं से पानी भरकर लाते हैं। सीप नदी में पानी की कमी नहीं है, लेकिन नदी के पानी से प्यास नहीं बुझाई जा सकती है।

मुश्किल में जान

जुगाड़ की इन नाव पर पानी के बर्तन रखकर महिलाएं व बच्चे नदी पार करते हैं जो बेहद जोखिम भरा है। कई बार दबाव के कारण बीच नदी में मटके फूट जाते हैं। ऐसे में जुगाड़ की यह नाव एक ओर झुक जाती है। ग्रामीणों के मुताबिक मझधार में नदी 30 से 40 फीट गहरी है। ऐसे में कभी कोई हादसा हो जाए तो कई जानें मुश्किल में पड़ सकती हैं।

20 साल से नल का इंतजार

मानपुर कस्बे में 20 साल पहले 1998 में नलजल योजना चालू हुई थी लेकिन आज तक यहां नल नहीं पहुंचा। इतना ही नहीं एक महीने पहले 25 लाख रुपए खर्च मानपुर की नलजल योजना का विस्तार हुआ है उसके बाद भी लोग पानी को तरस रहे हैं। स्थानीय निवासी केशव सिंह ने बताया कि अब लोग चंदा कर रहे हैं, जिससे बोर को चालू करवा सकें।

करना न पड़े पलायन

विजयपुर और कराहल विकासखंड में भी हालात खराब हैं। खूटका, डोकरका, डोब, पातालगढ़, कुशवानी सहित दर्जनों गांवों के लोगों को पानी के लिए मीलों पैदल चलना पड़ रहा है। गांवों में लगे हैंडपंप, कुएं सब जवाब दे चुके हैं। जल संकट से जूझता आ रहा श्योपुर जिला सिंचाई आदि के लिए मुख्यत: सीप नदी पर निर्भर है।

पेय जल के लिए कुएं और हेंडपंप ही सहारा हैं। जिले के 539 गांव न केवल सिंचाई के लिए बल्कि पेयजल के लिए हर साल इसी तरह परेशान होते हैं। लोगों का कहना है कि जल्द समाधान न हुआ तो उनके पास पलायन के सिवा दूसरा विकल्प नहीं बचेगा।

[श्योपुर से हरिओम गौड़ और मानपुर से कमलेश गोस्वामी की रिपोर्ट] 


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