जिस बाघिन की दहाड़ से दहल जाता था जंगल अब है लाचार, गिन रही अंतिम सांसें
मध्य प्रदेश के बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व की बाघिन महामन मां 17 साल की हो चुकी है और इसके सारे दांत और नाखून भी गिर गए हैं। पिछले दो सप्ताह से यह अपनी जगह से खिसक भी नहीं पा रही है।
संजय कुमार शर्मा, उमरिया। जिसकी दहाड़ से कभी जंगल दहल जाया करता था। दूसरे जंगली जानवरों के कदम ठिठक जाया करते थे। वह बाघिन महामन मां बुढ़ापे के चलते इतनी लाचार है कि अपनी गर्दन तक मुश्किल से उठा पा रही है। मध्य प्रदेश के प्रसिद्ध बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व में महामन मां के नाम से प्रसिद्ध हुई बाघिन-23 ने प्रदेश के जंगलों के दूसरे बाघों के मुकाबले सबसे ज्यादा उम्र पाने का कीर्तिमान स्थापित तो कर लिया, लेकिन बुढ़ापे की मार ने उसे इतना असहाय बना दिया है कि अब वह खुद से कुछ भी खाने की स्थिति में भी नहीं है।
नहीं किया जा रहा बेहोश
बाघिन महामन मां 17 साल की हो चुकी है और इसके सारे दांत और नाखून भी गिर गए हैं। पिछले दो सप्ताह से तो यह अपनी जगह से खिसक भी नहीं पा रही है। बड़ी मुश्किल से वह अपनी गर्दन उठा पाती है और सिर्फ आंख खोल कर आसपास देख लेती है। खाने-पीने में भी लाचार होने की वजह से उसको ऊर्जा व ताकत के लिए दवाएं, इंजेक्शन दिए जा रहे हैं। महामन मां इतनी निस्तेज हो गई है कि अब इसके पास जाने के लिए इसे बेहोश भी नहीं किया जा रहा है। यानी इसके होश में रहते ही इसके पास जाकर आसानी से दवाएं दी जा रही हैं।
तीन बार में दिया नौ शावकों को जन्म
महामन मां ने तीन बार में नौ शावकों को जन्म दिया था। खास बात यह रही कि इसकी ज्यादातर संतानें भी जंगल में ही रहीं। 17 साल की उम्र में भी यह बाघिन जंगल में सक्रिय थी, लेकिन इसी साल मार्च में वह घायल हो गई थी। उसे धमोखर के दुब्बार बीट से रेस्क्यू करके लाया गया था और बठान के इनक्लोजर में रखा गया था। तब से लगातार इसकी हालत बिगड़ती गई। जानकारों के मुताबिक जंगल में बाघ की उम्र 10 या 12 साल ही होती है, क्योंकि जंगल में काफी संघर्ष करना पड़ता है।
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