VISA में देरी से अधर में लटका हजारों भारतीय पेशेवरों और छात्रों का भविष्य, महीनों तक होती है प्रतीक्षा
अमेरिका कनाडा ब्रिटेन आस्ट्रेलिया व दूसरे देशों के विश्वविद्यालयों में एडमिशन ले चुके हजारों भारतीय छात्रों और वहां की कंपनियों में काम करने वाले पेशेवरों के सामने समस्या पैदा हो गई है। इन देशों के दूतावासों या उच्चायोगों की तरफ से वीजा देने की प्रक्रिया काफी सुस्त हो गई है।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। अमेरिका, कनाडा, ब्रिटेन, आस्ट्रेलिया व दूसरे देशों के विश्वविद्यालयों में एडमिशन ले चुके हजारों भारतीय छात्रों और वहां की कंपनियों में काम करने वाले पेशेवरों के सामने विकट समस्या पैदा हो गई है। इन देशों के दूतावासों या उच्चायोगों की तरफ से वीजा देने की प्रक्रिया काफी सुस्त हो गई है। अमेरिका के वीजा के लिए आज आवेदन करने पर 500 दिन बाद साक्षात्कार का समय मिल रहा है। कनाडा, ब्रिटेन, जर्मनी व दूसरे यूरोपीय देशों के वीजा के लिए भी कई हफ्तों या महीनों का इंतजार करना पड़ रहा है। कुछ देशों ने भीड़ को देखते हुए केवल छात्रों को वरीयता देनी शुरू की है, लेकिन इनके दूतावासों में स्टाफ की कमी की वजह से इससे भी राह आसान नहीं हो रही है।
अमेरिका, ब्रिटेन समेत पश्चिमी देशों में सुस्त हुई वीजा देने की प्रक्रिया
सबसे ज्यादा परेशानी अमेरिका में एच-1बी वीजा पर काम करने वाले भारतीयों के सामने आ रही है। उन्हें एक निश्चित अवधि (तीन वर्ष) के बाद अमेरिका से बाहर जा कर एक बार स्टांपिंग करवानी होती है। इसके लिए जिन पेशेवरों को अगले दो-तीन महीने में अमेरिका से बाहर जाना है उन्हें वापसी के लिए भारत समेत किसी दूसरे देशों में भी अमेरिकी दूतावासों में वीजा के लिए साक्षात्कार का जल्द समय नहीं मिल रहा है। दैनिक जागरण ने शुक्रवार को भारतीय विदेश मंत्रालय, अमेरिकी दूतावास, ब्रिटेन के उच्चायोग समेत यूरोपीय संघ के कुछ देशों से इस समस्या के बारे में बात की।
विदेश मंत्रालय ने भारत स्थित दूतावासों के समक्ष कई बार उठाया मुद्दा
भारतीय विदेश मंत्रालय के अधिकारियों का कहना है कि पिछले दो महीनों में इस बारे में कई बार संयुक्त तौर पर या अलग-अलग स्तर पर दूसरे देशों के मिशनों से बात की गई है। वीजा देना हर देश का अपना अधिकार होता है। इस बारे में कोई भी देश सिर्फ आग्रह ही कर सकता है। जून महीने में यूरोपीय संघ के देशों के साथ इस मुद्दे को उठाया गया था। कनाडा, ब्रिटेन के उच्चायोगों के साथ भी बात की गई थी।
सभी देशों से जल्द स्थिति सुधरने का मिला था भरोसा
मंत्रालय ने कहा कि सभी देशों ने आश्वासन दिया था कि वे स्टाफ की संख्या बढ़ा रहे हैं। यह भी बताया था कि भारत से वीजा के लिए आने वाले आवेदन काफी बढ़ गए हैं जिसकी वजह से दिक्कत आ रही है। हालांकि डेढ़ महीने बीत जाने के बाद भी स्थिति में अपेक्षित सुधार नजर नहीं आ रहा। अमेरिका ने कहा, शीघ्र वीजा देने की हर संभव कोशिश अमेरिकी दूतावास के प्रवक्ता ने दैनिक जागरण से कहा, 'हम वैधानिक तौर पर सभी प्रवासियों और गैर प्रवासी यात्रियों को अमेरिका जाने के लिए शीघ्र वीजा देने की हरसंभव कोशिश कर रहे हैं। कोरोना महामारी के दौरान वीजा प्रक्रिया पूरी तरह से बंद हो गई थी, अब उसे नए सिरे से शुरू किया गया है जो सामान्य होने की तरफ बढ़ रहा है। हम अपने दूतावासों में अतिरिक्त अधिकारियों की नियुक्ति कर रहे हैं। नए स्टाफ की भर्ती की जा रही है और उन्हें प्रशिक्षित किया जा रहा है। हमारी साक्षात्कार करने की भी क्षमता है जिसके हिसाब से समय दिया जा रहा है।'
कनाडा उच्चायोग ने कहा, प्रतीक्षा समय कम करने का प्रयास
कनाडा के विभिन्न विश्वविद्यालयों में नामांकन करा चुके हजारों छात्रों को सितंबर तक वहां पहुंचना है। लेकिन उन्हें वीजा के लिए साक्षात्कार का समय नवंबर-दिसंबर से पहले का नहीं मिल रहा। छात्रों को बोला गया है कि वो अपने शैक्षणिक संस्थानों से बात करें। हालांकि, उच्चायोग ने गुरुवार को एक बाद एक कई ट्वीट में कहा कि हर हफ्ते भारतीय छात्रों को वीजा जारी किया जा रहा है। वीजा के लिए प्रतीक्षा समय को कम करने का प्रयास किया जा रहा है।
अगले दो-तीन महीने स्थिति में सुधार के संकेत नहीं
अगले दो तीन महीने तक स्थिति में सुधार के संकेत नहीं मिल रहे। एक वजह यह भी है कि कोरोना के बाद अमेरिका व यूरोपीय देश जाने वाले भारतीयों की संख्या तेजी से बढ़ रही है। परिवार से मिलने, शैक्षणिक कार्य, पर्यटन व कारोबार के सिलसिले में जाने वाले लोगों की तरफ से आवेदन में काफी वृद्धि हुई है। उदाहरण के तौर पर कनाडा के लिए शिक्षा के उद्देश्य से वीजा लेने वाले आवेदनों में (वर्ष 2019 के मुकाबले) 70 प्रतिशत वृद्धि हुई है। इस श्रेणी में अमेरिका के लिए वीजा लेने वाले आवेदन तकरीबन दोगुना हो गए हैं।