आतंकियों में दिखने लगा है खौफ, सोशल मीडिया से दूर रहने का हुक्म
पिछले पांच सालों की आंकड़ों की तुलना करें तो आतंकियों के खिलाफ सुरक्षा बलों की बढ़त साफ देखी जा सकती है।
नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। सुरक्षा एजेंसियों को मिल रही रिपोर्ट के मुताबिक पाक स्थित आका अब आतंकियों को लो-प्रोफाइल रहने और सोशल मीडिया से बचने को कह रहा है। पिछले डेढ़ साल के दौरान लगभग सभी हाईप्रोफाइल आतंकियों के सफाए के बाद बाकी बचे आतंकियों में खौफ है। अबु इस्माइल के बाद लश्कर ए तैयबा के नए कमांडर की घोषणा नहीं होने को इसी से जोड़कर देखा जा रहा है। सिर्फ इस साल अभी तक घाटी में 151 आतंकी मारे जा चुके हैं। जबकि सुरक्षा एजेंसियों की मुस्तैदी के कारण सीमा पार से आतंकी घुसपैठ मुश्किल हो गया है।
पिछले पांच सालों की आंकड़ों की तुलना करें तो आतंकियों के खिलाफ सुरक्षा बलों की बढ़त साफ देखी जा सकती है। 2012 और 2013 में घाटी में केवल 72 और 67 आतंकी मारे गए थे। 2014 में यह संख्या बढ़कर 110 हो गई। 2016 में रिकार्ड 150 आतंकी मारे गए। लेकिन इस साल साढ़े आठ महीने में ही पिछले साल का रिकार्ड भी टूट गया। जहां एक ओर मुठभेड़ में आतंकियों के मरने की संख्या तेजी से बढ़ी है, वहीं गिरफ्तार किये जाने वाले आतंकियों की संख्या तेजी से गिरी है। 2012 में रिकार्ड 150 आतंकियों को गिरफ्तार किया गया था। लेकिन अब इसकी संख्या 60-70 के बीच रह गई है। यह आतंकियों के खिलाफ सरकार की बदली नीति का संकेत है। केंद्र सरकार की ओर सुरक्षा बलों को आतंकियों के खिलाफ कार्रवाई करने की पूरी छूट है।
जहां एक ओर घाटी में बड़ी संख्या में आतंकी मारे जा रहे हैं, वहीं सीमापार से आतंकी भेजना मुश्किल होता जा रहा है। जबकि आतंकी घुसपैठ की कोशिशें बहुत की जा रही हैं। गृहमंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक इस साल अभी तक घुसपैठ की रिकार्ड 291 कोशिशें दर्ज की गई हैं। लेकिन इनमें केवल 80 में ही आतंकी घुसपैठ करने में सफल हो पाए हैं। इनमें भी अधिकांश को घुसपैठ करने के कुछ दिनों के भीतर ही मार गिराया गया। जबकि 2012 में घुसपैठ की 264 कोशिशें में से 121 में आतंकियों को सफलता मिली थी। पिछले साल हिजबुल मुजाहिदीन के आतंकी सरगना बुरहान वानी के मारे जाने के बाद पाकिस्तान की ओर से घाटी का माहौल खराब करने के लिए सबसे अधिक आतंकी घुसपैठ की कोशिश हुईं। इस दौरान घुसपैठ की 371 कोशिशों में से आतंकी 119 बार घुसपैठ करने में सफल रहे थे।
घाटी में आतंकियों के सफाए और सीमा पार से घुसपैठ की रोक से मौजूदा आतंकियों के हौसले पस्त हो रहे हैं। वहीं सुरक्षा बलों के हौसले बुलंद है। शुक्रवार को जम्मू-कश्मीर के डीजीपी डॉ एसपी वैद ने कटाक्ष किया कि अबु इस्माइल की मौत के बाद लश्करे तैयबा को अब आतंकी सरगना नहीं मिल रहा है। उनके अनुसार न तो कोई स्थानीय आतंकी कमांडर का पद स्वीकार करने के लिए तैयार है और न ही लश्करे तैयबा कमांडर की नियुक्ति में जल्दबाजी दिखा रहा है। उन्हें पता है कि एक बार सुर्खियों में आने के बाद ज्यादा दिनों तक वह सुरक्षा बलों से बच नहीं सकेगा।
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