Move to Jagran APP

सबसे बड़ा है संविधान, सभी करें इसका पालन; यही है लोकतंत्र की कामयाबी और ताकत

देश के सामने बहुत सी कठिन परिस्थितियां आईं लेकिन हमारा संविधान टस से मस नहीं हुआ। यही इसकी कामयाबी है। ऐसे में संविधान ही सबसे बड़ा है और सभी को इसका पालन करना पड़ेगा। इसे साबित करने की कोई बात भी नहीं है।

By Shashank PandeyEdited By: Published: Mon, 14 Jun 2021 10:05 AM (IST)Updated: Mon, 14 Jun 2021 10:05 AM (IST)
सबसे बड़ा है संविधान, सभी करें इसका पालन; यही है लोकतंत्र की कामयाबी और ताकत
देश का संविधान होता है सबसे बड़ा, पालन जरूर करें। (फोटो: दैनिक जागरण)

नई दिल्ली, सुशील गंभीर। मेरे 40 साल के अनुभव में यही सामने आया है कि जिसका जो काम है, वह संविधान ने उसे बता रखा है। किसी भी प्रजातंत्र की आदर्श स्थिति वही होती है कि जब सभी अंग एक-दूसरे का सम्मान करें। यह कोई नाक की लड़ाई नहीं है। संविधान सबसे बड़ा है, इसे साबित करने की कोई बात भी नहीं है। अब संविधान के तहत कोई कानून बना है तो आवश्यकता के अनुसार उसे बदला जा सकता है। अगर दोपहिया वाहन चालक के लिए हेलमेट पहनना जरूरी है तो सिख धर्म के लोग अपने धार्मिक कानून का हवाला देकर हेलमेट पहनने के नियम से खुद को बाहर करने की मांग कर सकते हैं।

loksabha election banner

अब ऐसी स्थिति में अदालत उनके सम्मान में बदलाव करने का आदेश दे सकती है, लेकिन अगर यह कहा जाए कि अदालत के आदेश पर कानून बनेगा तो ऐसा कतई संभव नहीं है। यहां मैं साफ कर देना चाहता हूं कि यह सरकार पर निर्भर करता है कि अदालत के किस आदेश पर कानून बनाना है और किस पर नहीं बनाना है। अब ऐसे में टकराव की स्थिति पैदा होना संभव है।

लोकतंत्र के तीनों अंगों में टकराव न हो इसके लिए एक व्यवस्था हमेशा से चली आ रही है। सभी को अपना-अपना काम करना चाहिए और दूसरे के काम में दखल नहीं देना चाहिए। जहां तक हम बात करें संविधान में संशोधन की, तो फिलहाल ऐसी कोई स्थिति नहीं है। जब भी किसी बदलाव की मांग उठती है तो उस पर गहनता से चर्चा होती है। सरकार अकेले संशोधन नहीं कर सकती। चूंकि दो तिहाई बहुमत चाहिए होता है तो विपक्ष को विश्वास में लेना पड़ता है। संविधान में तीन तरह से बदलाव होते हैं। एडिशन, वैरिएशन और रिवील। संविधान में भले ही एक शब्द जोड़ा जाए तो वह एडिशन कहलाता है, एक शब्द बदलना हो तो वैरिएशन और एक भी शब्द हटाना हो तो यह रिवील कहलाता है। पिछले 70 सालों में 100 से ज्यादा बदलाव किए गए हैं।

हमारा संविधान सभी देशों के संविधान से बड़ा है। अमेरिका का संविधान तीन पन्नों में सिमट जाता है। इंग्लैंड वालों से संविधान मांगोगे तो वो पूछेंगे कि यह क्या होता है? पिछले सात दशक में देश के सामने बहुत सी कठिन परिस्थितियां आईं, लेकिन हमारा संविधान टस से मस नहीं हुआ। यही इसकी कामयाबी है। मुश्किल से मुश्किल दौर में अडिग खड़े रहना ही इसकी कामयाबी है। तो मुङो नहीं लगता कि अब कोई शक रह जाता है कि संविधान सबसे बड़ा है और सभी को इसका पालन करना पड़ेगा। जो ऐसा नहीं करेगा, उसके लिए भी संविधान में व्यवस्था की गई है।

(सुशील गंभीर की एसके शर्मा- संविधान विशेषज्ञ और पूर्व महासचिव लोकसभा से बातचीत पर आधारित)


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.