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सुप्रीम कोर्ट ने की सख्त टिप्पणी, निरर्थक मामले निपटाने में बर्बाद हो रहा कोर्ट का महत्वपूर्ण समय

जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि हम पहले से निपटाए गए मामले में एक और आदेश पारित नहीं कर सकते हैं। हमें आपकी बात नहीं सुननी चाहिए। जजों को दिन की शुरुआत होते ही इन फाइलों को देखने के लिए अपना महत्वपूर्ण समय देना पड़ता है।

By Dhyanendra Singh ChauhanEdited By: Published: Tue, 01 Jun 2021 07:56 PM (IST)Updated: Tue, 01 Jun 2021 11:13 PM (IST)
सुप्रीम कोर्ट ने की सख्त टिप्पणी, निरर्थक मामले निपटाने में बर्बाद हो रहा कोर्ट का महत्वपूर्ण समय
जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा, इस समय का सदुपयोग अहम मामले निपटाने में होना चाहिए

नई दिल्ली, एजेंसियां। सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को कहा कि उसके समक्ष बड़ी संख्या में फालतू मामले दाखिल किए जा रहे हैं जिनकी वजह से शीर्ष अदालत का बहुत ज्यादा समय बर्बाद हो जाता है। ये मामले कोर्ट को निष्कि्रय बना रहे हैं। जिस समय में कोर्ट राष्ट्रीय महत्व के किसी मामले का निपटारा कर सकती है उस समय में उसे किसी निरर्थक मामलों को समझने में लगाना पड़ता है।

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कोर्ट ने कहा कि फालतू याचिकाओं के कारण से राष्ट्रीय महत्व के मुकदमों की सुनवाई और निपटारे में अनावश्यक विलंब होता है। जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस एमआर शाह की विशेष पीठ ने यह टिप्पणी उपभोक्ता विवाद से संबंधित एक अर्जी पर सुनवाई के दौरान की।

पीठ ने कहा कि इस मामले का निपटारा हो चुका है। अंतिम आदेश भी पारित किया जा चुका है। लेकिन याचिकाकर्ता फिर से एक छोटे से मुद्दे पर एक आवेदन के साथ आ गए हैं।

जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि हम पहले से निपटाए गए मामले में एक और आदेश पारित नहीं कर सकते हैं। हमें आपकी बात नहीं सुननी चाहिए। जजों को दिन की शुरुआत होते ही इन फाइलों को देखने के लिए अपना महत्वपूर्ण समय देना पड़ता है।

उन्होंने कहा कि जजों के पास राष्ट्रीय महत्व के उन मामलों को देखने का समय होना चाहिए, जो वाकई गंभीर मामले हैं।

उन्होंने कहा कि मंगलवार को जब हम सूचीबद्ध मामलों को देख रहे थे, तो हमने पाया कि 95 फीसद मामले निरर्थक हैं। सोमवार को हमें कोविड प्रबंधन पर स्वत: संज्ञान मामले में आदेश को अंतिम रूप देना था, जो राष्ट्रीय महत्व का मामला है, लेकिन इसे अपलोड नहीं किया जा सका क्योंकि मेरा समय मंगलवार के लिए सूचीबद्ध मामलों को देखने में निकल गया। पीठ ने कहा कि फालतू मामलों से अदालतों की कार्यक्षमता घट रही है। उनका महत्वपूर्ण व कीमती समय बर्बाद हो जाता है। अदालतें अपने समय का सदुपयोग गंभीर और राष्ट्रीय महत्व के मामलों में कर सकती हैं।

पीठ ने वकील की एक नहीं सुनी

मंगलवार को जिस याचिका पर सुनवाई के दौरान पीठ ने यह सख्त टिप्पणी की उसमें याचिकाकर्ता के वकील ने जब कहा कि वे कोर्ट का ज्यादा वक्त नहीं लेंगे तो पीठ ने कहा कि हम आपको सुनेंगे ही नहीं। पीठ ने वकील से कहा कि उन्हें कोर्ट की गरिमा का ध्यान रखना चाहिए। अगर हमने इस मामले में सुनवाई की तो लोगों में यही संदेश जाएगा कि जजों के पास बहुत समय होता है।


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