पूरा सचः कविता कृष्णन द्वारा शेयर किए गए ट्वीट की हकीकत
सीपीआई (एमएल) की कार्यकर्ता और पोलित ब्यूरो सदस्य कविता कृष्णन के ट्वीट में ये तस्वीर लगाई गई है। इस ट्वीट को 2400 बार से अधिक ट्वीट किया गया और 5400 बार से अधिक लाइक किया गया।
नई दिल्ली, जेएनएन। 2 अक्टूबर को पुलिस और किसानों के बीच हिंसक संघर्ष हुआ। इस दौरान सुरक्षा कर्मियों ने किसानों को राजधानी दिल्ली में प्रवेश करने से रोकने की कोशिश की। भारतीय किसान संघ (बीकेयू) के तहत आंदोलन करने वाले किसान दिल्ली-यूपी सीमा पर रोक दिए गए थे। उनके आंदोलन से निपटने के लिए पुलिस पूरी तरह मुस्तैद थी। इस उथल-पुथल के बीच, कई प्रमुख सोशल मीडिया उपयोगकर्ताओं ने एक तस्वीर शेयर की जिसमें एक किसान के ऊपर बंदूक ताने पुलिसकर्मी दिखाई दे रहा है। यह तस्वीर बहुत तेजी से वायरल हुई।
सीपीआई (एमएल) की कार्यकर्ता और पोलित ब्यूरो सदस्य कविता कृष्णन के ट्वीट में ये तस्वीर लगाई गई है। इस ट्वीट को 2400 बार से अधिक ट्वीट किया गया और 5400 बार से अधिक लाइक किया गया। फेसबुक पर भी इस फोटो को काफी शेयर किया गया। इसमें कहा गया कि इसे किसानों के आंदोलन के दौरान क्लिक किया गया था। इस पोस्ट के व्यापक तौर पर शेयर होने के बाद जिम्मेदार मीडिया संस्थान होने के नाते जागरण ने इस फोटो की जांच करने का फैसला किया।
जागरण की पड़ताल
गूगल रिवर्स इमेज के माध्यम से इस फोटो को हमने सर्च किया। इसमें पाया गया कि ये तस्वीर हालिया आंदोलन की नहीं है। इसे साल 2013 में लिया गया था और यह उत्तर प्रदेश के मेरठ जिले में क्लिक की गई थी। 30 सितंबर, 2013 को पायनियर द्वारा दिए गए एक लेख में इस तस्वीर को छापा गया था। हमें एक अन्य जगह भी ये फोटो दिखाई दी। इसी तस्वीर को उसी दिन इंडियन एक्सप्रेस द्वारा भी प्रकाशित किया गया था। इस तस्वीर का स्त्रोत पीटीआई और द हिंदू बताया गया था।
हमारी तहकीकात में ये तस्वीर सही पाई गई है लेकिन इसका संदर्भ गलत तरीके से किया गया है। ये काफी पुरानी फोटो है जिसको किसान आंदोलन की बताकर भ्रम फैलाने की कोशिश की गई है।
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