जवानों ने जोती बंजर जमीन, लहलहा उठी अरहर-मूंगफली की फसल; ‘जय जवान-जय किसान’
नक्सल प्रभावित बालोद के धनौरा में 14वीं वाहिनीं सशस्त्र बल तैनात है। यहां बंजर जमीन घास को भी उगने का मौका नहीं दे रही थी अब जवानों ने अरहर और मक्का की फसलें लहलहा दी हैं।
मृगेंद्र पांडेय, रायपुर। रक्षा से लेकर सेवा तक, हमारे जवान प्रतिकूल परिस्थितियों को सदा ही अनुकूल बना देने का सराहनीय काम करते हैं। इसे चरितार्थ करते हुए लाल मिट्टी वाली बंजर जमीन पर जवानों ने हरितिमा का सृजन किया है। छत्तीसगढ़ के बालोद जिले में जय जवान-जय किसान का नारा मानो एकाकार हो उठा है। नक्सल प्रभावित बालोद के धनौरा में 14वीं वाहिनीं सशस्त्र बल तैनात है। यहां बंजर (भर्रा-लाल मिट्टी) वाली तीन एकड़ जमीन घास को भी उगने का मौका नहीं दे रही थी, जहां अब जवानों ने अरहर, मक्का और मूंगफली की फसलें लहलहा दी हैं। जवानों ने खेती के लिए संसाधन भी खुद तैयार किए हैं। वेल्डिंग करके हल बनाया और उसे मोटरसाइकिल से जोड़कर टैक्टर जैसा काम ले लिया।
जवानों ने पहली बारिश में बंजर जमीन पर बीज छिड़के। इन दिनों जुगाड़ वाले हल से गुड़ाई कर रहे हैं। कमांडेंट डॉ. लाल उमेद सिंह ने बताया कि जमीन खाली पड़ी थी। जवानों ने सुझाव दिया कि इसमें एक पंक्ति में उगने वाली फसलों की बुआई की जा सकती है। तय किया गया कि मक्का, अरहर और मूंगफली की फसल लगाई जाए। किसान परिवार से आए बटालियन के जवान रवींद्र जाट, विक्रम गोदारा सहित अन्य ने मिलकर जमीन तैयार की और बीज डाले।
परिश्रम का सुपरिणाम नन्हें पौधों के रूप में खिलखिला रहा है। अब गुड़ाई के लिए जुगाड़ निकाला है। मोटरसाइकिल में हल जैसा उपकरण जोड़कर इसमें भी सफलता पाई। समय और श्रम दोनों बचा, गुड़ाई भी ठीक से हुई। मूंगफली की फसल अच्छी आई है। गुड़ाई और खाद डालने के बाद फसल के और बेहतर हो उठने की उम्मीद है। नक्सल प्रभावित छत्तीसगढ़ के धनौरा में 14वीं वाहिनीं सशस्त्र बल है तैनात, जो जमीन घास को भी उगने का मौका नहीं दे रही थी, वहां लहलहा उठी फसल।