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देश सेवा का ऐसा जुनून, इन पांच भाइयों ने एक साथ लड़ी थी कारगिल की लड़ाई

देश सेवा का जज्बा ऐसा कि इनमें से एक की शहादत के बाद मां ने फौज में भेज दिया छठवें बेटे को भी झुंझुनू जिले के सिंह परिवार की कहानी।

By Sanjay PokhriyalEdited By: Published: Fri, 26 Jul 2019 09:17 AM (IST)Updated: Fri, 26 Jul 2019 10:26 AM (IST)
देश सेवा का ऐसा जुनून, इन पांच भाइयों ने एक साथ लड़ी थी कारगिल की लड़ाई
देश सेवा का ऐसा जुनून, इन पांच भाइयों ने एक साथ लड़ी थी कारगिल की लड़ाई

मदन श्योराण, भिवानी। मंगेश देवी। वीर सपूतों की मां। जिनके चरणों में आज इस अवसर पर हर भारतवासी को नमन-वंदन करना चाहिए। ऑपरेशन विजय के दौरान कारगिल में उनके पांच सपूत अलग-अलग मोर्चों पर दुश्मन से लोहा ले रहे थे। तब पूरे दिन अपने टीवी और रेडियो से चिपकी रहती थीं और ईश्वर से हर समय भारत की जीत और बच्चों की सलामती की दुआ करतीं। अपने पांच लालों को दुश्मनों से लड़ते देखने और एक की शहादत के बाद मंगेश ने छठी संतान को भी सेना में भेज दिया।

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कारगिल युद्ध के 20 साल बाद भी उनके दो बेटे सेना में मोर्चा संभाले हुए हैं। तीन सेवानिवृत्त हो चुके हैं। भिवानी, हरियाणा की जगत कॉलोनी में रहने वाले सिंह परिवार की बेटी हैं मंगेश देवी। उनकी ससुराल हरियाणा के साथ लगते राजस्थान के झुंझुनू जिले के गांव बनगोठड़ी में है। बनगोठड़ी में रह रहे मंगेश देवी के बेटे सूबेदार प्रताप सिंह बताते हैं, हम पांचों भाई अलग-अलग यूनिट में थे। युद्ध के दौरान मुझे दिल्ली से बुलाया गया था। मैं 105 प्रादेशिक सेना में था। मेरे चार भाई लक्ष्मण सिंह, पवन सिंह, कंवर पाल सिंह और राम अवतार सिंह भी जम्मू में तैनात थे। पांचों भाइयों ने ठान रखा था कि पाकिस्तान को सबक सिखाना है। हमें तब न अपनी चिंता थी और न परिवार की, बस ऑपरेशन को अंजाम तक पहुंचाने का जुनून सवार था।

प्रताप बताते हैं, इस युद्ध में भाई कंवरपाल सिंह तोतोलिंग की पहाड़ी की चढ़ाई के दौरान दुश्मन का गोला गर्दन पर लगने के कारण शहीद हो गए थे। इस शहादत से हमें दुख तो पहुंचा, लेकिन हम इससे टूटे नहीं। हमने अपने छठे भाई को भी कारगिल युद्ध के बाद सेना में भेजा। छोटा भाई अशोक सिंह अब भी 105 प्रादेशिक सेना में है और ड्यूटी पर तैनात है।


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