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मक्का मस्जिद ब्लास्ट मामले में फैसला सुनाने वाले जज का इस्तीफा नामंजूर, HC ने दिया ये आदेश

फैसला सुनाते हुए विशेष जज रवींद्र रेड्डी ने कहा था कि अभियोजन आरोपितों के खिलाफ मामला साबित करने में नाकाम रहा है।

By Srishti VermaEdited By: Published: Thu, 19 Apr 2018 12:31 PM (IST)Updated: Thu, 19 Apr 2018 04:06 PM (IST)
मक्का मस्जिद ब्लास्ट मामले में फैसला सुनाने वाले जज का इस्तीफा नामंजूर, HC ने दिया ये आदेश

नई दिल्ली (एएनआई)। हैदराबाद की मक्का मस्जिद ब्लास्ट मामले में फैसला सुनाने के कुछ ही घंटों बाद ही स्पेशल एनआईए कोर्ट में अपने पद से इस्तीफा देने वाले जज रविंदर रेड्डी के इस्तीफे को अस्वीकार कर दिया गया है। आंध्र प्रदेश और तेलंगाना हाई कोर्ट ने जज रेड्डी का इस्तीफा नामंजूर कर दिया है। साथ ही उन्हें तत्काल प्रभाव से अपनी ड्यूटी पर वापस लौटने का निर्देश जारी किया है।

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फैसला सुनाने के बाद दिया था त्यागपत्र

16 अप्रैल को राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआइए) की विशेष अदालत ने वर्ष 2007 के मक्का मस्जिद विस्फोट मामले में स्वामी असीमानंद समेत सभी पांच आरोपितों को बरी कर दिया था। फैसला सुनाते हुए विशेष जज रवींद्र रेड्डी ने कहा था कि अभियोजन आरोपितों के खिलाफ मामला साबित करने में नाकाम रहा है। इसके कुछ देर बाद ही विशेष जज ने अपने पद से त्यागपत्र भी दे दिया था। रेड्डी ने कहा कि उन्होंने निजी कारणों से इस्तीफा दिया है और इसका सोमवार के फैसले से कोई लेना-देना नहीं है।

असीमानंद समेत सभी आरोपी हुए थे बरी 

मक्का मस्जिद ब्लास्ट मामले में मुख्य आरोपी स्वामी असीमानंद सहित सभी 5 आरोपियों को कोर्ट ने बरी कर दिया है। हैदराबाद की विशेष एनआइए कोर्ट ने यह फैसला सुनाया है। कोर्ट में आरोपियों के खिलाफ एनआइए सबूत नहीं पेश कर पाई। वही, एनआइए ने कहा है कि हम कोर्ट के फैसले की कॉपी देखेंगे फिर आगे की कार्रवाई के बारे में फैसला लेंगे।

क्या हुआ था 2007 की घटना में 

बता दें कि जुमे की नमाज के दौरान ऐतिहासिक मक्का मस्जिद में हुए विस्फोट में नौ लोगों की मौत हो गई थी और 58 लोग घायल हो गए थे। यह घटना 18 मई, 2007 को हुई थी। एनआइए मामलों की चतुर्थ अतिरिक्त मेट्रोपोलिटन सत्र सह विशेष अदालत ने सुनवाई पूरी कर ली थी और पिछले हफ्ते फैसले की सुनवाई 16 अप्रैल तक के लिए टाल दी गई थी। इस मामले में स्थानीय पुलिस की शुरुआती छानबीन के बाद मामला सीबीआइ को स्थानांतरित कर दिया गया था। सीबीआइ ने आरोपपत्र भी दाखिल किया। इसके बाद 2011 में सीबीआइ से यह मामला एनआइए को सौंप दिया गया।


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