"मेक इन इंडिया" के लिए सरकार ने खोला खजाना
प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में कैबिनेट की आर्थिक मामलों संबंधी समिति (सीसीईए) की बैठक में इस योजना को मंजूरी दी गई।
नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विजन "मेक इन इंडिया" को साकार करने की दिशा में बड़ा कदम उठाते हुए सरकार ने घरेलू कैपिटल गुड्स क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिए 930 करोड़ रुपये की योजना को मंजूरी दी है। यह स्कीम 12वीं और 13वीं पंचवर्षीय योजना में लागू की जाएगी। इससे भारतीय कैपिटल गुड्स (पूंजीगत सामान) क्षेत्र को प्रतिस्पर्धा का मुकाबला करने में मदद मिलेगी।
प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में कैबिनेट की आर्थिक मामलों संबंधी समिति (सीसीईए) की बैठक में इस योजना को मंजूरी दी गई। बैठक के बाद जारी आधिकारिक बयान के मुताबिक केंद्र सरकार इस योजना के लिए 581.22 करोड़ रुपये बजटीय सहायता के रूप में देगी। बाकी 349.74 कराड़ रुपये की धनराशि उद्योग जगत से जुटाई जाएगी। सीसीईए के फैसलों की जानकारी देते हुए भारी उद्योग मंत्री अनंत गीते ने कहा, "यह पायलट परियोजना है। आगे चलकर हम परियोजनाओं को देशभर में विस्तार देंगे। इस पूरी योजना पर आगामी वर्षों में 20,000 करोड़ रुपये खर्च होने का अनुमान है।"
उन्होंने कहा कि लघु उद्योग संघ पिछले 15 साल से इसकी मांग कर रहे थे क्योंकि वे वैश्विक प्रतिस्पर्धा का मुकाबला करने में मदद मिलेगी। मोदी सरकार ने यह मांग भी पूरी कर दी है। कुल मैन्यूफैक्चरिंग में कैपिटल गुड्स का योगदान 9 से 12 प्रतिशत होता है। कैपिटल गुड्स की इस योजना के तहत आने वाले मुख्य क्षेत्र मशीन टूल्स, टेक्सटाइल मशीनरी, कंस्ट्रक्शन, खनन मशीनरी और प्रोसेस प्लांट मशीनरी शामिल हैं।
इस योजना के तहत कैपिटल गुड्स क्षेत्र में प्रौद्योगिकी के व्यापक इस्तेमाल और साझा औद्योगिक सुविधा केंद्र बनाने पर जोर रहेगा। इस योजना के तहत आइआइटी दिल्ली, मुंबई, मद्रास, खड़गपुर और सेंट्रल मैन्यूफैक्चरिंग टेक्नोलॉजी इंस्टीट्यूट बेंगलूर में अनुसंधान एवं विकास (आरएंडडी) के लिए एडवांस सेंटर ऑफ एक्सीलेंस स्थापित किए जाएंगे। इसके साथ ही समन्वित औद्योगिक ढांचागत सुविधाएं भी बनाई जाएंगी।