Exclusive : गांवों में पसरा है सन्नाटा, ठंडे पड़े हैं चूल्हे; पीड़ित परिवारों ने घटना को बताया मनगढ़ंत
गागलहेड़ी के कई गांवों में रविवार को भी परिजनों की चीत्कार गूंजती रही। इन तीन दिनों में जिन लोगों ने अपनों को खोया है, उनका दर्द थमने का नाम नहीं ले रहा है।
[जागरण इन्वेस्टीगेशन ब्यूरो]। कोलकी हो या उमाही, खेड़ा मुगल हो या शरबतपुर हर तरफ सन्नाटा पसरा है। अपनों का दाह संस्कार करने के बाद केवल मृतकों के परिजनों की सिसकियां ही सुनाई दे रही हैं। घरों के चूल्हे ठंडे पड़े हैं। मंदिर आदि स्थानों से खाना बनवाकर वितरित किया जा रहा है। अनेक लोगों ने अपनों को खोया है। नागल, देवबंद और गागलहेड़ी क्षेत्रों में मौतों का सिलसिला रविवार को भी जारी रहा।
गागलहेड़ी के कई गांवों में रविवार को भी परिजनों की चीत्कार गूंजती रही। इन तीन दिनों में जिन लोगों ने अपनों को खोया है, उनका दर्द थमने का नाम नहीं ले रहा है। पीछे छोड़ गए बिलखते परिवार, कई का नहीं रहा कोई पुरसाहाल अपने पीछे तीन बेटे छोड़ गया माठा मजदूरी कर परिवार का पेट पालता था। उसकी मौत के बाद से पत्नी शकुंतला का रो-रोकर बुरा हाल है।
बिलख-बिलखकर वह यही सवाल कर रही है कि अब हमारा क्या होगा? नाफेपुर गांव का काला उर्फ रहतू अपने पीछे छोटे-छोटे चार बच्चे छोड़ गया। इनमें से एक चार साल की बेटी भी है। इस परिवार के पास आजीविका का कोई साधन नहीं है। पत्नी संतोष की आंखें रो-रो कर पथरा गईं हैं। रहतू की चार साल की मासूम बेटी को यह भी नहीं पता कि उसका पिता इस दुनिया में नहीं रहा। नाफेपुर गांव का कल्लू पेड़ कटाई का काम करता था। उसके चार बच्चे हैं। इन बच्चों की बदकिस्मती देखिए कि पहले इनके सिर से मां का साया छिना फिर पिता का। शिवपुर के धर्मपाल के पांच बच्चों में से तीन लड़कियां कुंवारी हैं।
सबसे पहले हरिद्वार, उत्तराखंड के बाल्लूपुर गांव से फकीरा नामक व्यक्ति और उसके बेटे सोनू को गिरफ्तार किया गया। लेकिन इन दोनों आरोपितों ने सहारनपुर, उप्र पुलिस-प्रशासन के इस दावे की धज्जियां उड़ाकर रख दीं। पूछताछ में सामने आया कि जहरीली शराब का गढ़ बाल्लूपुर नहीं बल्कि सहारनपुर के गांव ही हैं। जहां के पुंडेन गांव से जहां से हरदेव सिंह नाम का व्यक्ति उत्तराखंड तक सप्लाई करता है। उसी से इन्हें शराब हासिल हुई थी। तब हरदेव सहित अन्य लोगों को उप्र नहीं बल्कि उत्तराखंड पुलिस ने गिरफ्तार किया।
हरिद्वार के बाल्लूपुर, बिंड और खड़क आदि गांवों में विस्तृत पड़ताल करने के साथ ही इधर उत्तर प्रदेश के सहारनपुर जिले के प्रभावित गांवों में भी दैनिक जागरण की टीम ने डेरा डाले रखा। पीड़ित परिवारों ने कई चौंकाने वाली बातें सामने रखीं। उमाही, पुंडेन, कोलकी, खेड़ा मुगल, शरबतपुर आदि गांवों के लोगों ने बताया कि यहां अवैध शराब की सप्लाई धड़ल्ले से की जाती रही है। यही शराब इन मौतों की वजह बनी। बाल्लूपुर में इन गांवों के किसी भी परिवार की कोई रिश्तेदारी नहीं है। न ही यहां का कोई व्यक्ति वहां तेरहवीं में ही गया था। बाल्लूपुर में तेरहवीं में जहरीली शराब पिये जाने की घटना को ग्रामीणों ने मनगढ़ंत ठहराया है। लिहाजा, तेरहवीं की कहानी सहारनपुर पुलिस और प्रशासन ने क्यों बनाई, यह सवाल उठना लाजिमी है।
बेरोकटोक और खुलेआम चल रहा था खेल
क्षेत्र के 17 गावों में लोगों की मौत हुई है और लगभग हर गांव के लोगों का कहना है कि यह धंधा यहीं होता आया है। उमाही में रहने वाले पिंटू व उसके परिवार के पांच लोगों को जहरीली शराब निगल गई। इस गांव में 14 लोग अपनी जान गंवा चुके हैं। पिंटू की पत्नी सुनीता ने बताया कि पिंटू अकसर पुंडेन से ही इस तरह की शराब लाता था। साथ ही पुंडेन का एक युवक गांव में सप्लाई भी करता था। अन्य ग्रामीणों ने यही बात दोहराई।
लोगों ने कहा कि गांव में बेरोकटोक और खुलेआम शराब की बिक्री होती आई है। पुलिस-प्रशासन को भी इसकी जानकारी अच्छे से थी। लेकिन खेल चलता रहा। सिस्टम की भट्ठी में पकता शराब का धंधा जागरण की पड़ताल में यह भी पता चला कि शराब के धंधेबाजों के हौसले इसलिए भी बुलंद हैं क्योंकि पुलिस व आबकारी विभाग छापेमारी के बाद 99 प्रतिशत मामलों में आबकारी अधिनियम-60 के तहत कार्रवाई करते हैं, जिसमें आसानी से जमानत मिल जाती है। इतना ही नहीं यह भी पता चला कि कई थानेदारों व आबकारी इंस्पेक्टरों ने इसे कमाई का धंधा भी बना रखा है। ये संगीन धारा के नाम पर इन धंधेबाजों को ब्लैकमेल कर मोटी वसूली करते हैं और फिर से खुले में जहर तैयार करने के लिए छोड़ देते हैं।
सब जानते हैं अधिकारी...
कच्ची शराब बनाने का काम यूं तो लगभग सभी थाना क्षेत्रों के गांवों में होता है, परंतु इसकी जड़ें देवबंद, बड़गांव, गंगोह, नकुड़, नागल और गागलहेड़ी क्षेत्र में गहरी हो चुकी हैं। कोलकी गांव में 16 लोग जहरीली शराब की भेंट चढ़ चुके हैं। ग्रामीणों ने बताया कि यहां अवैध शराब के धंधे को जॉनी नाम का व्यक्ति संचालित करता आया था, जिसने भी रविवार देर रात अस्पताल में दम तोड़ा। कोलकी के लोगों ने भी यही बताया कि यहां के किसी भी परिवार की रिश्तेदारी बाल्लूपुर में नहीं है। कच्ची शराब का धंधा तो यहीं होता आया है और यह पुलिस और प्रशासन के अधिकारियों को भी पता है।
नहीं किसी का डर
सहारनपुर का एक थाना तो ऐसा भी है, जहां जब्त की गई शराब का मामला ठंडा पड़ने के बाद शराब का जखीरा चुपचाप शराब माफिया को ही बेच दिया गया और कागजों में शराब का नष्ट होना दिखा दिया गया। दो साल पहले सरसावा थाना क्षेत्र में शराब से भरे ट्रक पकड़े गए थे। उस शराब को नष्ट करने के बजाय थाने से ही उसकी बिक्री की जाती रही।
प्रशासन ने रोया संसाधनों का रोना
जिला आबकारी अधिकारी वरुण कुमार ने बताया कि जनपद में 11 विकासखंडों में 887 ग्राम पंचायतें तथा 1575 गांवों का जिम्मा आबकारी विभाग के करीब 30 लोगों पर है, इनमें पांच सर्किल इंस्पेक्टर व करीब 24 सिपाही शामिल हैं। आबकारी विभाग के पास जिला आबकारी अधिकारी के अलावा पांच सर्किल इंस्पेक्टरों की तैनाती होनी चाहिए। मगर केवल चार से ही काम लिया जाता रहा। इनमें तीन इंस्पेक्टर व दो सिपाही निलंबित हो चुके।
वर्तमान में सिर्फ एक सर्किल इंस्पेक्टर और 22 सिपाही ही हैं। मुखबिर ही बन बैठे शराब माफिया गांव स्तर पर कच्ची व दूसरे राज्यों से आने वाली अवैध शराब को रोकने के लिए सर्किल इंस्पेक्टर और सिपाही की जिम्मेदारी तय है। मगर यह संभव नहीं है कि ये सभी गांवों में जा सकें। इसके लिए गांवों में लोगों को मुखबिर के तौर पर लगाया जाता है। इस खेल में ये मुखबिर ही बड़े शराब माफिया बन बैठे हैं, मगर इतना बड़ा कांड होने के बावजूद पुलिस व आबकारी विभाग अभी तक इन पर हाथ नहीं डाल पा रहा है।
क्या कहा एसएसपी ने...
जिला हरिद्वार के थाना झबरेड़ा के गांव बाल्लूपुर में गुरुवार को ज्ञान सिंह के भाई की तेरहवीं थी। सहारनपुर के गांवों से कुछ लोग वहां गए थे। वहां शराब परोसी गई थी। इनमें से ज्यादातर उप्र-उत्तराखंड बॉर्डर के गांवों के रहने वाले हैं। ये भगवानपुर (हरिद्वार) की फैक्ट्रियों में नौकरी करते हैं और शाम को लौटते हुए कच्ची शराब के पाउच लेकर आ जाते हैं। बाल्लूपुर में पकड़े गए आरोपित पिता-पुत्र का कहना है कि वह शराब पुंडेन निवासी हरदेव सिंह से खरीदते थे, लेकिन जहरीली शराब सहारनपुर में बनी अभी इसके प्रमाण नहीं मिले हैं।
[दिनेश कुमार पी, एसएसपी, सहारनपुर, उप]
पूरे जनपद पर कंट्रोल करने के लिए विभाग के पास न तो पर्याप्त संसाधन हैं और न ही स्टाफ। समय-समय पर शासन को इस स्थिति से अवगत कराया जाता रहा है।
[आरके चतुर्वेदी, उप आबकारी आयुक्त, सहारनपुर]
इनपुट : सहारनपुर, उत्तर प्रदेश से नीरज गुप्ता और देवबंद से मोईन सिद्दीकी