सेमीफाइनल में पास हुआ अपना 'तेजस', अब फाइनल की बारी
(प्रणय उपाध्याय) बेंगलूर। भारतीय वायुसेना में देश के पहले स्वदेशी लड़ाकू विमान की तैनाती का रास्ता शुक्रवार को साफ हो गया। रक्षा मंत्री एके एंटनी ने यहां तीन दशक के अथक प्रयासों के बाद खड़े हुए हल्के लड़ाकू विमान तेजस के प्राथमिक संचालन की मंजूरी के दस्तावेज वायुसेना के हवाले किए। विमान को शस्त्रास्त्रों से लैस करने के बाद 2015
(प्रणय उपाध्याय) बेंगलूर। भारतीय वायुसेना में देश के पहले स्वदेशी लड़ाकू विमान की तैनाती का रास्ता शुक्रवार को साफ हो गया। रक्षा मंत्री एके एंटनी ने यहां तीन दशक के अथक प्रयासों के बाद खड़े हुए हल्के लड़ाकू विमान तेजस के प्राथमिक संचालन की मंजूरी के दस्तावेज वायुसेना के हवाले किए। विमान को शस्त्रास्त्रों से लैस करने के बाद 2015 से तमिलनाडु में इसकी पहली स्क्वाड्रन शक्ल लेना शुरू कर देगी। हालांकि इसके पहले तेजस को अब भी कई जरूरी परीक्षाएं पास करनी है।
रक्षा मंत्री एके एंटनी ने तेजस को भारत की सैन्य विकास यात्रा में मील का पत्थर बताते हुए कहा कि स्वदेशी लड़ाकू विमान बनाने का सपना साकार कर लिया है। हालांकि उन्होंने साथ ही यह भी जोड़ा कि प्राथमिक संचालन मंजूरी केवल सेमीफाइनल है। इसे सौ प्रतिशत कामयाबी तभी कहा जाएगा जब दिसंबर 2014 में इसे अंतिम संचालन की मंजूरी मिलेगी। अगले कुछ महीने टीम तेजस के लिए काफी बड़ी चुनौती हैं।
रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (डीआरडीओ) के प्रमुख अविनाश चंद्र के मुताबिक तेजस फिलहाल एक सुरक्षित विमान के तौर पर तैयार हुआ है। लेकिन इसे अभी सामान्य नजर से न दिखने वाले लक्ष्य को भेदने में सक्षम बीवीआर मिसाइलों, नजदीकी हवाई युद्ध के लिए जरूरी प्रक्षेपास्त्र तथा विमान पर लगने वाली गन से लैस किया जाना है। साथ ही सुपरसॉनिक उड़ानों के लिए इसमें ड्राप टैंक व क्षमता विस्तार के लिए हवा में ईंधन भरने की सुविधा से सुसज्जित किया जाना है।
हालांकि अब तक तेजस की क्षमताओं को लेकर सशंकित वायुसेना प्रमुख एयरचीफ मार्शल एनएके ब्राउन शुक्रवार को संतुष्ट नजर आए। उन्होंने कहा कि प्राथमिक मंजूरी के बाद अब वायुसेना के पायलट तेजस को उड़ाने लगेंगे। वायुसेना मौजूदा संस्करण मार्क-1 की दो स्क्वाड्रन खड़ी करेगी। वहीं उन्नत संस्करण मार्क-2 की चार स्क्वाड्रन तैयार करेगी। वायुसेना की शुरुआती योजना 120 तेजस लेने की है, जो रिटायर हो रहे मिग-21 विमानों की जगह लेंगे। तलिमनाडु के सुलूर में तेजस की पहली स्क्वाड्रन 2015 से शक्ल ले लेगी और अगले दो सालों में तैयार हो जाएगी।
बीते तीस सालों के वैज्ञानिक प्रयास और करीब दस हजार करोड़ रुपये की लागत से तैयार तेजस का अधिकांश हिस्सा स्वदेशी है। वैमानिक विकास एजेंसी के मुताबिक यह अपनी श्रेणी के दुनिया के सबसे हल्के लड़ाकू विमानों में है। वायुसेना के अलावा नौसेना के लिए भी तेजस का संस्करण तैयार किया जा रहा है। हालांकि स्वदेशी तेजस के सभी संस्करण फिलहाल विदेशी इंजनों के दम से उड़ रहे हैं। इसके लिए तैयार किया जा रहा कावेरी इंजन अभी तक सपना ही है।
तेजस की गर्जनाबेंगलूर में गुरुवार को रक्षा मंत्री एके एंटनी और वायुसेना प्रमुख एनएके ब्राउन की मौजूदगी में हल्के लड़ाकू विमान तेजस ने उड़ान भरी। इन सुपरसोनिक विमानों को शामिल करने से पहले वायुसेना के नियमित पायलट इनकी खूबियों को परखेंगे।
पढ़ें: सावधान दुनिया वालों, तेजस की तेजी से बच पाना मुश्किल
मोबाइल पर ताजा खबरें, फोटो, वीडियो व लाइव स्कोर देखने के लिए जाएं m.jagran.com पर