'तीस्ता ने शराब और फिल्म में उड़ाया पैसा'
गुजरात पुलिस ने कथित गबन के मामले में सामाजिक कार्यकर्ता तीस्ता सीतलवाड़ की अग्रिम जमानत का विरोध करते हुए सुप्रीम कोर्ट में कहा है कि उन्होंने और उनके पति ने कल्याण कार्यों के लिए मिले धन का 'गबन' शराब और विलासिता जैसे अपने निजी खर्चों के लिए किया। पुलिस ने
नई दिल्ली। गुजरात पुलिस ने कथित गबन के मामले में सामाजिक कार्यकर्ता तीस्ता सीतलवाड़ की अग्रिम जमानत का विरोध करते हुए सुप्रीम कोर्ट में कहा है कि उन्होंने और उनके पति ने कल्याण कार्यों के लिए मिले धन का 'गबन' शराब और विलासिता जैसे अपने निजी खर्चों के लिए किया। पुलिस ने कहा है कि उन्होंने सबूतों से छेड़छाड़ करने की कोशिश भी की।
गुजरात पुलिस ने अपने हलफनामे में कहा कि सबरंग ट्रस्ट और सिटीजंस फॉर जस्टिस एंड पीस के ट्रस्टी के रूप में सीतलवाड़ और उनके पति जावेद आनंद ने 'विविध तरीकों से' कथित रूप से कल्याण कार्यों के धन का गबन किया और गुजरात में फरवरी-मार्च, 2002 के दंगों से प्रभावित अभागों के पुनरुद्धार तथा 'संग्रहालय के निर्माण' विभिन्न कल्याण कार्यों के धन को अपने इस्तेमाल का कोष बना लिया।
हलफनामे में कहा गया है कि 2002 के दंगों में बर्बाद हुई गुलबर्ग सोसाइटी में संग्रहालय के लिए एकत्र कोष के कथित गबन की जांच में इस दपंति ने बेहद निजी किस्म के खर्चों को 'धर्मनिरपेक्ष' या 'कानूनी सहायता व्यय' की मद में दर्शाया है।
हलफनामे के अनुसार जांच में इस दंपति के फंड का इस्तेमाल वाइन, व्हिस्की और रम के सेवन, सिंघम, जोधा अकबर और पा जैसी फिल्मों की सीडी की खरीद, चश्मों की खरीद का भुगतान, मुंबई के चुनिंदा महंगे रेस्तरां और फास्टफूड आउटलेट में खाने-पीने के वाउचरों के जरिए साक्ष्य के रूप में मौजूद हैं।
क्राइम ब्रांच ने कहा कि जांच में पता चला कि 'धर्मनिरपेक्ष शिक्षा' और 'कानूनी सहायता खर्च' की मद के अंतर्गत सीतलवाड़ ने मेडिकल खर्च के नाम पर सैनिटरी नैपकिन खरीदने के पैसे लिए और 'आश्चर्य की बात यह है' कि उनके पति ने भी इसी मद में पैसा लिया। क्राइम ब्रांच के मुताबिक उन्होंने सबरंग ट्रस्ट के फंड से निजी चीजों जैसे, ईयर बड्स, वेट वाइप्स, नेल क्लिपर्स, रोमांटिक और थ्रिलर उपन्यास, ब्लैकबेरी फोन जैसी चीजें खरीदीं। हलफनामे में कहा गया है कि क्राइम ब्रांच ने यह जांच इस दंपति के जांच अधिकारी को जमा किए दस्तावेजों के आधार पर की है। इसमें यह भी कहा गया है कि फंड का इस्तेमाल तीस्ता ने अपने रोम और पाकिस्तान दौरे पर हेयर स्टाइलिंग के लिए भी किया।
इसमें कहा गया है कि सबरंग ट्रस्ट को 2008 से 2013 के बीच मिले कुल फंड का 45 फीसद या तो सीधे तीस्ता और उसके पति को मिला या फिर सबरंग कम्युनिकेशन प्राइवेट लिमिटेड के जरिए, जो कि पूरी तरह से उन्हीं का है। हलफनामे के मुताबिक, इन ट्रस्ट के ऑडिटर्स को नोटिस भेजा गया था, जिसके जवाब ने न सिर्फ जांच में असहयोग के संकेत दिए बल्कि उनमें से एक ऑडिटर ने आरोप लगाया कि यह दंपति उनके साथ सहयोग नहीं कर रहा है। सबरंग ट्रस्ट के ट्रस्टी के रुप में इस दंपति ने सिर्फ वेतन के नाम पर वार्षिक आधार पर ट्रस्ट को मिलने वाले चंदे का 20 फीसद से अधिक हिस्सा अपने पास रख लिया।
पुलिस के मुताबिक, 2009 के बाद जब इस पति-पत्नी का वेतन हर साल तेजी से बढ़ने लगा तो इसकी जानकारी देने से बचने के लिए उन्होंने चैरिटी कमिश्नर के समक्ष पेश होने वाली आय और व्यय के विवरण की अनुसूची नौ के निर्धारित फॉर्म में अपने आप ही बदलाव कर दिया। जांच में यह भी पता चला कि सबरंग ट्रस्ट का 2002 से 2008 के दौरान छह साल का ऑडिट किया हुआ लेखा-जोखा चैरिटी कमिश्नर के समक्ष पेश नहीं किया गया।
हलफनामे के अनुसार जनवरी, 2014 में FIR दर्ज होने के बाद ऑडिट किया हुआ लेखा-जोखा मार्च 2014 में दाखिल किया गया। हलफनामे के अनुसार इसी तरह सिटीजन्स फॉर जस्टिस एंड पीस के लेखों का भी अप्रैल 2003 से मार्च 2010 की अवधि के लिए एक ही बार में जनवरी 2012 में ऑडिट किया गया। गुजरात पुलिस ने तीस्ता और उनके पति पर जांच में सहयोग नहीं करने और रटा-रटाया जवाब देने का आरोप लगाया है।