तेजी से घट रहा है गंभीर रूप से बीमार मरीजों का अनुपात, आधे प्रतिशत से कम मरीज वेंटिलेटर पर
लॉकडाउन-चार शुरू होने के चार दिन पहले कोरोना के खिलाफ लड़ाई में भारत की बढ़त और मजबूत होने के संकेत मिल रहे हैं।
नीलू रंजन, नई दिल्ली। लॉकडाउन-चार शुरू होने के चार दिन पहले कोरोना के खिलाफ लड़ाई में भारत की बढ़त और मजबूत होने के संकेत मिल रहे हैं। एक तरफ कुल संक्रमितों की संख्या में बढ़ोतरी हो रही है तो उसके साथ ही कोरोना के गंभीर मरीजों की संख्या में तेजी से गिरावट भी देखने को मिल रही है। पिछले एक हफ्ते में देश में वेंटिलेटर, आइसीयू और आक्सीजन पर रखे गए मरीजों संख्या तेजी से घटी है। परिणामस्वरूप अस्पताल से स्वस्थ्य होकर बाहर आने वाले मरीजों में बढ़ोतरी का सिलसिला जारी है। वहीं मंगलवार को 94,708 टेस्ट कर भारत ने साफ कर दिया है कि वह बड़े पैमाने पर टेस्ट कर शुरू में ही कोरोना के संक्रमित की पहचान के लिए पूरी तरह से तैयार है।
5 फीसदी मरीजों को ही गंभीर इलाज की जरूरत
गौरतलब है कि पिछले शुक्रवार को कुल कोरोना के मरीजों में 1.1 फीसदी को वेंटिलेटर पर रखा गया था। लेकिन मंगलवार को केवल 0.37 फीसदी मरीजों को ही वेंटिलेटर की जरूरत थी। इसी तरह आइसीयू भर्ती मरीज 4.7 फीसदी से घटकर 2.75 और आक्सीजन सपोर्ट पर रखे गए मरीज 3.2 फीसदी से घटकर 1.89 फीसदी रह गए हैं। यानी कोरोना के केवल 5.1 फीसदी मरीजों को ही विशेष इलाज की जरूरत पड़ रही है और 95 फीसदी मरीज सामान्य इलाज से ही ठीक हो जा रहे हैं। जबकि पिछले हफ्ते तक नौ फीसदी मरीजों को विशेष इलाज की जरूरत थी। जबकि इस बीच कोरोना के संक्रमितों की संख्या 56,342 से बढ़कर 74,281 पहुंच गई है।
मरीजों का रिकवरी रेट बढ़कर 32.8 फीसदी हुआ
कोरोना से गंभीर मरीजों की संख्या में गिरावट का असर उससे स्वस्थ्य होने वाले मरीजों में देखा जा सकता है। शुक्रवार तक स्वस्थ्य होने वाले मरीज की संख्या 29.36 फीसदी थी, जो अब बढ़कर 32.8 फीसदी हो गई है। इससे स्वस्थ्य होने वाले कुल मरीजों की संख्या बढ़कर 24,346 पहुंच गई है।
स्वास्थ्य मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि कुल मरीजों में स्वस्थ्य होने वालों की बढ़ती संख्या भारत में इलाज के बेहतर प्रबंध का संकेत है। उन्होंने कहा कि भारत मौजूदा मरीजों से कई गुना ज्यादा मरीजों की इलाज की क्षमता विकसित कर चुका है।
उन्होंने कहा कि मंगलवार को रिकार्ड 94,708 कोरोना टेस्ट किया गया। इसके साथ ही सभी राज्यों को अधिक से अधिक कोरोना का टेस्ट करने के लिए कहा जा रहा है ताकि शुरू में ही संक्रमित का पता लगाकर उसे बेहतर इलाज उपलब्ध कराया जा सके और वायरस को फैलने से रोका जा सके।