Move to Jagran APP

जिस पलंग पर स्वामी विवेकानंद ने आराम किया, उसे विरासत की तरह संभाल रखा है

जिस पलंग पर उन्होंने विश्राम किया और जिस अलमारी में सामान रखा, उसे आज भी राठौर परिवार ने विरासत के रूप में संभालकर रखा है।

By Sanjeev TiwariEdited By: Published: Fri, 12 Jan 2018 08:27 AM (IST)Updated: Fri, 12 Jan 2018 08:27 AM (IST)
जिस पलंग पर स्वामी विवेकानंद ने आराम किया, उसे विरासत की तरह संभाल रखा है

खंडवा[सुमित अवस्थी ]। खंडवा का इतिहास कई महापुरुषों से जुड़ा है। इसमें एक नाम युवाओं के प्रेरणास्रोत स्वामी विवेकानंद का भी है। शिकागो सम्मेलन में अमेरिका जाने से पहले विवेकानंद खंडवा आए थे। यहां वे करीब 18 दिन यहां रहे। चटर्जी परिवार के जिस घर में वह मेहमान थे, वहां अब निजी नर्सिंग होम है। जिस पलंग पर उन्होंने विश्राम किया और जिस अलमारी में सामान रखा, उसे आज भी राठौर परिवार ने विरासत के रूप में संभालकर रखा है।

loksabha election banner

बताया जाता है कि जून-जुलाई1893 में खंडवा आए स्वामी विवेकानंद को शिकागो सम्मेलन का पहला पत्र खंडवा में ही मिला था। कोलकाता से मुंबई जाने वाली ट्रेन से 1893 में स्वामी विवेकानंद खंडवा आए।

यहां नगर पालिका के तत्कालीन प्रेसिडेंट बाबू हरिदास चटर्जी के यहां मेहमान रहे। इस दौरान उन्होंने खंडवा के मेसोनिक लॉज में उद्बोधन भी दिया। स्वामी विवेकानंद ने यहां लकड़ी के जिस पलंग पर आराम किया और जिस अलमारी में सामान रखा वह चटर्जी परिवार ने 1980 में लालचौकी रोड निवासी डॉ. यूजी राठौर को दे दिए। राठौर परिवार ने इसे विरासत के तौर पर संजो कर रखा है।

डॉ. राठौर ने बताया कि हमारे लिए गर्व की बात है कि स्वामी विवेकानंद द्वारा उपयोग की गई सामग्री हमारे पास है। उनके पुत्र अनुराग ने बताया कि इस पलंग पर प्राचीन नक्काशी की गई है। इस पर हमने स्वामीजी का चित्र रखा हुआ है। शकुंतला राठौर ने बताया कि स्वामी विवेकानंद की यादों को हमने संजो कर रखा है। इस लकड़ी की अलमारी में हम धार्मिक किताबें रखते हैं।

 

आज भी मिलती है ऊर्जा

जिस घर में स्वामी विवेकानंद मेहमान थे उसे 1982 में डॉ. बीपी मिश्रा को बेचकर चटर्जी परिवार कोलकाता चला गया। डॉ. मिश्रा यहां निजी नर्सिंग होम संचालित कर रहे हैं। वे कहते हैं कि आज भी इस मकान से ऊर्जा मिलती है। चटर्जी परिवार चर्चा में बताता था कि स्वामी विवेकानंद के खंडवा में रहने के दौरान ही उन्हें शिकागो के सम्मेलन का सूचना पत्र मिला था। खंडवा में करीब 18 दिन रहने के बाद वे यहां से मुंबई के लिए रवाना हो गए थे।

11 सितंबर 1893 को किया था संबोधित

स्वामी विवेकानंद का जन्म 12 जनवरी 1863 को कोलकाता में हुआ था। उनका पूरा नाम नरेंद्रनाथ दत्त था। 11 सितंबर 1893 में स्वामी विवेकानंद ने शिकागो सम्मेलन को संबोधित किया था। इसमें भारतीय संस्कृति, धर्म और इतिहास पर एतिहासिक उद्बोधन दिया था। 4 जुलाई 1902 में उनका निधन हो गया था।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.