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Surgical Strike2 : ओसामा बिन लादेन की मदद से बना था आतंकी संगठन जैश-ए-मुहम्मद

पाकिस्तान स्थित आतंकी संगठन जैश-ए-मुहम्मद (जेएम) की स्थापना वर्ष 2000 में तत्कालीन अलकायदा प्रमुख ओसामा बिन लादेन के सहयोग से की गई थी।

By Arun Kumar SinghEdited By: Published: Tue, 26 Feb 2019 07:04 PM (IST)Updated: Tue, 26 Feb 2019 07:13 PM (IST)
Surgical Strike2 : ओसामा बिन लादेन की मदद से बना था आतंकी संगठन जैश-ए-मुहम्मद
Surgical Strike2 : ओसामा बिन लादेन की मदद से बना था आतंकी संगठन जैश-ए-मुहम्मद

 नई दिल्ली, आइएएनएस। पाकिस्तान स्थित आतंकी संगठन जैश-ए-मुहम्मद (जेएम) की स्थापना वर्ष 2000 में तत्कालीन अलकायदा प्रमुख ओसामा बिन लादेन के सहयोग से की गई थी। जम्मू-कश्मीर में कई बड़े हमलों को अंजाम देने वाले जैश-ए-मुहम्मद को पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आइएसआइ का समर्थन है।

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जैश की स्थापना से पहले इसका कर्ताधर्ता मौलाना मसूद अजहर हरकत-उल-अंसार और हरकत-उल- मुजाहिदीन के लिए काम करता था। फर्जी पहचान के सहारे जम्मू-कश्मीर में सक्रिय मसूद को वर्ष 1994 में आतंकी गतिविधियों के आरोप में गिरफ्तार किया गया था। लगभग पांच साल तक वह हिरासत में रहा।

वर्ष 1999 में आतंकियों ने कंधार विमान अपहरण कांड को अंजाम दिया। बंधक बनाए गए 155 यात्रियों को छोड़ने की एवज में अटल बिहारी वाजपेयी सरकार ने मौलाना मसूद अजहर को रिहा किया था। रिहाई के बाद उसने भारत को खत्म करने और कश्मीर को आजाद करने के उद्देश्य से ओसामा बिन लादेन की मदद से जैश-ए-मुहम्मद की स्थापना की।

 पाकिस्तान के बहावलपुर में है मुख्यालय

 पाकिस्तान के पंजाब प्रांत के बहावलपुर की एक मस्जिद और मदरसे में इस आतंकी संगठन का मुख्यालय है। जामिया-ए-मस्जिद सुभानल्लाह नाम की यह मस्जिद पाकिस्तान की सेना के 31वीं बटालियन के मुख्यालय से आठ किलोमीटर दूर है। जैश का मुख्यालय कई एकड़ में फैला है। इसमें स्विमिंग पूल और दर्जनों घोड़ों को रखने का अस्तबल भी है।

शुरुआत में जैश ने लश्कर-ए-तैयबा और हिजबुल मुजाहिदीन की छत्रछाया में काम शुरू किया था। हालांकि कुछ समय बाद यह अलग से हमलों को अंजाम देने लगा। संसद हमले के बाद पाकिस्तान ने जैश को आतंकी संगठन घोषित करने के साथ ही मसूद अजहर को गिरफ्तार भी किया था, लेकिन बाद में उसे छोड़ दिया गया था।

मसूद अजहर को वैश्विक आतंकी घोषित करने के लिए भारत कई बार संयुक्त राष्ट्र में प्रस्ताव लाया, लेकिन अमेरिका सहित कई अन्य देशों के समर्थन के बावजूद चीन के वीटो करने की वजह से यह प्रस्ताव परवान नहीं चढ़ सका।

इन हमलों को दिया है अंजाम
-पुलवामा में सीआरपीएफ के काफिले पर आत्मघाती हमला। 40 से अधिक जवान शहीद
 -2001 में भारतीय संसद पर हमला
 -2016 में पठानकोट (पंजाब) और उड़ी (जम्मू और कश्मीर) में भारतीय सेना के कैंप पर हमला


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