हैदराबाद। आंध्र प्रदेश में हैदराबाद स्थित अंतरराष्ट्रीय सूचना प्रौद्योगिकी संस्थान [आईआईआईटी] एक ऐसी मोबाइल प्रौद्योगिकी विकसित करने पर काम कर रहा है जो बोले गए शब्दों को 'इनपुट' के तौर पर ग्रहण करेगी और इसे भाषा तथा लिखित पाठ में तब्दील कर देगी जिसे एसएमएस के तौर पर भेजा जा सकेगा।

आईआईआईटी के निदेशक राजीव संगल ने बताया कि परियोजना अगले दो साल में तैयार हो जाएगी और इसके लिए सूचना एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय वित्तीय सहायता मुहैया करा रहा है।

संगल ने कहा कि अगर कोई पढ़ना या लिखना नहीं जानता है तो जो संदेश वह किसी अन्य व्यक्ति के पास भेजना चाहता है उसे वह नई प्रौद्योगिकी की मदद से फोन पर या एसएमएस पर बोल कर लिखवा सकेगा। इसके लिए पहले उसे अपनी बात बोलनी होगी और मोबाइल फोन उसे लिखित पाठ में तब्दील कर संदेश के तौर पर भेज देगा।

उन्होंने बताया कि इस परियोजना पर सात अन्य संस्थान काम कर रहे हैं। संगल ने कहा कि यह प्रौद्योगिकी मोबाइल फोन में उपयोगी रहेगी जिनमें छोटे स्क्रीन और छोटे कीबोर्ड होते हैं जिसकी वजह से अक्षर टाइप करने में दिक्कत होती है।

संकाय के एक वरिष्ठ सदस्य ने कहा कि आईआईआईटी की स्पीच लैब का उद्देश्य ऐसी प्रणालियों का विकास करना है जो बोले गए शब्दों का लिप्यंतरण कर सकें, भारतीय भाषाओं के लिए सही ध्वनि एवं उच्चारण उत्पन्न कर सकें, शरीर के चिह्नों जैसे उंगली के निशानों अथवा आखों की पुतलियों द्वारा व्यक्ति विशेष की पहचान कर सकें और वाक शैली में संवाद स्पष्ट कर सकें।

संगल ने संस्थान की एक और परियोजना के बारे में बताया। उन्होंने कहा कि अनुसंधान दल मोबाइल फोनों के लिए लिखित शब्दों को पढ़ने वाली एक प्रणाली 'ऑप्टिकल कैरेक्टर रीडर' भी विकसित करने के लिए प्रयासरत है।

उन्होंने बताया कि ऑप्टिकल कैरेक्टर रीडर स्क्रीन पर लिखे शब्दों को हस्तलिपि पहचानने वाले एक उपकरण की मदद से पढ़ेगा। हम शलाका की मदद से मोबाइल फोन पर किसी भी भाषा में लिख सकते हैं। सेल फोन इसे पहचानेगा और उसके अनुसार ऑप्टिकल कैरेक्टर रीडर आगे का कदम उठाएगा।

संगल ने बताया कि संस्थान ने एक अंतरराष्ट्रीय मोबाइल निर्माता के लिए एक ऐसा सॉफ्टवेयर विकसित किया है जो हिंदी में लिखे एसएमएस पढ़ सकेगा। बहरहाल, उन्होंने मोबाइल फोन निर्माता का नाम नहीं बताया। विश्लेषकों का कहना है कि यह प्रौद्योगिकी ग्रामीण भारतीय बाजारों के विस्तार के लिए उपयोगी साबित होगी जहा मोबाइल फोन निरक्षरता की वजह से अभी भी अपनी गहरी पैठ नहीं बना पाए हैं।

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