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तकनीक व आक्रामता के साथ होगा नक्सल समस्या का खात्मा

हथियारों में 'ट्रैकर' और 'बायोमैट्रिक' के इस्तेमाल के साथ ही राजनाथ सिंह ने नक्सलियों के खिलाफ आपरेशन के दौरान अधिक-से-अधिक ड्रोन और सैटेलाइट के इस्तेमाल पर बल दिया।

By Manish NegiEdited By: Published: Mon, 08 May 2017 10:09 PM (IST)Updated: Mon, 08 May 2017 10:09 PM (IST)
तकनीक व आक्रामता के साथ होगा नक्सल समस्या का खात्मा
तकनीक व आक्रामता के साथ होगा नक्सल समस्या का खात्मा

नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। आदिवासी इलाकों में विकास और तकनीक की पहुंच रोकने की हरसंभव कोशिश में जुटे नक्सलियों को अब अत्याधुनिक तकनीक से लैस जवानों का सामना करना होगा। नक्सल प्रभावित राज्यों के मुख्यमंत्रियों की बैठक में एक स्वर में नक्सलियों के समूल सफाए के लिए अत्याधुनिक तकनीक का उपयोग पर जोर दिया गया।

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सुकमा में सीआरपीएफ के 25 जवानों की मौत के बाद बुलाई गई बैठक में राजनाथ सिंह ने साफ कर दिया कि नक्सलियों के खिलाफ नरम रवैया अपनाने के बजाय पूरी तैयारी के साथ और अधिक आक्रमक रवैया अपनाना होगा। राजनाथ सिंह ने नक्सली समस्या के 'समाधान' की विस्तृत रूपरेखा प्रस्तुत की।

बैठक की शुरुआत करते हुए राजनाथ सिंह ने कहा कि नक्सलियों के खिलाफ अंतिम चरण की लड़ाई में सुरक्षा बलों को अधिक नुकसान की आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता है। लेकिन अत्याधुनिक तकनीक का प्रयोग कर इसे काफी हद तक रोका जा सकता है। नक्सलियों को हथियारों और गोलाबारूद की सप्लाई पूरी तरह रोकने के लिए उन्होंने कहा कि सुरक्षा बलों के हथियारों में 'लोकेशन ट्रैकर' लगाने और उन्हें 'बायोमैट्रिक' से लैस किया जाएगा। जिससे नक्सली इन हथियारों का उपयोग ही नहीं कर पाएंगे।

नक्सली हमले के लिए सुरक्षा बलों से लूटे गए हथियारों का ही इस्तेमाल करते हैं। इसके साथ ही उन्होंने सुरक्षा बलों के जूते और बुलेटप्रुफ जैकेट में ही 'लोकेशन ट्रैकर' लगाने पर जोर दिया, ताकि इसका इस्तेमाल करने वाले नक्सलियों की गतिविधियों पर नजर रखी जा सके। उन्होंने राज्य सरकारों को भी जिलेटिन की छड़ों और अन्य विस्फोटकों पर विशेष पहचान चिह्न लगाने की सलाह दी, ताकि नक्सलियों तक इनकी सप्लाई करने वालों की पहचान कर कार्रवाई की जा सके।

हथियारों में 'ट्रैकर' और 'बायोमैट्रिक' के इस्तेमाल के साथ ही राजनाथ सिंह ने नक्सलियों के खिलाफ आपरेशन के दौरान अधिक-से-अधिक ड्रोन और सैटेलाइट के इस्तेमाल पर बल दिया। उन्होंने कहा कि फिलहाल ड्रोन का इस्तेमाल कम हो रहा है। लेकिन अब नक्सली आपरेशन में लगे हर यूनिट का ड्रोन से लैस लिया जाएगा। वहीं नक्सली गतिविधियों पर नजर रखने के लिए सैटेलाइट की तस्वीरों का भी बड़े पैमाने पर इस्तेमाल किया जाएगा। नक्सल प्रभावित सभी राज्यों और केंद्रीय एजेंसियों ने इसका समर्थन किया।

नक्सली समस्या के 'समाधान' की विस्तृत रूपरेखा प्रस्तुत करते हुए राजनाथ सिंह ने कहा कि इसके लिए एक साथ सभी मोर्चो पर कार्रवाई करनी होगी। सुरक्षा बलों को नक्सली गतिविधियों के बारे में अधिक-से-अधिक सूचना जुटाकर टारगेटेड कार्रवाई करना होगा। इसके लिए बड़ी संख्या में आत्मसमर्पण करने वाले नक्सलियों का इस्तेमाल किया जा सकता है। सुकमा में कठिन परिस्थितियों में आपरेशन लगे में जवानों की हालात का जायजा लेकर हाल ही में लौटे राजनाथ सिंह ने कहा कि सुरक्षा बलों के शिविरों को अत्याधुनिक सुविधाओं से लैस किया जाएगा।

बैठक के दौरान सभी राज्यों ने नक्सलियों के खिलाफ तेज कार्रवाई सुनिश्चित करने के लिए विशेष हेलीकाप्टरों की मांग की। राजनाथ सिंह के 'समाधान' में नक्सलियों के खिलाफ आपरेशन में तेजी लाने के साथ-साथ विकास योजनाओं को गति देना भी शामिल था। यही कारण है कि बैठक के दूसरे हिस्से में रेलमंत्री सुरेश प्रभु, सड़क परिवहन व राजमार्ग मंत्री नीतिन गडकरी, ग्रामीण विकास मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर, जैसे केंद्रीय मंत्री भी मौजूद थे। जिन्होंने अपने-अपने मंत्रालय में नक्सली इलाकों के लिए चलाई जा रही विकास योजनाओं का ब्यौरा दिया। इन विकास योजनाओं को और तेजी से पूरा करने और इसके लिए अत्याधुनिक तकनीक के इस्तेमाल का फैसला किया गया।

वैसे बैठक में यह साफ हो गया कि फिलहाल नक्सलियों के खिलाफ सेना को कार्रवाई के लिए नहीं उतारा जाएगा। सेना का इस्तेमाल राज्यों की विशेष बटालियन को ट्रेनिंग देने में करने का फैसला लिया गया। इसके साथ ही आपरेशन के दौरान जवानों को तत्काल सहायता उपलब्ध कराने के लिए वायु सेना के हेलीकाप्टरों का इस्तेमाल बढ़ाया जाएगा।

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