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जानें- कैसे काम करेगी COVID-19 की नई फेलूदा टेस्‍ट किट, सस्‍ती कीमत और असरदार काम

टाटा ने क्लस्टर्ड रेग्युलरली इंटरस्पेस्ड शॉर्ट पैलिनड्रॉमिक रिपीट्स (सीआरआइएसपीआर) कोरोना वायरस टेस्ट को सीएसआइआरइंस्टीट्यूट ऑफ जिनॉमिक्स एंड इंटिग्रेटिव बायोलॉजी के साथ मिलकर तैयार किया है। सरकार के अनुसार इस टेस्ट के जरिये कोविड-19 पीड़ित के कैस-9 प्रोटीन का भी पता लगता है।

By Sanjay PokhriyalEdited By: Published: Wed, 23 Sep 2020 08:48 AM (IST)Updated: Wed, 23 Sep 2020 09:07 AM (IST)
जानें- कैसे काम करेगी COVID-19 की नई फेलूदा टेस्‍ट किट, सस्‍ती कीमत और असरदार काम
सत्‍यजीत रे ने गढ़ा था फेलूदा का काल्‍पनिक किरदार

नई दिल्‍ली, जेएनएन। कोरोना के लगातार बढ़ते मामलों के बीच कोविड-19 की नई टेस्ट किट ‘फेलूदा’ तैयार हो चुकी है। इसका नामकरण मशहूर फिल्मकार सत्यजित राय के उपन्यास के चर्चित पात्र ‘फेलूदा’ पर किया गया है। ड्रग्स कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया (डीसीजीआइ) ने सस्ती कीमत व काम में असरदार इस किट के इस्तेमाल की मंजूरी भी दे दी है।

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96 फीसद तक सही नतीजे : यह किट काफी सस्ती है। यह सिर्फ दो घंटे में परिणाम उपलब्ध करा देती है। इसे 100 दिनों में विकसित किया गया है और 96 प्रतिशत तक सही नतीजों का दावा है। आरटी-पीसीआर टेस्ट के जरिये वायरस का पता लगाने में चार-आठ घंटे का समय लगता है। वहीं फेलूदा टेस्ट के लिए नमूने को एकत्रित करना सरल है और समय की भी बचत होती है।

कैसे की जाती है जांच : कोविड-19 की जांच के लिए फेलूदा टेस्ट में थूक व खून के सैंपल लिए जाते हैं। इसकी जांच स्ट्रिप से की जाती है। यदि कोई कोरोना पॉजिटिव है तो स्ट्रिप का रंग बदल जाता है और उस पर दो लकीरें बन जाती हैं। इसके लिए प्रयोगशाला स्थापित करने की जरूरत होती है। इसमें आरटी-पीसीआर टेस्ट जितनी जटिलताएं भी नहीं हैं। इसकी कीमत 600 रुपये होगी।

कोविड-19 से लड़ाई में प्रभावी : देश में करीब 10 लाख टेस्ट रोजाना हो रहे हैं। हालांकि भारत की आबादी को देखते हुए यह काफी कम है। वैज्ञानिक तथा औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआइआर) के मुताबिक, फेलूदा टेस्ट आरटी-पीसीआर टेस्ट जितना सटीक होता है। यह 96 फीसद संवेदनशीलता और 98 फीसद कोरोना वायरस को पहचानने की विशिष्टता रखता है।

सत्यजित राय का अमर जासूसी पात्र ‘फेलूदा’ : महज दो घंटे में नतीजे देने वाली और सबसे सस्ती कोविड-19 की नई टेस्ट किट ‘फेलूदा’ महान फिल्मकार सत्यजित राय के बांग्ला जासूसी उपन्यास के एक काल्पनिक चरित्र से प्रेरित है। दरअसल जिस काम के लिए बड़े-बड़े जासूस काफी समय लेते थे, उसे ‘फेलूदा’ मिनटों में ही सुलझा देते थे। साथ ही यह किरदार लोगों के दिलो-दिमाग में रच-बस गया है। यही कारण है कि किट का नाम ‘फेलूदा’ रखा गया है। टेस्ट किट का नाम फिल्मी किरदार पर रखना बताता है कि यह किरदार आज भी लोकप्रिय है।

वर्ष 1965 में पहली बार हुआ जिक्र : फिल्म निर्माता-निर्देशक तथा सत्यजित राय के पुत्र संदीप राय के मुताबिक, ‘फेलूदा’ का जिक्र पहली बार वर्ष 1965 में बच्चों की एक बांग्ला पत्रिका संदेश में हुआ। इसमें छपी सत्यजित राय की जासूसी कहानी के मुख्य किरदार ‘फेलूदा’ रहे। सत्यजित राय ने इस किरदार को ब्योमकेश बक्शी और शरलॉक होम्स को मिलाकर रचा था। यानी, ब्योमकेश बक्शी की तरह साधारण व्यक्तित्व व शरलॉक होम्स की तरह हर चीज पर पैनी नजर रखने वाला।

कई र्चिचत कलाकारों ने निभाया किरदार : ‘फेलूदा’ के किरदार को सौमित्र चटर्जी, अहमद रुबेल, शशि कपूर, सब्यसाची चक्रवर्ती, अबीर चटर्जी व तोता राय चक्रवर्ती जैसे मशहूर कलाकारों ने सिने पर्दे पर उतारा। हालांकि, प्रशंसकों के बीच सौमित्र चटर्जी और सब्यसाची चक्रवर्ती ने गहरी छाप छोड़ी।

फल्मों और सीरीयलों से भी मिली काफी लोकप्रियता : ‘फेलूदा’ का पता ‘21 रजनी सेन रोड, बालीगंज, कलकत्ता (कोलकाता)’ आज भी फैंस की जुबान पर है। उनके डायलॉग और धोती कुर्ते का स्टाइल भी बहुत लोकप्रिय हुआ। सत्यजित राय ने वर्ष 1974 में ‘फेलूदा’ पर आधारित सोनार केला नामक फिल्म बनाई। इसके बाद ‘फेलूदा’ पर आधारित फिल्मों का सिलसिला चल पड़ा। वर्ष 1979 में जय बाबा फेलूनाथ आई। दोनों ही कालजयी बांग्ला फिल्में मानी जाती हैं। टीवी सीरीज बनी और कॉमिक्स भी लिखी गईं। रेडियो पर उनके नाम से सीरीज चली। ‘फेलूदा गान’ बने। इतना ही नहीं, वर्ष 2019 में ‘फेलूदा’ पर डॉक्यूमेंट्री भी रिलीज हुई।


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