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नकदी का चलन कम तो नहीं हुआ लेकिन बढ़ गया, 2000 रुपये के नए नोट की छपाई में हुई कटौती

हाल यह है कि रिजर्व बैंक ने 2000 रुपये के नए नोट की छपाई में भी भारी कटौती कर दी है।

By Nitin AroraEdited By: Published: Thu, 29 Aug 2019 10:15 PM (IST)Updated: Thu, 29 Aug 2019 10:15 PM (IST)
नकदी का चलन कम तो नहीं हुआ लेकिन बढ़ गया, 2000 रुपये के नए नोट की छपाई में हुई कटौती

नई दिल्ली, हरिकिशन शर्मा। सरकार ने अर्थव्यवस्था को लेस-कैश बनाने के इरादे से नोटबंदी की थी लेकिन इसके बाद नकदी के चलन कम होने के बजाय काफी बढ़ गया है। इसका अंदाजा इस तथ्य से लगाया जा सकता है कि इस साल मार्च के अंत में चलन में बैंक नोटों का मूल्य बढ़कर 21,109 अरब रुपये हो गया है जबकि नोटबंदी के ठीक बाद मार्च 2017 में यह आंकड़ा 13,102 अरब रुपये था।

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इस तरह महज दो साल में ही चलन में बैंक नोटों के मूल्य में भारी भरकम 61 प्रतिशत की वृद्धि हो गयी है। खास बात यह है कि 500 रुपये के नोट का चलन बढ़ रहा है जबकि 2000 रुपये के नोट कि इस्तेमाल में कमी आ रही है।

हाल यह है कि रिजर्व बैंक ने 2000 रुपये के नए नोट की छपाई में भी भारी कटौती कर दी है। करेंसी नोट को जल्द खराब होने से रोकने के लिए रिजर्व बैंक परीक्षण के तौर पर इस साल से 100 रुपये के वार्निस बैंक नोट शुरु करने जा रहा है।

रिजर्व बैंक ने बुधवार अपनी वार्षिक रिपोर्ट 2018-19 जारी की जिसमें चलन में करेंसी नोट का ब्यौरा दिया गया है। रिपोर्ट के अनुसार मार्च 2018 के अंत में चलन में बैंक नोटों का कुल मूल्य 18,037 अरब रुपये था जो 17.0 प्रतिशत बढ़कर मार्च 2019 के अंत में 21,109 अरब रुपये हो गया है।

गौरतलब है कि मोदी सरकार ने आठ नवंबर 2016 को नोटबंदी का फैसला करते हुए 500 रुपये और 1000 रुपये के पुराने नोट को बंद करने और 500 रुपये तथा दो हजार रुपये के नये नोट जारी करने का फैसला किया था।

सरकार ने यह फैसला अर्थव्यवस्था को लेस-कैश बनाने के इरादे से किया था। नोटबंदी के तत्काल बाद इसमें कमी भी आयी और चलन में बैंक नोट का मूल्य घटकर मार्च 2017 के अंत में 13,102 अरब रुपये गया लेकिन उसके बाद इसमें तेजी से वृद्धि हुई है।

आरबीआइ की रिपोर्ट के मुताबिक मार्च 2019 के अंत में चलन में बैंक नोटों का जो मूल्य है उसमें दो हजार रुपये के नोट ही हिस्सेदारी घटकर 31.1 प्रतिशत रह गयी है जबकि मार्च 2018 के अंत में यह 37.3 प्रतिशत और मार्च 2017 के अंत में 50.2 प्रतिशत थी।

खास बात यह है कि आरबीआइ ने दो हजार रुपये के नये नोट की छपाई में व्यापक कटौती कर दी है। वर्ष 2016-17 में रिजर्व बैंक ने दो रुपये के 350 करोड़ नये नोट छपवाये थे जबकि 2017-18 में यह आंकड़ा घटकर 15.1 करोड़ और 2018-19 में मात्र 4.7 करोड़ रह गया है।

हालांकि 500 रुपये के नये नोट की छपाई बढ़ायी गयी है। वर्ष 2016-17 में रिजर्व बैंक ने पांच सौ रुपये के 726 करोड़ नये नोट छपवाये थे जबकि 2017-18 में यह आंकड़ा बढ़कर 969 करोड़ और 2018-19 में 1,146 करोड़ पहुंच गया।

आरबीआइ की रिपोर्ट से पता चलता है कि बैंकिंग तंत्र में पकड़े गये 500 रुपये और दो हजार रुपये के नकली नोटों की संख्या में भी भारी वृद्धि हुई है। वर्ष 2018-19 में पांच सौ रुपये के 21,865 नकली नोट पकड़े गये जबकि 2017-18 में यह संख्या 9,892 थी। इस तरह पकड़े गये 500 रुपये के नकली नोट की संख्या में 121 प्रतिशत वृद्धि दर्ज की गयी है।

इसी तरह पकड़े गये दो हजार रुपये के नकली नोट की संख्या भी लगभग 22 प्रतिशत बढ़ी है। वर्ष 2017-18 में दो हजार रुपये के 17,929 नकली नोट पकड़े गये थे जबकि 2018-19 में यह आंकड़ा बढ़कर 21,847 हो गया है। नोटों को जल्दी खराब होने से बचाने के लिए रिजर्व बैंक जल्द ही परीक्षण के तौर पर वार्निस किये हुए 100 रुपये के नोट जारी करेगा। इस तरह का प्रयोग केन्या में किया जा चुका है।

चलन में बैंक नोट

वर्ष संख्या(करोड़) मूल्य(अरब रु)

मार्च 2016 9,026 16,415

मार्च 2017 10,029 13,102

मार्च 2018 10,239 18,037

मार्च 2019 10,875 21,109


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