देवता तुल्य 'गंगाराम' मगरमच्छ की स्मृति में न सिर्फ स्मारक बल्कि मंदिर भी बनेगा
गंगाराम बेहत शांत व्यवहार का था। जिस दिन उसकी मौत हुई थी, उस रोज पूरे गांव में किसी के यहां चूल्हा नहीं जला था।
बेमेतरा, रायपुर, राज्य ब्यूरो। हाल ही में छत्तीसगढ़ के बेमेतरा जिले के मोहतरा गांव में करीब 100 वर्ष के मगरमच्छ गंगाराम की मौत हो गई। अब गांव के सरपंच मोहन साहू ने बताया कि जल्द ही अब गंगाराम की स्मृति में तालाब के पास एक स्मारक बनाया जाएगा और बाद में मगरमच्छ का मंदिर भी बनाया जाएगा। सरपंच मोहन साहू ने बताया कि गांव में सभी उसे देवता तुल्य मानते थे।
उन्होंने बताया कि बीते 100 से गंगाराम मगरमच्छ गांव के ही तालाब में था। गांव में कई बुजुर्ग बताते हैं कि उन्होंने अपने पिता से भी इस मगरमच्छ के बारे में कई किस्से सुने थे।
बहुत शांत रहता था गंगाराम
सरपंच मोहन साहू ने बताया कि गंगाराम बेहत शांत व्यवहार का था। उसने कभी भी किसी ग्रामीण पर हमला नहीं किया। कई बार तो बच्चे भी उसके करीब ही बेखौफ तैरते रहते थे, लेकिन उसने परेशान नहीं किया।
गंगाराम पूरी तरह से विकसित एक नर मगरमच्छ था, जिसका वजन करीब 250 किलोग्राम था और लंबाई 3.40 मीटर थी। जिस दिन उसकी मौत हुई थी, उस रोज पूरे गांव में किसी के यहां चूल्हा नहीं जला था। उसकी अंतिम यात्रा में भी करीब 500 से ज्यादा ग्रामीण शामिल हुए थे। गंगाराम को तालाब के पास ही दफनाया गया है।