प्रधानमंत्री किसान योजना : राजनीति की भेंट चढ़ने का खतरा बरकरार
प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना पर राजनीति भारी पड़ रही है। गैर भाजपा शासित राज्यों ने इससे दूरी बना ली है जिससे उन राज्यों के किसानों को लाभ नहीं मिल पा रहा है।
नई दिल्ली (सुरेंद्र प्रसाद सिंह)। प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना के राजनीति की भेंट चढ़ने का खतरा बरकरार है। छोटे किसानों के लिए आक्सीजन कही जाने वाली योजना पर राजनीति भारी पड़ रही है। यही वजह है कि देश के 12.5 करोड़ किसानों के लिए तैयार की गई योजना का लाभ केवल पौने तीन करोड़ किसानों को ही मिल पाया है। गैर भाजपा शासित राज्यों ने इससे दूरी बना ली है, जिससे उन राज्यों के किसानों को लाभ नहीं मिल पा रहा है जबकि बाकी राज्यों के किसानों को पहली किस्त दी जा चुकी है और अप्रैल के पहले सप्ताह में उन्हें दूसरी किस्त की धनराशि भी प्राप्त हो जाएगी।
दरअसल, चुनाव से ठीक पहले घोषित इस योजना को लेकर राजनीतिक दलों के बीच राजनीति तेज हो गई है। केंद्र का सत्तारूढ़ गठबंधन जहां किसानों के लिए इसके फायदा गिना रहा है, वहीं विपक्ष इसे ऊंट के मुंह में जीरा बता इसे खारिज कर रहा है। पीएम किसान योजना के तहत लघु व सीमांत किसानों को प्रत्येक बुवाई सीजन के पहले दो हजार रुपये की तीन किस्तें उनके बैंक खाते में जमा कराने का प्रावधान है। इसकी पहली किस्त पौने तीन करोड़ किसानों के खाते में जमा कर दी गई है। योजना में सालाना छह हजार रुपये हर किसान को दिया जाएगा। इसका लाभ देश के कुल 87 फीसद किसानों को दिया जाएगा। यह कुल साढ़े बारह करोड़ किसानों को मिलेगा, ताकि छोटी जोत के किसानों को फसलों की बुवाई शुरू होने से पहले वित्तीय मदद मिल सके।
योजना की शुरुआत वर्ष 2018 के रबी सीजन से की गई है। सरकार ने इसके लिए 20 हजार करोड़ रुपये एडवांस बजटीय प्रावधान करा लिया है जबकि योजना पर सालाना खर्च 75 हजार करोड़ रुपये आने का अनुमान है। छोटे किसानों के लिए योजना बेहद मुफीद साबित होने वाली है। बुवाई से ठीक पहले नगदी संकट से जूझने वाले किसानों को इस नगदी से बीज, खाद और अन्य इनपुट की उपलब्धता में सहूलियत मिल जाएगी। इन छोटे किसानों में ज्यादातर सीमांत हैं, जिनका खेती से पेट भरना मुश्किल है।
पीएम-किसान योजना का लाभ दो हेक्टेयर खेती वाली जमीन से कम रकबा वाले किसानों को दिए जाने का प्रावधान है। राज्य सरकारें ऐसे किसानों की जोत के साथ उनके बैंक खाते और अन्य ब्यौरा केंद्र सरकार को मुहैया कराएंगी। उसकी पुष्टि के बाद केंद्र सरकार ऐसे किसानों के बैंक खातों में सीधे धन जमा कराएगी। योजना की सफलता में डिजिटल प्रणाली की भूमिका अहम साबित हो रही है।
प्रधानमंत्री ने गोरखपुर से शुरू की योजना
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने योजना की लांचिंग गोरखपुर में आयोजित एक कार्यक्रम में की थी। पहले ही दिन एक करोड़ किसानों के बैंक खातों में पीएम किसान योजना की पहली किस्त जमा करा दी गई थी। सरकार की मंशा अप्रैल के पहले सप्ताह में दूसरी किस्त भी जमा कराने की है, लेकिन योजना की रफ्तार को गैर भाजपा शासित राज्यों ने पलीता रखा है। ज्यादातर ऐसे राज्यों ने अपने यहां के किसानों की सूची जमा नहीं कराई है। यही वजह है कि अभी तक केवल पौने तीन करोड़ किसानों के ही बैंक खाते में पैसा जमा कराया जा सका है।
गैर राजग सरकारों ने योजना से बनाई दूरी
योजना के पात्र किसानों की सूची केंद्र के पास भजने का सिलसिला लगातार लोकसभा चुनाव की घोषणा के बाद भी जारी है, लेकिन गैर राजग सरकारें जिन राज्यों में हैं, उन्होंने योजना से दूरी बना रखी है। इन प्रमुख राज्यों में मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, राजस्थान, पश्चिम बंगाल, कर्नाटक और ओडिशा प्रमुख हैं जबकि उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र और गुजरात योजना का लाभ लेने में सबसे आगे हैं।
छोटे किसानों के लिए योजना मुफीद
कृषि क्षेत्र की चुनौतियों से निपटने को लेकर सरकारें कभी भी बहुत गंभीर नहीं रहीं। खेती की समस्याओं का निदान हमेशा टुकड़ों-टुकड़ों में किए जाने का प्रयास नहीं किया जाता रहा है जबकि किसानों की मूल समस्या खेती की बढ़ती लागत और उनकी उपज का उचित मूल्य का न मिलना है। बहुसंख्यक छोटी जोत वाले किसानों की हालत बहुत नाज़ुक है। ऐसे अन्नदाताओं को ख़ुद के पेट भरने के लाले पड़े हैं। उनकी न्यूनतम जरूरतें भी खेती से पूरी नहीं हो पाती हैं। ऐसे किसानों के लिए योजना बेहद मुफीद साबित होने वाली है।
चुनाव से पहले योजना शुरू होने से आलोचना
प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि को लेकर आलोचनाएं भी ख़ूब हो रही हैं। लोकसभा चुनाव की घोषणा से ठीक पहले सरकार ने इसका एलान किया, जिसके बारे में यह कहा जा रहा है कि चुनाव में फ ायदा लेने के मक सद से इसकी शुरुआत की गई है।