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चार देशों की कहानी है ‘Pandemic 2020: Rife Of The Virus’- यश तिवारी

इन दिनों जब चारों ओर कोविड-19 का शोर है तो यश तिवारी ने ‘पैंडेमिक 2020- राइफ ऑफ द वायरस’ नाम से एक ऐसा नॉवेल लिखा है जो कोरोना वॉरियर्स को समर्पित है।

By Sanjay PokhriyalEdited By: Published: Sat, 27 Jun 2020 02:41 PM (IST)Updated: Sat, 27 Jun 2020 02:41 PM (IST)
चार देशों की कहानी है ‘Pandemic 2020: Rife Of The Virus’- यश तिवारी
चार देशों की कहानी है ‘Pandemic 2020: Rife Of The Virus’- यश तिवारी

अंशु सिंह। लोगों से बातें करना, उन्हें मोटिवेट करना बहुत अच्छा लगता है यश को। पब्लिक स्पीकर होने के नाते जब किसी मंच से बोलना शुरू करते हैं, तो श्रोता उन्हें सुनना पसंद करते हैं। अब तक वे कई टेडएक्स इवेंट्स को संबोधित कर चुके हैं। 18 साल की उम्र में मास कम्युनिकेशन के फर्स्ट ईयर के स्टूडेंट यश तिवारी ने इंटरनेशनल यूथ मेंटर के साथ-साथ एक लेखक के रूप में भी अपनी खास पहचान बनाई है। इन दिनों जब चारों ओर कोविड-19 का शोर है, तो यश तिवारी ने ‘पैंडेमिक 2020- राइफ ऑफ द वायरस’ नाम से एक ऐसा नॉवेल लिखा है, जो कोरोना वॉरियर्स को समर्पित है।

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दिलचस्प यह है कि उन्होंने 320 पृष्‍ठों का अपना यह दूसरा उपन्यास एक महीने से कम समय में पूरा कर दिखाया। नोशन प्रेस द्वारा प्रकाशित इस उपन्यास का पिछले दिनों ऑक्सफोर्ड बुक स्टोर पर डिजिटल लोकार्पण भी हुआ। आपको बता दें कि इससे पहले यश ने अपनी पहली किताब महज 22 दिनों में लिखी थी।

आखिर इस उपन्यास को लिखने की प्रेरणा क्या रही? इस पर यश थोड़ा फ्लैश बैक में जाते हुए बताते हैं, अप्रैल का महीना था। देश में अचानक हुए लॉकडाउन से लोग एडजस्ट करने की कोशिश कर रहे थे। मैंने यह भी देखा कि कैसे विश्वभर में फ्रंटलाइन पर काम कर रहे लोग अपने जीवन, अपने परिवार की परवाह किए बगैर दूसरों की मदद कर रहे थे। सभी की दुनिया एकदम से बदल गई थी। तभी मेरे अंदर से आवाज आई कि क्यों न इन वॉरियर्स के काम को ट्रिब्यूट दिया जाए और मैंने किताब लिखने का निर्णय लिया। यश ने इसके लिए काफी रिसर्च किया। समाचार पत्रों से लेकर अन्य स्रोतों से जानकारियां इकट्ठा कीं। क्योंकि घटनाक्रम रोजाना बदल रहे थे, तो कई बार कहानी के ड्राफ्ट में उन्हें तब्दीलियां करनी पड़ीं। उनके अनुसार, यह विश्व का पहला उपन्यास है जो कोरोना महामारी के दौरान घटी घटनाओं पर आधारित है। इसमें किसी एक देश की नहीं, बल्कि चार देशों की अलग-अलग कहानियां हैं। इसके पात्र काल्पनिक हैं, लेकिन घटनाएं सच्ची हैं।

इससे जो भी कहानी पढ़ेगा, वह खुद को उससे जोड़ पाएगा। यश ने भारत की कहानी मीडियाकर्मियों को समर्पित की है कि कैसे वे विपरीत हालात में लोगों तक सही सूचना पहुंचाने के साथ-साथ जनमानस को जागरूक करने के अभियान में लगे हुए हैं। उन्होंने लोगों की उम्मीद जगाए रखी कि बेहतर दिन आएंगे। दूसरी कहानी अमेरिका के डॉक्टरों एवं स्वास्थ्यकर्मियों की है। तीसरी कहानी चीन के एक गरीब बुजुर्ग एवं उनके पोते के इर्द-गिर्द बुनी है और चौथी कहानी एक ऐसे यात्री की है, जो महामारी के कारण इटली में फंस गया है और अपने देश वापस लौटना चाहता है।

यश आगे बताते हैं, बेशक उपन्यास में अलग-अलग देशों की कहानियां हैं, लेकिन मानवीयता एवं भावनात्मकता की दृष्टि से वे कहीं न कहीं एक-दूसरे से जुड़ी हुई हैं, क्योंकि सभी कोरोना से जंग लड़ रहे हैं। इसके अलावा, इसमें एक संदेश यह भी देने की कोशिश की गई है कि मुश्किल दौर में कैसे समुदायों, संप्रदायों की एकजुटता मायने रखती है। लोग सारे गिले-शिकवे, भेदभाव, मतांतर भूलकर एक साथ मिलकर काम करते हैं। उनमें उम्मीद होती है कि बुरा समय आया है, तो अच्छा भी अवश्य आएगा। ठीक उस तरह, जैसे अंधेरी सुरंग के दरवाजे के बाहर एक रोशनी होती है।


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