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बीते 2 सालों में जम्मू-कश्मीर में जवानों ने मार गिराए 360 आतंकी: सीआरपीएफ डीजी

सुरक्षा बलों के एक के बाद एक अभियान ने कश्मीर घाटी में बीते दो साल में ही 360 से ज्यादा आतंकियों को मार गिराया है।

By Ravindra Pratap SingEdited By: Published: Sun, 09 Sep 2018 08:52 PM (IST)Updated: Sun, 09 Sep 2018 09:14 PM (IST)
बीते 2 सालों में जम्मू-कश्मीर में जवानों ने मार गिराए 360 आतंकी: सीआरपीएफ डीजी

नई दिल्ली, पीटीआइ। सीआरपीएफ के महानिदेशक राजीव राय भटनागर ने समाचार एजेंसी पीटीआइ को दिए गए साक्षात्कार में बताया है कि सुरक्षा बलों के एक के बाद एक अभियान के कारण कश्मीर घाटी में आतंकियों की 'उम्र' घट गई है और बीते दो साल में ही 360 से ज्यादा आतंकियों को मार गिराया है। उन्होंने कहा कि घाटी में आतंकी समूहों से जुड़ने वाले स्थानीय नौजवानों की संख्या का आंकड़ा तो बढ़ा है, लेकिन सुरक्षा बलों ने कश्मीरी युवाओं को हथियार उठाने से रोकने के सभी मुमकिन प्रयास किए हैं।

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राजीव भटनागर ने बताया कि सिक्योरिटी चैलेंजेज को माइंड करते हुए सीआरपीएफ के जवानों ने जम्मू में सुरक्षा का स्तर पहले से भी बेहतर कर दिया है। सीआरपीएफ के जवान अपने बचाव के सभी संसाधन जैसे बुलेट प्रूफ वाहन, विशेष बख्तरबंद वाहन की मदद से काम कर रहे हैं। साथ ही उन्होंने बताया कि, 'जम्मू कश्मीर फैल रहे आतंकवाद में कुछ आतंकी बाहर से हैं जो स्थानीय युवाओं को भ्रमित कर अपने संगठन में शामिल कर रहे हैं। आतंकियों की यह संख्या कम-ज्यादा भी हो सकती है लेकिन अगर आप देखें कि कौन सा आतंकी जम्मू कश्मीर में जिंदा बच रहा है तो संकेत साफ है कि इसका आतंकियों की भर्ती पर कोई असर नहीं है।'

साथ उन्होंने यह भी कहा कि, 'अब आतंकियों की उम्र, उनके जिंदा बचने का समय, बहुत कम बचा है। इसलिए अगर भर्ती हुए आतंकियों की संख्या ज्यादा भी हो तो भी परिणाम सीमित हैं।' सीआरपीएफ के डीजी से जब यह सवाल पूछा गया कि क्या आतंकी समूहों में स्थानीय कश्मीरी युवकों की भर्ती क्या बढ़ रही है, और क्या यह देश के लिए चिंता का कारण है? तो इस सवाल के जवाब में उन्होंने बताया कि, 'स्थानीय युवक आतंकी संगठन में शामिल हो रहे हैं क्योंकि यहां पर इस बात का थोड़ा आकर्षण जरूर है लेकिन अब उन्हें समझना होगा कि संगठन में शामिल पिछले युवाओं को यहां आकर क्या मिला, यहां पर उन्हें भी कोई नतीजा नहीं मिलने वाला है।'

स्थानीय युवा इन संगठनों में जा रहे हैं, क्योंकि इसको लेकर थोड़ा आकर्षण है लेकिन उन्हें समझना होगा उन्हें कोई नतीजा नहीं मिलने वाला है। उन्होंने कहा, 'हमने और हमारे जवानों ने यहां के स्थानीय युवाओं से समर्पण करने का काफी प्रयास किया उनमें से कई समझदार युवा वापस भी आए लेकिन बाकी युवाओं को भी यह समझना होगा कि हथियार उठाने से कोई भी उद्देश्य पूरा नहीं होगा।'

स्थानीय युवाओं के हथियार उठाने पर सीआरपीएफ प्रमुख ने कहा, 'हमें निश्चित तौर वहां के स्थानीय युवाओं को ऐसा करने से रोकना होगा और उचित कदम उठाने होंगे ताकि कश्मीरी युवा आतंक के रास्ते पर न जाए। घाटी के जिन युवाओं ने ऐसा किया है वो समाज की मुख्य धारा में वापस आ जाएं।' उन्होंने कहा, 'आधिकारिक संख्या से स्थानीय युवाओं की भर्ती में बढ़ोतरी तो दिखाई देती है। लेकिन जवानों की कार्यवाही में उन्हें ढेर किए जाने की संख्या में बढ़ोतरी से कुल मिलाकर स्थिति फिर से बराबर हो जाती है।' भटनागर ने आगे बताया कि, ‘कामकाज में पारदर्शिता, सुशासन और बहुआयामी कदम से जम्मू कश्मीर और घाटी में स्थानीय लोगों और वहां के युवाओं को विश्वास में लेने का काम किया जा रहा है।’

सीआरपीएफ डीजी ने कहा कि, 'हम और हमारे जवान यहां एक इकाई के तौर पर काम कर रहे हैं। जिससे हमें इतनी बड़ी कामयाबी मिली है। इस साल हमने 142 आतंकियों को मारा है। अगर आप पिछले साल के आंकड़े को देखेंगे तो 220 से ज्यादा आतंकी मारे गए हैं, सुरक्षा बलों और सीआरपीएफ के जवानों के बीच बहुत बढ़िया तालमेल है और उन्हें अपने अभियान में बढ़त मिली हुई है।'

डीजी ने कहा, 'आतंकियों के कुख्यात कमांडरों को हमने मार गिराया है, सैन्य शिविरों पर फिदायीन हमले को असरदार तरीके से रोका गया है। उन्होंने कहा, 'हम निर्धारित क्रम में बल का प्रयोग करते हैं पहले हम आंसू गैस के गोले छोड़कर और गैर घातक गैस के इस्तेमाल के जरिए प्रदर्शनकारियों को तितर-बितर करते हैं। इसके अलावा हमारे पास बड़ी संख्या में रबर की बुलेट है जिसका इस्तेमाल भी भीड़ को तितर-बितर करने के लिए किया जाता है, इसके अलावा हम पैलेट गन का इस्तेमाल भी करते हैं।'


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